पुस्तक : “भटका मुसाफिर”
लेखक : मौर्य अंकित
यह किताब एक यात्रा वृत्तांत है। सामाजिक शिक्षा कल्याण एवं शिक्षकिय बदलाव को ध्यान में रखते हुए लिखी यह किताब युवाओं के बीच चर्चा का कारण इसलिए बनी है क्योंकि यह समाज में चल रही बनी-बनाई धारणाओं एवं बातों पर कडा प्रहार करती है। इस किताब को आप एक युवा का साहस कह सकते हैं। एक ऐसा साहस जो हमारे समाज के दिलों – दिमाग से ओझल सा हो रहा है। भारत में अकेली यात्रा करना और उसके अनुभवों को लिखना कोई नयी बात नहीं है इतिहास से लेके अभी तक बहोत से ऐसे लोग रहे हैं। राहुल सांकृत्यायन से लेके अनुराधा बेनीवाल तक के यात्रा वृत्तांत काफी लोकप्रिय है।
मगर इस यात्रा वृत्तांत की बात ही कुछ और है क्योंकि यह भारत के सबसे युवा यात्रा वृत्तांत लेखक हैं। जिन्होंने अपने अकेली यात्रा ( solo traveling) के अनुभवों को बखुबी कागज पर उतारा और निष्पक्ष रुप से प्रस्तुत किया।
खैर किताब पर आते हैं , भटका मुसाफिर एक युवा पटल के मन की बात है वो युवा जो संविधान के दायरे में रहकर समाज में चल रही सही-गलत गतिविधियों को निष्पक्ष रुप से जानने एवं समझने की कोशिश करता है। नौकरी करनेवाले वर्ग के मन की बात बखुबी बयां करता है। गांव में बस रहे किसान और लोगों की मनोदशा से लेके उनकी परेशानी को खुलकर लिखा है। दुःख जो की जीवन का अतुल्य अंग है उसकी एक कविता लिखी है जो बेहद खुबसूरत और आंखों में नमी ला देने वाली है। परीजनों से बिछड़ने के दुःख से लें के कई तरह के दुखों का बहेतरीन व्याख्यान।
कुछ जगह पर व्यंग्यात्मक रुप से कडा कटाक्ष किया तो कुछ जगह पर सीधे-सीधे बात कह दी। इस किताब का एक चेप्टर है आध्यात्म या प्रकृति जो की इस किताब में अलग तरह की जान फुंक देता है यह पाठ अंशत आपके जीवन के हर सवालों के जवाब देगा। लेखक ने भारी अध्ययन करके इस चेप्टर को लिखा होगा यह बिल्कुल साफ नजर आता है। हर कोई इस चेप्टर को कई दफा पढ़ना चाहेगा। जिस तरह से अंकित ने आधुनिकता का पर्दाफाश किया है सोशीयल रिलेशनशिप जो की फोन के द्वारा बना है इस तरह की कई चीजों को जोड़कर बहेतरीन किताब लिखी है। यात्रा के कुछ ऐसे संस्मरणों का जिक्र है जो हमारे जहन में ताउम्र बस जायेगा अगर आपको यात्रा करना पसंद है तो यह किताब आपको जरूर पसंद आयेगी एवं जीवन में एक बार अकेले यात्रा करने पर आपको विवश जरुर करेगी। पाठकों से निवेदन है इस किताब को जरुर पढ़े एक नये जीवन अनुभव को प्राप्त करें।
किताब में 4-5 जगहों पर मात्रा और शब्दों की भुल है जो की पब्लिशर की भुल है , मगर लेखक अपनी भावनाओं को पुरी तरह से व्यक्त करने में सफल है जिससे वे भुल नगण्य हो जाती है। अंततः किताब बहोत अच्छी है। एमेजोन एवं फ्लिपकार्ट पर उपलब्ध है।