पंचतत्व जीवन के लिए आधार माने गए हैं। उसमें से एक तत्व जल भी है। अगर जल ही नहीं रहेगा तो जीवन की कल्पना कैसी और सृष्टि का निर्माण कैसा? जल का महत्व इस बात का भी परिचायक है कि दुनिया की बड़ी-बड़ी सभ्यताएँ और प्राचीन नगर नदियों के किनारे ही बसे और फले-फूले। लेकिन,आज विकास की अंधी दौड़ और विलासिता भरी जिंदगी में प्राकृतिक संसाधनों का तो जैसे कोई मोल नहीं रह गया है। पर्यावरण के साथ निरंतर खिलवाड़ का यह परिणाम हुआ कि आज दुनिया के अधिकांश देश…
Category: संपादकीय
सिर्फ दिल की बीमारियां नही है दिल के दर्द के कारण को जाने।
हमारे शरीर में दिल की संरचना काफी जटिल होती है और स्वस्थ रहने के लिए इसका स्वस्थ रहना बहुत जरूरी है। क्योंकि हमारे शरीर के विभिन्न अंगों को रक्त पहुंचाने का कार्य यही करता है। लेकिन लोगों के बीच इससे जुड़े कई मिथक प्रचलित हैं, आइए उन मिथकों और हकीकत के बारे में जानते हैं। इन वजहों से आप हो सकते हैं बहरे, कैसे करें बचाव मिथक: दिल की बीमारियों और ब्रेन स्ट्रोक में कोई संबंध नहीं है। हकीकत: दिल की बीमारियों और ब्रेन स्ट्रोक में गहरा संबंध है। कोरोनरी…
मुनस्यारी का सफर विकाश मुसाफिर के साथ
‘देवों की भूमि’ के रूप में प्रसिद्ध उत्तराखंड अपनी खूबसूरती के लिए पूरी दुनिया में फेमस है। यहां कुछ ऐसी चुनिंदा जगहे हैं जहां घूमने के लिए देश से ही नहीं बल्कि, विदेशों से भी सैलानी आते रहते हैं। उत्तराखंड के इन्हीं चुनिंदा जगहों में से एक है मुनस्यारी। मुनस्यार दो शब्दों ‘मुन’और ‘स्यार’ से मिलकर बना है। मुन का अर्थ है बर्फ (हिमकण जिसे स्थानीय भाषा में ‘मुण’ भी कहा जाता है) और स्यार का अर्थ है कीचड़। मतलब इस बर्फीले इलाके में बर्फ व कीचड़ के घालमेल की…
बच्चों की शिक्षा सुचारू बनाना सबसे ज्यादा जरूरी : आदर्श कुमार शाक्य
शिक्षा और स्वास्थ्य दोनों के व्यक्तिगत और सामाजिक फायदे हैं। अच्छी शिक्षा और स्वास्थ्य का अर्थ होता है भविष्य में अच्छी नौकरी, आमदनी और परिवार का बेहतर जीवनस्तर। वहीं सामाजिक फायदे यह हैं कि स्वस्थ और शिक्षित नागरिक देश के आर्थिक व चहुंमुखी विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यानी शिक्षा व स्वास्थ्य मानव विकास के लिए बहुत जरूरी हैं। इसीलिए दुनियाभर के विकसित व विकासशील देश दोनों क्षेत्रों में खुले दिल से पैसा खर्च करते हैं। कई देशों में सरकारी अस्पताल व स्कूल दोनों ही उच्चतम दर्जे के होते…
जब एक छिपकली कर सकती है, तो हम क्यों नहीं।
जब एक छिपकली कर सकती है, तो हम क्यों नहीं। अपने मकान का नवीनीकरण करने के लिये, एक जापानी अपने मकान की दीवारों को तोड़ रहा था। जापान में लकड़ी की दीवारों के बीच ख़ाली जगह होती हैं, यानी दीवारें अंदर से पोली होती हैं। जब वह लकड़ी की दीवारों को चीर-तोड़ रहा था, तभी उसने देखा कि दीवार के अंदर की तरफ लकड़ी पर एक छिपकली, बाहर से उसके पैर पर ठुकी कील के कारण, एक ही जगह पर जमी पड़ी है। जब उसने यह दृश्य देखा तो उसे…
कौन किसकी सुध ले, आज भी गटर में मरते हैं लोग : आदर्श कुमार
हम किस युग में जी रहे हैं? मानव जीवन का क्या कोई मूल्य नहीं रह गया है? हमारा देश तरक्की कर रहा है। स्मार्ट सिटी बन रहे हैं। लेकिन हम हृदय विहीन होते जा रहे हैं। नगरों में हो रही सीवर सफाई के दौरान सफाई कर्मचारियों की मौतों पर हम मुँह बंद किये बैंठे हैं। इंसानों से सीवर और सेप्टिक टैंकों की सफाई करवाना बंद करने की सालों से उठ रही मांगों के बावजूद यह अमानवीय काम आज भी जारी है। इसी के साथ ही सीवर और सेप्टिक टैंकों में…
क्या आपको पता है कि आज आप किनके साथ अपना जन्मदिन शेयर कर रहे हैं?
