आखिर क्यों नहीं नेता या देश की जनता मनाती सम्राट अशोक जन्म जयंती ?

सम्राट अशोक का नाम भारतीय इतिहास के महान शासकों तथा योद्धाओं में अग्रणी है । ईसा पूर्व सन् 272 ई॰ में अशोक ने मगध का राज्य सँभाला था । इसके पश्चात् अपने 40 वर्षों के शासनकाल में उन्होंने जो ख्याति अर्जित की वह अतुलनीय है । वे एक ऐसे महानतम शासक के रूप में विख्यात हैं जिन्होंने केवल मगध में ही नहीं अपितु भारत के कोने-कोने में सत्य , न्याय प्रज्ञा और अहिंसा का प्रचार-प्रसार किया । अशोक के समय कई देशों में भारत का व्यापार होता था और अफगानिस्तान तक भारत की सीमायें रहीं। ऐसे में सवाल यही है की आख़िर देश में अन्य नेताओं, समाज सुधारकों की जयंतियां बढ़े ही धूमधाम से हर वर्ग , जातियों के लोग मनाते हैं लेकिन महान राजा अशोक की जयंती नहीं आखिर क्यों ? शायद इस लिए क्यों की वे सवर्ण जाति की नहीं थे ? या उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया ? जाति से हटकर सम्राट अशोक ने भारत को वो दिया जो आज तक कोई दे न सका और आगे भी दे न सकेगा । ऐसे महान सम्राट के जन्म दिन पर सरकार अवकाश तक नहीं रखती आखिर क्यों ? क्या देश के नेता अपनी वाहवाही के लिए अशोक और बौद्ध धर्म का इस्तेमाल करते हैं ?

अंत में यही कहना चाहूंगा की कुछ संकीर्ण मनसिकता के लोगों ने इतिहास में सम्राट अशोक की भूमिका कॊ कमतर आंकने की पुनः कोशिश कि है । ये वे लोग हैं जो दूसरों के महत्व कॊ कम बता कर अपना महिमा मंडन करते हैं । स्वार्थपूर्ण अहंकार से ग्रस्त लोग समाज का व्यापक हित कभी नहीं देखते और सत्य से मुहँ फेर लेते हैं । ये दो कौड़ी में बिकने वाले लोग सूरज पर थूकने की कोशिश करते हैं और अपना मुंह झुलसा लेते हैं । ऐसे कुंठा ग्रस्त लोगो को जान लेना चाहिए कि भारत की विश्व पटल पर जो पहचान है वह बुद्ध और अशोक के कारण ही है । इन लोगों को चाहिए कि अपनी अल्पबुद्धि और समय को सत्यान्वेषण में लगाएं ताकि कुछ जान सकें और इंसान बन सकें ।

लगभग 2300 साल पहले सम्राट अशोक की मृत्यु हो गई. लेकिन उनकी विरासत की झलक आज भी आधुनिक भारत के प्रशासनिक प्रतीकों पर दिखाई देती है. हमारे राष्ट्रीय झंडे का चक्र भी सम्राट अशोक की देन है. अशोक स्तंभ भी अशोक की देन है । अशोक गंभीर प्रकृति का साहसी और बड़ा चरित्रवान् शासक था । उसके चरित्र की महानता इसी बात से स्पष्ट हो जाती है कि युद्ध लोलुप काल में उसने शांति और अहिंसा का मार्ग अपनाया । सम्राट अशोक की शिक्षाएं और उसका सुशासन आज भी हमारे संविधान का बुनियादी आधार हैं । आज की लोकतांत्रिक सरकारों कॊ अशोक महान से शासन के गुरुमंत्र सीखने चाहिए ।