‘देवों की भूमि’ के रूप में प्रसिद्ध उत्तराखंड अपनी खूबसूरती के लिए पूरी दुनिया में फेमस है। यहां कुछ ऐसी चुनिंदा जगहे हैं जहां घूमने के लिए देश से ही नहीं बल्कि, विदेशों से भी सैलानी आते रहते हैं। उत्तराखंड के इन्हीं चुनिंदा जगहों में से एक है मुनस्यारी। मुनस्यार दो शब्दों ‘मुन’और ‘स्यार’ से मिलकर बना है। मुन का अर्थ है बर्फ (हिमकण जिसे स्थानीय भाषा में ‘मुण’ भी कहा जाता है) और स्यार का अर्थ है कीचड़। मतलब इस बर्फीले इलाके में बर्फ व कीचड़ के घालमेल की…
Category: विचार
कौन किसकी सुध ले, आज भी गटर में मरते हैं लोग : आदर्श कुमार
हम किस युग में जी रहे हैं? मानव जीवन का क्या कोई मूल्य नहीं रह गया है? हमारा देश तरक्की कर रहा है। स्मार्ट सिटी बन रहे हैं। लेकिन हम हृदय विहीन होते जा रहे हैं। नगरों में हो रही सीवर सफाई के दौरान सफाई कर्मचारियों की मौतों पर हम मुँह बंद किये बैंठे हैं। इंसानों से सीवर और सेप्टिक टैंकों की सफाई करवाना बंद करने की सालों से उठ रही मांगों के बावजूद यह अमानवीय काम आज भी जारी है। इसी के साथ ही सीवर और सेप्टिक टैंकों में…
अकेला जीवन-रितेश मौर्य
अकेलाअकेले ही जीवन जीते हैंअपने जैसा कोई नहीं?मिलने को तो बहुत मिलेपर हम सा कोई मिला नहीं? किसी को हमसे धन चाहिएतो किसी को हमसे वादा,आजकल जो मिलते हैं उनकाकोई न कोई होता है नेक इरादा। झुण्ड में चलने से सड़कभरी भरी सी लगती है,पर जब धन खत्म होता है तोजिन्दगी अकेली सी लगती है। अंधेरे ही हमें बताता है कि….उजाला कितना ज़रूरी है,किसी से ज्यादा लगाव न करोदूरी का होना भी ज़रूरी है। अकेले चलने वाले कभीमुड़ के देखते नहीं है,किसी के जख्म पर नमक रखअपनी रोटी कभी सेंकते…
जब बुद्ध ने बताया पूजा का तरीका: आदर्श कुमार
राजगृह पथ पर जा रहे गौतम बुद्ध ने देखा, एक गृहस्थ भीगे वस्त्र पहने सभी दिशाओं को नमस्कार कर रहा था। बुद्ध ने पूछा, ”महाशय, इन छह दिशाओं की पूजा का क्या अर्थ है ? यह पूजा क्यों करनी चाहिए ?”गृहस्थ बोला, “यह तो मैं नहीं जानता।”बुद्ध ने कहा, “बिना जाने पूजा करने से क्या लाभ होगा ?”गृहस्थ ने कहा, ”भंते, आप ही कृपा करके बतलाएँ कि दिशाओं की पूजा क्यों करनी चाहिए ?” तथागत बोले, “ पूजा करने की दिशाएँ भिन्न हैं । माता-पिता और गृहपति पूर्व दिशा हैं,…
बेरोजगार ज़िंदगी की कहानी
जॉबएक जॉब को पाने के लिएहर कोई बेताब है, सरकारी नौकरी पाना तो इस समय एक ख्वाब है । हर कोई संघर्ष कर रहा हैपल पल वक्त बदल रहा है ,सब अपने कल को बदलने के लिएआज बड़े वेग से आगे चल रहा है। मांग कर पापा से कब तक खर्च चलाऊंगा,नौजवान हो गया हु मै कबपैसे कमाऊंगा?बड़े उपकार है माता पिता केमैं कैसे उनको खुश कर पाऊंगा ? जब चलता हूं तो बस एक ही धुन सुनता हूंजॉब पाने के सपने को मन में बुनता हूं,इतनी डिग्री लेकर भी…
“कृषि क्रांति और किसान नेतृत्व लेखक चौ महाराज सिंह भारती “प्रस्तुतकर्ता -: इंजी अलप भाई पटेल
भाग -:9 भूमिगत जल सर्वेक्षण-: आज के वैज्ञानिक युग में आकाश में उड़ते हुये उपग्रह अदृश्य किरणों द्वारा भूमिगत जल भण्डारों का पता लगा लेते हैं। 1981 में, मिश्र सरहद पर, सहारा रेगिस्तान में, उपग्रह द्वारा एक विशाल भूमिगत नदी का पता लगाया गया। मौके पर नलकूप बोरिंग करके एक लाख बाईस हजार हैक्टर भूमि सींचने योग्य पानी मिल गया। इसी प्रकार राजस्थान में भी भूमिगत बहने वाली, गप्त नदी सरस्वती का पूरा पता चल गया है। जो सरस्वती कभी हरे भरे राजस्थान में, हिमालय से चलकर, लून नदी से…