धर्मगुरु दलाई लामा : धर्मगुरु दलाई लामा का जन्म आज ही के दिन साल 1935, 6 जुलाई को तिब्बत में हुआ था. इनका असली नाम ल्हामो दोंडुब है. जब ये दो साल के थे तभी इन्हें 13वें दलाई लामा थुबतेन ग्यात्सो का अवतार माना गया. और कुछ समय बाद 14वां दलाई लामा घोषित कर दिया गया. दलाई लामा एक मंगोलियाई पदवी है जिसका मतलब होता है ज्ञान का महासागर और दलाई लामा के वंशज करूणा, अवलोकेतेश्वर के बुद्ध के गुणों के साक्षात रूप माने जाते हैं। बोधिसत्व ऐसे ज्ञानी लोग…
बीमार होता देश और बेकाबू होती आबादी : आदर्श कुमार
आज भारत देश अनेक प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रस्त नजर आ रहा है। बढ़ती आबादी के बोझ तले देश का विकास और स्वास्थ्य सेवाएं बौनी साबित हो रही हैं। देश में विकास की गति कम नहीं है, किंतु आबादी पर नियंत्रण न होने के कारण समस्याएं कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। भारत की लगभग सभी समस्याओं के मूल में जनसंख्या विस्फोट प्रमुख कारण है। इससे लोगों की मानसिकता, शारीरिक स्वास्थ्य और जीवन में गुणवत्ता गंभीर रूप से प्रभावित हो रही है। बढ़ती हुई आबादी के कारण…
पर्यावरण को बचाना है तो वृक्षारोपण है जरूरी : आदर्श कुमार (सम्पादक दस्तक मीडिया ग्रुप)
जंगल हों या वृक्ष इनका मानव जीवन में महत्त्वपूर्ण योगदान है। असलियत यह है कि वृक्ष दुनिया में जीवन का समर्थन करने वाली अहम और महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाहते हैं। यह ऑक्सीजन का उत्पादन करते हैं और कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं। लेकिन आज जिस तेजी से समूची दुनिया में जंगल खत्म हो रहे हैं, उससे ऐसा लगता है कि वह दिन दूर नहीं जब जंगलों के अभाव में धरती पर पाई जाने वाली बहुमूल्य जैव सम्पदा बड़ी तादाद में नष्ट हो जाएगी जिसकी भरपाई की कल्पना ही बेमानी होगी।…
अकेला जीवन-रितेश मौर्य
अकेलाअकेले ही जीवन जीते हैंअपने जैसा कोई नहीं?मिलने को तो बहुत मिलेपर हम सा कोई मिला नहीं? किसी को हमसे धन चाहिएतो किसी को हमसे वादा,आजकल जो मिलते हैं उनकाकोई न कोई होता है नेक इरादा। झुण्ड में चलने से सड़कभरी भरी सी लगती है,पर जब धन खत्म होता है तोजिन्दगी अकेली सी लगती है। अंधेरे ही हमें बताता है कि….उजाला कितना ज़रूरी है,किसी से ज्यादा लगाव न करोदूरी का होना भी ज़रूरी है। अकेले चलने वाले कभीमुड़ के देखते नहीं है,किसी के जख्म पर नमक रखअपनी रोटी कभी सेंकते…
जब बुद्ध ने बताया पूजा का तरीका: आदर्श कुमार
राजगृह पथ पर जा रहे गौतम बुद्ध ने देखा, एक गृहस्थ भीगे वस्त्र पहने सभी दिशाओं को नमस्कार कर रहा था। बुद्ध ने पूछा, ”महाशय, इन छह दिशाओं की पूजा का क्या अर्थ है ? यह पूजा क्यों करनी चाहिए ?”गृहस्थ बोला, “यह तो मैं नहीं जानता।”बुद्ध ने कहा, “बिना जाने पूजा करने से क्या लाभ होगा ?”गृहस्थ ने कहा, ”भंते, आप ही कृपा करके बतलाएँ कि दिशाओं की पूजा क्यों करनी चाहिए ?” तथागत बोले, “ पूजा करने की दिशाएँ भिन्न हैं । माता-पिता और गृहपति पूर्व दिशा हैं,…
