धार्मिकों की धार्मिक भावनाएं आहत क्यो हो जाती है, कहीं इनकी भावनाएं झूठ, षड्यंत्र ,फरेब और अशिक्षा पर तो आधारित नहीं है : अलप

आस्तिकों (धार्मिक व्यक्तियों) की कैसी भावनाएं होती है जब देखो हर एक बात पर भावनाएं आहत हो जाती है।

क्या इन धार्मिक व्यक्तियों की भावनाएं इतनी कमजोर होती है जो छोटी से छोटी बात पर आहत हो जाती है या इनका धर्म ही इतना कमजोर होता है जो तार्किक बातों को सहन नहीं कर पाता और इनके धर्म और इन आस्तिकों की भावनाएं आहत हो जाती है।

या इनके धर्म की संरचना ही झूठ षड्यंत्र और अशिक्षा पर आधारित होता है जो इनको टूटने और विखंडित होने का डर बना रहता है जो किसी एक तार्किक व्यक्ति के प्रहार मात्र से खतरे में आ जाता है।

तार्किक व्यक्तियों की भी भावनाएं होती है पर तार्किक व्यक्तियों की भावनाएं आखिरकार क्यों आहत नहीं होती जब की तार्किक व्यक्तियों के इर्द-गिर्द आस्तिक (धार्मिक) व्यक्तियों का पूरा के पूरा मकड़जाल होता है इनके धार्मिक प्रयोजन होते हैं जहां देखो इनके बड़े बड़े मंदिर मस्जिद होते हैं इन में बड़े-बड़े साउंड सिस्टम लगें होते हैं और दिन-रात धार्मिक कर्मकांडो को समाज में परोसते रहते हैं रोड शो जुलूस निकालते रहते हैं फिर भी तार्किक व्यक्तियों की भावनाएं कभी आहत होते नहीं देखा।

जबकि तार्किक व्यक्तियों का ना ही कोई बड़ा जलसा होता है ना ही बड़े बड़े साउंड सिस्टम लगे होते हैं ना ही तार्किक व्यक्तियों का कोई जलसा ही निकलता है मात्र सोशल मीडिया पर लिखने या बोलने मात्र से धार्मिक व्यक्तियों की भावनाएं आहत हो जाती है।

अगर धार्मिक व्यक्तियों की भावनाएं और इनका धर्मशास्त्र इतना ही कमजोर है तो इन धार्मिक व्यक्तियों को अपने तथाकथित धर्म और धर्मशास्त्र को जला देना चाहिए या किसी नदी नाले में विसर्जित कर देना चाहिए।

चौधरी महाराज सिंह भारती जी जब सांसद थे तो उन्होंने संसद में एक कानून पेश किया था धार्मिक स्वतंत्रता (freedom of religious) का कि 18 वर्ष से पहले के बच्चों का कोई भी धर्म ना हो और उन्हें हर एक धर्म की शिक्षा दी जाए और जब बच्चा 18 वर्ष का हो जाए तो उसे अपना धर्म अपनी स्वेच्छा से स्वीकार करने का अधिकार हो तब उस समय के धार्मिक लोगों ने यह कहकर उस बिल को संसद में पास नहीं होने दिया था कि फिर हमारे धर्म को कोई मानने वाला नहीं बचेगा और अंततः हमारा धर्म खत्म हो जाएगा।

इन्हीं सब बातों से यह अनुमान लगाया जा सकता है कि धार्मिक लोगों का धर्म कितना कमजोर है वह सिर्फ और सिर्फ अशिक्षा, कुतर्क, झूठ और षड्यंत्र पर आधारित है इसलिए जब देखो इन धार्मिक व्यक्तियों की भावनाएं आहत होती रहती है।

इंजी अलप भाई पटेल