पुस्तक समीक्षा “भटका मुसाफिर” – The journey which is infinity
पुस्तक : “भटका मुसाफिर” लेखक : मौर्य अंकित यह किताब एक यात्रा वृत्तांत है। सामाजिक शिक्षा कल्याण एवं शिक्षकिय बदलाव को ध्यान में रखते हुए लिखी यह किताब युवाओं के बीच चर्चा का कारण इसलिए बनी है क्योंकि यह समाज में चल रही बनी-बनाई धारणाओं एवं बातों पर कडा प्रहार करती है। इस किताब को आप एक युवा का साहस कह सकते हैं। एक ऐसा साहस जो हमारे समाज के दिलों – दिमाग से ओझल सा हो रहा है। भारत में अकेली यात्रा करना और उसके अनुभवों को लिखना कोई…
कृषि क्रांति और किसान नेतृत्व लेखक चौ महाराज सिंह भारती
प्रस्तुतकर्ता -: इंजी अलप भाई पटेल
वर्षा -: नदी, तालाब, सागर और पेड़ पौधों की पत्तियों से जो जल भाप बनकर हवा में मिल जाता हैं ठण्ड पारक वही भाप पानी बनती है। छोटे स्तर पर वह पानी ओस की बूंद होता है। जाड़ों में हमारे मुंह से निकली हवा के पानी को भाप के पानी में बदलता है और बड़ा रूप कोहरा है। उससे बड़ा रूप बादल और वर्षा है। अत्यधि शक ठण्ड हवा के पानी को बर्फ अथवा ओले में बदल देती है। भारत में अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से उठी मानसूर…
अर्जक संघ की परंपरा के अनुसार शादियां करवाते हैं उपेंद्र पथिक
बिहार राज्य में नवादा जिले के उपेंद्र पथिक एक कीर्तिमान बना चुके हैं। वर्ष 1980 के दशक से वे अर्जक संघ की परंपरा के अनुसार शादी संस्कार कराते रहे हैं। पेशे से शिक्षक और एक परिवार का मुखिया होने के बावजूद यह काम वह कैसे कर पाते हैं यह विचारणीय विषय है। बिहार के मगध इलाके में उपेंद्र पथिक का नाम उनलोगों के बीच खास तौर पर लोकप्रिय है जो ब्राहमणवाद के इतर मानववाद में विश्वास करते हैं। इसकी वजह भी है। उपेंद्र पथिक ने अब तक तीन हजार से…
कृषि क्रांति और किसान नेतृत्व लेखक चौ महाराज सिंह भारती: प्रस्तुतकर्ता इंजी अलप भाई पटेल
भाग -: 5 रेशम -: चार हजार पांच सौ वर्ष पूर्व जब वर्तमान दर्शन और धर्म भी पृथ्वी पर नहीं थे, चीन के किसी चरवाहे ने रेशम बनाने वाले कीड़े की वृक्ष पर खोज कर ली थी। रेशम बनाने वाले अनेक प्रकार के कीड़े हैं जो अलग-अलग पेड़ों की पत्तियाँ खाकर रेशम बनाते हैं। उन कीड़ों के बीज में ऐसा टाइम टेबिल बना हुआ है कि कीड़ा अण्डे से बाहर आता है, पत्ती खाना आरम्भ करता है। लगातार पत्ते खाकर मोटा हो जाता है। फिर खाना बन्द कर के पेट…
कृषि क्रांति और किसान नेतृत्व लेखक चौ महाराज सिंह भारती -: इंजी अलप भाई पटेल
भाग -:3 बागान नीति ताड़ नारियल-: नारियल की खेती, सभी गरमतर क्षेत्रों में हो रही है। नगरों की जनसंख्या के साथ-साथ देश के बड़े भाग में कच्चा नारियल पानी पीने और कच्ची गिरी खाने से भी नारियल खपत बढ़ती जा रही है। जैसे-जैसे गरीबी हटकर मध्यम वर्ग की संख्या बढ़ेगी पक्के गोले और नारियल तेल की मांग भी बढ़ेगी। अण्डमान निकोबार जैसे अनेक अछूते गरमतर जलवायु के क्षेत्रों में नारियल की नई खेती की जा सकती है और उन्नत नस्ल को बढ़ावा देकर पर्याप्त मात्रा में आवश्यकतानुसार उत्पादन बढ़ाया जा…
कृषि क्रान्ति और किसान नेतृत्व लेखक चौ महाराज सिंह भारती”प्रस्तुतकर्ता” – इंजी अलप भाई पटेल