खसरे का खतरा भारत पर : आदर्श कुमार
खसरा एक वायरल बीमारी है जो कि सबसे ज्यादा छोटे बच्चों को प्रभावित करती है। जब कोई व्यक्ति इस वायरस से संक्रमित होता है, तो संक्रमण दस दिनों तक रह सकता है, जिसके दौरान व्यक्ति बुखार और चकत्ते के अलावा कान में संक्रमण, तेज बुखार, थकान, गंभीर खांसी, लाल या खून वाली आंखें, और नाक बहना ,दस्त और निमोनिया जैसी विभिन्न बीमारियों का अनुबंध कर सकता है। इस साल अब तक इस बीमारी के प्रकोप में कुल 3,534 बच्चे आ चुके हैं और बहुत से बच्चों की मौत हो चुकी…
बेरोजगार ज़िंदगी की कहानी
जॉबएक जॉब को पाने के लिएहर कोई बेताब है, सरकारी नौकरी पाना तो इस समय एक ख्वाब है । हर कोई संघर्ष कर रहा हैपल पल वक्त बदल रहा है ,सब अपने कल को बदलने के लिएआज बड़े वेग से आगे चल रहा है। मांग कर पापा से कब तक खर्च चलाऊंगा,नौजवान हो गया हु मै कबपैसे कमाऊंगा?बड़े उपकार है माता पिता केमैं कैसे उनको खुश कर पाऊंगा ? जब चलता हूं तो बस एक ही धुन सुनता हूंजॉब पाने के सपने को मन में बुनता हूं,इतनी डिग्री लेकर भी…
कृषि-रसायन का बढ़ता उपयोग वरदान या अभिशाप :आदर्श कुमार
कृषि-रसायन वे पदार्थ हैं, जिनका उपयोग मनुष्य कृषि पारिस्थितिकी तंत्र के प्रबंधन हेतु करता है। कृषि रसायनों का इस्तेमाल फसल उत्पादन में सुधार के लिए शुरू हुआ था, लेकिन वर्तमान में इन रसायनों का अधिक एवं असंतुलित मात्रा में प्रयोग हो रहा है। ये रसायन आसपास मृदा और जल निकायों में रिसते हैं और पर्यावरण को प्रभावित करते हैं। आज कृषि रसायनों के प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से संपर्क में आने वाले किसानों तथा उनके परिवार के सदस्यों का स्वास्थ्य भी गंभीरता से प्रभावित होता है। भारत में बहुसंख्यक आबादी…
भारतीय रिजर्व बैंक की नई शुरुआत ई-रुपया : आदर्श कुमार
आरबीआई की ओर से सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) को लेकर 7 अक्टूबर, को एक कॉन्सेप्ट नोट जारी किया गया। इस कॉन्सेप्ट नोट में सेंट्रल बैंक ने बताया है कि वह कुछ खास इस्तेमालों के लिए जल्दी ही डिजिटल करेंसी (ई-रुपया) पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लॉन्च करेगा। इस कॉन्सेप्ट नोट में टेक्नोलॉजी और डिजाइन के साथ ई-रुपया के उपयोग एवं इसे जारी करने के सिस्टम पर चर्चा की गई है। ई-रुपया के अंतिम रूप पर फैसला पायलट प्रोजेक्ट से मिले फीडबैक के आधार पर ही आरबीआई की ओर से…
हर समय पाखंडियों ने बहुजन मूलनिवासी समाज ठगा, देवी देवताओं पर क्या थी रामास्वामी पेरियार की सोच?
