भारतीय रिजर्व बैंक की नई शुरुआत ई-रुपया : आदर्श कुमार

आरबीआई की ओर से सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) को लेकर 7 अक्टूबर, को एक कॉन्सेप्ट नोट जारी किया गया। इस कॉन्सेप्ट नोट में सेंट्रल बैंक ने बताया है कि वह कुछ खास इस्तेमालों के लिए जल्दी ही डिजिटल करेंसी (ई-रुपया) पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लॉन्च करेगा।

इस कॉन्सेप्ट नोट में टेक्नोलॉजी और डिजाइन के साथ ई-रुपया के उपयोग एवं इसे जारी करने के सिस्टम पर चर्चा की गई है। ई-रुपया के अंतिम रूप पर फैसला पायलट प्रोजेक्ट से मिले फीडबैक के आधार पर ही आरबीआई की ओर से लिया जाएगा। यह कॉन्सेप्ट नोट लोगों में जागरुकता फैलाने के उद्देश्य से जारी किया गया है, ताकि डिजिटल करेंसी के सही तरीके के बारे में लोगों को जागरूक किया जा सके। इसके साथ ही आरबीआई ने भारतीय रुपए के समानांतर ई-रुपयाके पायलट लॉन्च की बात कही है। साथ ही यह भी बताया गया है की डिजिटल करेंसी आने के बाद कैश रखने की जरूरत नहीं पड़ेगी। यह मोबाइल वॉलेट की तरह काम करेगी। इसे रखने पर ब्याज भी मिल सकता है। डिजिटल करेंसी को मोबाइल वॉलेट या अकाउंट में रखा जा सकता है। साथ ही इसके इस्तेमाल से पेपर करेंसी के उपयोग में भी कमी आएगी। ई- रुपये का डिजिटल अवतार टोकन आधारित होगा। इसका मतलब यह है कि आप जिस व्यक्ति को पैसे भेजना चाहते हैं, उसकी पब्लिक ‘की’ के जरिये भेज सकते हैं। ये एक ईमेल आईडी जैसा हो सकता है। आपको पैसे भेजने के लिए प्राइवेट की या पासवर्ड डालना होगा। बता दें, ई- रुपया बिना इंटरनेट के भी कार्य करेगा। हालांकि इस पर विस्तार से जानकारी आनी बाकी है। वैसे 11 देश डिजिटल करेंसी लॉन्च कर चुके हैं। लेकिन, ये छोटे देश हैं। जैसे बहामास, जमैका, नाइजीरिया और ईस्टर्न कैरिबियन के आठ देश। चीन में पिछले दो साल से डिजिटल करंसी पायलट प्रोजेक्ट के स्तर पर है और टेस्टिंग जारी है। वहीं, अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों में अभी रिसर्च चल रही है। बताया जा रहा है कि डिजिटल करेंसी को सबसे पहले पायलट प्रोजेक्ट के लिए देश के 4 सरकारी बैंकों भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ बड़ौदा को शामिल किया गया है।

भारत में क्रिप्टोकरेंसी की अधिक मांग है। आरबीआई शुरू से इसका विरोध करता रहा है। अब क्रिप्टोकरेंसी के जवाब में ही ई-रुपी लॉन्च किया जा रहा है। यह रुपए के मौजूदा डिजिटल स्वरूप की जगह नहीं लेगा, बल्कि लेनदेन का एक और माध्यम उपलब्ध कराएगा। आरबीआई का मानना है कि ई-रुपी डिजिटल इकोनॉमी को बढ़ावा देगा। पेमेंट सिस्टम अधिक प्रभावी बनेगा। यह जोखिम-मुक्त वर्चुअल करेंसी होगी। यह सुरक्षित डिजिटल करेंसी के सभी पैमानों पर खरी उतरेगी। डिजिटल करेंसी आने से सरकार के साथ आम लोगों और बिजनेस के लिए लेनदेन की लागत कम हो जाएगी।

वर्ल्ड बैंक का अनुमान है कि अभी इस तरह दूसरे देशों में पैसे भेजने पर 7 प्रतिशत से अधिक का शुल्क चुकाना पड़ता है, जबकि डिजिटल करेंसी के आने से इसमें 2 प्रतिशत तक की कमी आएगी। इससे लो इनकम वाले देशों को हर साल 16 अरब डॉलर (1.2 लाख करोड़ रुपए) से ज्यादा पैसे मिलेंगे।

इन सबके इतर ई- रुपया के चलन से वास्तविक समय में डेटा के विशाल मात्रा के उत्पन्न होने की उम्मीद है। डेटा की गोपनीयता इसकी अनामिकता से संबंधित चिंताएँ और इसका प्रभावी उपयोग एक चुनौती होगी। ग्रामीण-शहरी विभाजन के आधार पर डेटा पृथक्करण की सुविधा भी प्रदान करता है। केवल 48.7 प्रतिशत ग्रामीण पुरुषों और 24.6 प्रतिशत ग्रामीण महिलाओं ने कभी इंटरनेट का उपयोग किया है। इसलिये सीबीडीसी डिजिटल डिवाइड के साथ-साथ वित्तीय समावेशन में लिंग आधारित बाधाओं को बढ़ा सकता है। इस लिए जरूरी है पहले पायलट प्रोजेक्ट पर काम हो तब इसे लागु किया जाए।

Adarsh Kumar