झूम की खेती-: जब जनसंख्या बढ़ने पर वनों से आहार जुटाना दुर्लभ हो गया तो आदिवासियों ने चलती फिरती खेती से भी आहार जुटाना आरंभ कर दिया जंगल के पेड़ काटकर लकड़ी का मकान बनाने और जलाने के लिए भंडारित कर ली तथा शेष डालें और पत्तियों को सुखाकर आग लगाकर उच्च कटे हुए वन क्षेत्र को घास पात से मुक्त करके उसमें खेती कर ली 3 या 4 वर्ष में भूमि की उर्वरा शक्ति कमजोर हो गई घास पात अधिक उगने लगे तो उक्त क्षेत्र को छोड़कर फिर कोई…
कौतूहल का विषय है युवा लेखक अंकित मौर्य का यात्रा वृत्तांत “भटका मुसाफिर”: आदर्श कुमार
साहित्य और रचना में यात्रा की भुमिका एतिहासिक काल से महत्वपूर्ण रही है। समय-समय पर यात्रा के लेख एवं कला ने विश्व प्रसिद्ध साहित्यकारों को पहचान और मुकाम हासिल कराया है। ऐसे ही भारत के सबसे युवा यात्रा वृत्तांत लेखक हैं “अंकित मौर्य “ मूल प्रतापगढ़ सिटी (उत्तर प्रदेश) के निवासी अंकित मौर्य फिलहाल अहमदाबाद में रह रहे हैं एवं प्रतियोगि युवाओं और सोशल मीडिया पर काफी चर्चित हैं। लेखक और इंजीनियर अंकित मौर्य का यात्रा एवं यायावरी के क्षेत्र में भारी रुझान होने के चलते ,उन्होने समय – समय…
धार्मिकों की धार्मिक भावनाएं आहत क्यो हो जाती है, कहीं इनकी भावनाएं झूठ, षड्यंत्र ,फरेब और अशिक्षा पर तो आधारित नहीं है : अलप
आस्तिकों (धार्मिक व्यक्तियों) की कैसी भावनाएं होती है जब देखो हर एक बात पर भावनाएं आहत हो जाती है। क्या इन धार्मिक व्यक्तियों की भावनाएं इतनी कमजोर होती है जो छोटी से छोटी बात पर आहत हो जाती है या इनका धर्म ही इतना कमजोर होता है जो तार्किक बातों को सहन नहीं कर पाता और इनके धर्म और इन आस्तिकों की भावनाएं आहत हो जाती है। या इनके धर्म की संरचना ही झूठ षड्यंत्र और अशिक्षा पर आधारित होता है जो इनको टूटने और विखंडित होने का डर बना…
बुद्ध पूर्णिमा:शेयर करें बुद्धं शरणं गच्छामि। धम्मं शरणं गच्छामि। जैसे सन्देश
बुद्ध पूर्णिमा के दिन भगवान गौतम बुद्ध की जयंती मनाई जाती है।लोग बुद्ध पूर्णिमा पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करते हैं। कई जगह कबुद्ध पूर्णिमा महोत्सव मनाया जाएगा। इस दिन भगवान बुद्ध के जीवन से लोगों को अवगत कराया जाता है। आप इस दिन शेयर करें भगवान बुद्ध के विचार और उनसे जुड़े ये शुभकामना संदेश: “सूर्य, चंद्रमा और सत्य – किसी भी हालत में ये तीन चीज़ें कभी नहीं छिप सकती।” – गौतम बुद्ध भगवान बुद्ध का संदेश हमें सत्य, शांति और करुणा के मार्ग पर चलने को प्रेरित करता…
भारत की प्राथमिक शिक्षा , चुनौतियां व अपेक्षित सुधार :महेंद्र प्रताप सिंह
प्राथमिक शिक्षा किसी भी देश व उसके नागरिक की मजबूत आधारशिला हेतु ज्ञान की नींव है ।जिसमें ज्ञान , सूचना , कौशल , सामाजिक नैतिकता के प्रारंभिक तत्व शामिल होते हैं । जिन्हें बच्चों के समक्ष प्रदर्शित कर सिखाया जा सकता है।वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी 5 वर्ष की आयु तक बच्चों का दिमाग लगभग पूरी तरह विकसित हो जाता है । अतः प्राथमिक शिक्षा हेतु जब बच्चा विद्यालय में प्रवेश करता है तो कोरी स्लेट की तरह होता है । जिस पर शिक्षक को सबसे अच्छा ज्ञान , नैतिकता ,…
आखिर क्यों नहीं नेता या देश की जनता मनाती सम्राट अशोक जन्म जयंती ?
