कृषि क्रान्ति और किसान नेतृत्व लेखक चौ महाराज सिंह भारती”प्रस्तुतकर्ता” – इंजी अलप भाई पटेल

झूम की खेती-: जब जनसंख्या बढ़ने पर वनों से आहार जुटाना दुर्लभ हो गया तो आदिवासियों ने चलती फिरती खेती से भी आहार जुटाना आरंभ कर दिया जंगल के पेड़ काटकर लकड़ी का मकान बनाने और जलाने के लिए भंडारित कर ली तथा शेष डालें और पत्तियों को सुखाकर आग लगाकर उच्च कटे हुए वन क्षेत्र को घास पात से मुक्त करके उसमें खेती कर ली 3 या 4 वर्ष में भूमि की उर्वरा शक्ति कमजोर हो गई घास पात अधिक उगने लगे तो उक्त क्षेत्र को छोड़कर फिर कोई…

अर्जक संघ और रामस्वरूप वर्मा: उपेन्द्र पथिक

आज़ादी के बाद भारत में समाज सुधार की आवश्यकता थी जिसे जाने माने समाज सुधारक और मानववादी दार्शनिक रामस्वरूप वर्मा जी ने अर्जक संघ की स्थापना करके पूरा किया. भारतीय समाज में पुनर्जन्म, भाग्यवाद, जातिगत भेदभाव, छुआछूत, कर्मकांड, धर्मांधता, कुरीतियां, सामंतवाद, विषमता, निरादर और दरिद्रता समेत कई प्रकार की समस्याएं व्याप्त थी.और आज भी हैं. इसके ख़िलाफ़ बहुजन/अर्जक समाज में समय समय पर अलग-अलग नायकों के आह्वान पर आवाजें उठती रही हैं. इन्हीं नायकों में जाने माने समाज सुधारक, राजनीतिज्ञ, विद्वान लेखक, कुशल पत्रकार, वैज्ञानिक चेतना के वाहक, क्रांतिकारी, आंदोलनकारी…

झूठ को सच हमेशा बताना पड़ा: बलजीत सिंह बेनाम

ग़ज़ल झूठ को सच हमेशा बताना पड़ाफ़र्ज़ यूँ भी बशर का निभाना पड़ा आपकी बज़्म में लौटने के लिएहर क़दम क़ीमतों को बढ़ाना पड़ा ज़िंदगी के सभी सुर समझ आ गएप्यार के राग को भूल जाना पड़ा इक सुहागन को जीवन ही सारा अगरएक विधवा के जैसे बिताना पड़ा बेसबब गर्व का खामियाज़ा यहीसर झुकाया नहीं सर कटाना पड़ा बलजीत सिंह बेनाम       सम्प्रति:संगीत अध्यापक        सम्पर्क सूत्र: 103/19 पुरानी कचहरी कॉलोनी, हाँसीज़िला हिसार(हरियाणा)मोबाईल नंबर:9996266210

प्रकृति की सहनशीलता अब खत्म होने को: प्रफुल्ल सिंह “बेचैन

प्रकृति, जिसके जितने करीब जाओ उतनी ही अपनी ओर खींचने को आतुर। बाहरी और आंतरिक सौंदर्य से लबालब। अद्भुत सम्मोहन शक्ति की स्वामिनी। इतनी मोहक कि एक रूखा व्यक्ति भी दो पल के लिए ठिठक जाता है। विभिन्न रूप और हर रूप का अपना अलग दैवीय सौंदर्य। इसके सौंदर्य का रसपान एक प्रकृति प्रेमी ही कर सकता है। वही महसूस कर सकता है इसकी विभीषिक में, कांटों में और संघर्षों में भी इसका अनूठा सौंदर्य।  सघन अरण्य की ओर रुख करें तो अपने बाहुपाश में बांध लेती है प्रकृति। अनुपम सौंदर्य,…

जब बुद्ध ने युवक को सत्संग का महत्व समझाया : आदर्श कुमार

बुद्ध एक गाँव में ठहरे हुए थे। वे प्रतिदिन शाम को वहाँ पर सत्संग करते थे। भक्तों की भीड़ होती थी, क्योंकि उनके प्रवचनों से जीवन को सही दिशा बोध प्राप्त होता था। बुद्ध की वाणी में गजब का जादू था। उनके शब्द श्रोता के दिल में उतर जाते थे। एक युवक प्रतिदिन बुद्ध का प्रवचन सुनता था। एक दिन जब प्रवचन समाप्त हो गए, तो वह बुद्ध के पास गया और बोला, ‘महाराज! मैं काफी दिनों से आपके प्रवचन सुन रहा हूँ, किंतु यहाँ से जाने के बाद मैं…