आज़ादी से पहले और इसके बाद के तमिलनाडु में पेरियार का गहरा असर रहा है और राज्य के लोग उनका कहीं अधिक सम्मान करते हैं. पेरियार के नाम से विख्यात, ई. वी. रामास्वामी का तमिलनाडु के सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्यों पर असर इतना गहरा है कि कम्युनिस्ट से लेकर दलित आंदोलन विचारधारा, तमिल राष्ट्रभक्त से तर्कवादियों और नारीवाद की ओर झुकाव वाले सभी उनका सम्मान करते हैं, उनका हवाला देते हैं और उन्हें मार्गदर्शक के रूप में देखते हैं. तर्कवादी, नास्तिक और वंचितों के समर्थक होने के कारण उनकी सामाजिक…
“कृषि क्रांति और किसान नेतृत्व लेखक चौ महाराज सिंह भारती “प्रस्तुतकर्ता -: इंजी अलप भाई पटेल
भाग -:9 भूमिगत जल सर्वेक्षण-: आज के वैज्ञानिक युग में आकाश में उड़ते हुये उपग्रह अदृश्य किरणों द्वारा भूमिगत जल भण्डारों का पता लगा लेते हैं। 1981 में, मिश्र सरहद पर, सहारा रेगिस्तान में, उपग्रह द्वारा एक विशाल भूमिगत नदी का पता लगाया गया। मौके पर नलकूप बोरिंग करके एक लाख बाईस हजार हैक्टर भूमि सींचने योग्य पानी मिल गया। इसी प्रकार राजस्थान में भी भूमिगत बहने वाली, गप्त नदी सरस्वती का पूरा पता चल गया है। जो सरस्वती कभी हरे भरे राजस्थान में, हिमालय से चलकर, लून नदी से…
पुस्तक समीक्षा “भटका मुसाफिर” – The journey which is infinity
पुस्तक : “भटका मुसाफिर” लेखक : मौर्य अंकित यह किताब एक यात्रा वृत्तांत है। सामाजिक शिक्षा कल्याण एवं शिक्षकिय बदलाव को ध्यान में रखते हुए लिखी यह किताब युवाओं के बीच चर्चा का कारण इसलिए बनी है क्योंकि यह समाज में चल रही बनी-बनाई धारणाओं एवं बातों पर कडा प्रहार करती है। इस किताब को आप एक युवा का साहस कह सकते हैं। एक ऐसा साहस जो हमारे समाज के दिलों – दिमाग से ओझल सा हो रहा है। भारत में अकेली यात्रा करना और उसके अनुभवों को लिखना कोई…
कृषि क्रांति और किसान नेतृत्व लेखक चौ महाराज सिंह भारती
प्रस्तुतकर्ता -: इंजी अलप भाई पटेल
वर्षा -: नदी, तालाब, सागर और पेड़ पौधों की पत्तियों से जो जल भाप बनकर हवा में मिल जाता हैं ठण्ड पारक वही भाप पानी बनती है। छोटे स्तर पर वह पानी ओस की बूंद होता है। जाड़ों में हमारे मुंह से निकली हवा के पानी को भाप के पानी में बदलता है और बड़ा रूप कोहरा है। उससे बड़ा रूप बादल और वर्षा है। अत्यधि शक ठण्ड हवा के पानी को बर्फ अथवा ओले में बदल देती है। भारत में अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से उठी मानसूर…
अर्जक संघ की परंपरा के अनुसार शादियां करवाते हैं उपेंद्र पथिक
बिहार राज्य में नवादा जिले के उपेंद्र पथिक एक कीर्तिमान बना चुके हैं। वर्ष 1980 के दशक से वे अर्जक संघ की परंपरा के अनुसार शादी संस्कार कराते रहे हैं। पेशे से शिक्षक और एक परिवार का मुखिया होने के बावजूद यह काम वह कैसे कर पाते हैं यह विचारणीय विषय है। बिहार के मगध इलाके में उपेंद्र पथिक का नाम उनलोगों के बीच खास तौर पर लोकप्रिय है जो ब्राहमणवाद के इतर मानववाद में विश्वास करते हैं। इसकी वजह भी है। उपेंद्र पथिक ने अब तक तीन हजार से…