सम्राट अशोक का नाम भारतीय इतिहास के महान शासकों तथा योद्धाओं में अग्रणी है । ईसा पूर्व सन् 272 ई॰ में अशोक ने मगध का राज्य सँभाला था । इसके पश्चात् अपने 40 वर्षों के शासनकाल में उन्होंने जो ख्याति अर्जित की वह अतुलनीय है । वे एक ऐसे महानतम शासक के रूप में विख्यात हैं जिन्होंने केवल मगध में ही नहीं अपितु भारत के कोने-कोने में सत्य , न्याय प्रज्ञा और अहिंसा का प्रचार-प्रसार किया । अशोक के समय कई देशों में भारत का व्यापार होता था और अफगानिस्तान…
अखंड भारत के निर्माता, महान चक्रवर्ती सम्राट अशोक को इस लेख से जानें
प्राचीन समय के सबसे प्राचीन वंश मौर्य वंश के तीसरे राज्य अशोक मौर्य विश्वप्रसिद और सबसे शक्तिशाली राजाओं में से एक थे. सम्राट मौर्य ने 269 से 232 ई.पू तक शासन किया था. मौर्य वंश का यह राजा ही एक ऐसा राजा था जिसने अखंड भारत पर राज किया था. भारत में मौर्य वंश की नींव रखने वाले इस राजा ने भारत के उत्तर में हिन्दुकुश से लेकर गोदावरी नदी तक राज्य का विस्तार किया था इसके साथ ही उनका राज्य बांग्लादेश से लेकर पश्चिम में अफगानिस्तान और ईरान तक…
अशोक एक अनोखा सम्राट जिसने युद्ध त्याग दिया
मौर्य साम्राज्य की स्थापना सम्राट अशोक के दादा चन्द्रगुप्त मौर्य ने 2300 साल पहले की थी। चाणक्य या कौटिल्य ने चन्द्रगुप्त की सहायता की । इस साम्राज्य में तथा वह चन्द्रगुप्त के मंत्री भी थे चाणक्य ने अर्थशास्त्र की रचना की है। नगरों में व्यपारी ,सरकारी अधिकारी और शिल्पकार रहा करते थे। गांव में किसान पशुपालक थे मध्य भारत के ज्यादातर इलाके जंगलो में संग्राहण और शिकार करके जीविका चलाते थे। मैगास्थनीज एक राजदूत बनकर आया था जो यूनानी राजा सेल्यूकस निकेटर का राजदूत था इन की प्रसिद्ध पुस्तक है…
विज्ञान और विकास ही ‘बुद्धत्व’ है: राहिब मैत्रेय
‘द एस्सेंस ऑफ बुद्धिज्म’, प्रो.पी.लक्ष्मी नरसू कृत एक उत्कृष्ट शोध ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ को हर उस व्यक्ति को पढ़ना चाहिए जो चेतनावान है अथवा अपनी चेतना को जाग्रत करना चाहता है। इस पुस्तक की लोकप्रियता को देखते हुए अनेक भारतीय और विदेशी भाषाओं में इसका अनुवाद हुआ है। इस पुस्तक के माध्यम से लेखक ने अघतन विज्ञान और दर्शन की बुनियाद पर बौद्ध धर्म संबंधी प्रमुख सिद्धान्तों और दार्शनिक तत्वों को एक ही स्थान पर सुलभ करा दिया है। इस ग्रंथ की उपादेयता को स्पष्ट करते हुए वर्ष 1948…