सिर्फ दिल की बीमारियां नही है दिल के दर्द के कारण को जाने।

हमारे शरीर में दिल की संरचना काफी जटिल होती है और स्वस्थ रहने के लिए इसका स्वस्थ रहना बहुत जरूरी है। क्योंकि हमारे शरीर के विभिन्न अंगों को रक्त पहुंचाने का कार्य यही करता है। लेकिन लोगों के बीच इससे जुड़े कई मिथक प्रचलित हैं, आइए उन मिथकों और हकीकत के बारे में जानते हैं।

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मिथक: दिल की बीमारियों और ब्रेन स्ट्रोक में कोई संबंध नहीं है।
हकीकत: दिल की बीमारियों और ब्रेन स्ट्रोक में गहरा संबंध है। कोरोनरी हार्ट डिसीज स्ट्रोक का खतरा बढ़ा देती हैं। दिल की असामान्य धड़कनों के कारण स्ट्रोक की आशंका 4-5 गुनी हो जाती है। असामान्य धड़कनों के कारण हृदय के चैंबरों में क्लॉट का निर्माण हो सकता है, जिससे मस्तिष्क की ओर रक्त का प्रवाह प्रभावित होता है और यही स्ट्रोक है। उच्च रक्तदाब, रक्त में कोलेस्ट्रॉल और ग्लूकोज का बढ़ा हुआ स्तर, धूम्रपान, खानपान की गलत आदतें और मोटापा दिल की बीमारियों और ब्रेन स्ट्रोक दोनों के ही रिस्क फैक्टर्स हैं।

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मिथक: दिल में दर्द केवल हृदय रोगों के कारण ही होता है?
हकीकत: हम दिल में दर्द को सीधे महसूस नहीं कर सकते। यह छाती में दर्द के द्वारा महसूस होता है। हृदय रोगों के कारण छाती में होने वाले दर्द को एन्जाइना कहते हैं। एन्जाइना तब होता है, जब हृदय की मांसपेशियों को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन युक्त रक्त की आपूर्ति नहीं होती है। इस कारण हृदय में दबाव महसूस होता है। एन्जाइना अपने आपमें कोई रोग नहीं है, बल्कि कोरोनरी हार्ट डिसीज का एक संकेत है। हार्ट अटैक में छाती में दर्द के साथ दूसरे कई अन्य लक्षण भी दिखाई देते हैं। छाती में दर्द पाचन, श्वसन, मांसपेशियों और हड्डियों से संबंधित समस्याओं के कारण भी हो सकता है।

अगली स्लाइड में जानें दिल की तीन बीमारी कौन सी हैं और उनमें क्या अंतर है…

कोलेस्ट्रॉल को कम करने वाली दवाओं का सेवन करने के बाद क्या आप कुछ भी खा सकते हैं…
मिथक: विटामिन्स के सप्लीमेंट्स का सेवन हृदय रोगों की आशंका को कम कर सकता है।
हकीकत: एंटी ऑक्सिडेंट, विटामिन ई, सी और बीटा कैरोटिन हृदय रोगों की आशंका को कम कर देते हैं, लेकिन इनका अभी तक कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं मिला है। वैसे ये हृदय की सुचारू कार्यप्रणाली के लिए बहुत आवश्यक हैं, लेकिन इन्हें प्राकृतिक रूप में लेना चाहिए, सप्लीमेंट्स के रूप में बिल्कुल नहीं।

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मिथक: कोलेस्ट्रॉल को कम करने वाली दवाओं का सेवन करने पर आप कुछ भी खा सकते हैं।
हकीकत : रक्त में कोलेस्ट्रॉल दो स्रोतों से आता है। कुछ आपका लिवर बनाता है और कुछ मात्रा आपको कुछ खास भोजन से मिलती है। लेकिन अगर आप अधिक मात्रा में सैचुरेटेट फैट और कोलेस्ट्रॉल युक्त भोजन खाएंगे तो कोलेस्ट्रॉल को कम करने वाली दवाएं भी प्रभावकारी नहीं होंगी। इसलिए इनका सेवन उचित मात्रा में करें।

बीमार दिल के हैं तीन नाम, जानें क्या है अंतर
हार्ट अटैक, हार्ट फेलियर और कार्डिएक अरेस्ट, तीनों ही बीमार दिल के अलग-अलग नाम हैं। लेकिन ये तीनों हृदय से जुड़ी समस्याओं के स्तर और गंभीरता के मामले में अलग-अलग हैं।

हार्ट अटैक
हमारे हृदय को भी लगातार भोजन और ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। अगर हृदय को रक्त पहुंचाने वाली धमनियां संकरी हो गई हैं या क्लॉट जमने से अवरुद्ध हो गई हैं तो हृदय की मांसपेशियों को भोजन व ऑक्सीजन नहीं मिलती और वो मरने लगती हैं। इससे हृदय कमजोर पड़ जाता है और शरीर में पर्याप्त मात्रा में रक्त का प्रवाह नहीं हो पाता। इस पूरी प्रक्रिया को हार्ट अटैक आना कहा जाता है।

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हार्ट फेलियर
हार्ट फेलियर तब होता है, जब हृदय की मांसपेशियां अत्यधिक क्षतिग्रस्त हो जाती हैं और पर्याप्त मात्रा में शरीर में रक्त का संचरण नहीं कर पाती हैं। यह समस्या बुजुर्ग लोगों को अधिक प्रभावित करती है। सांस उखड़ना, थकान और पंजों में सूजन इसके प्रमुख लक्षण हैं। हार्ट फेलियर का यह अर्थ नहीं होता है कि हृदय ने काम करना बंद कर दिया है। इसका अर्थ है इसे जितना रक्त पंप करना चाहिए, उतना यह नहीं कर रहा है। यह कोरोनरी हार्ट डिसीज, हृदय के वॉल्व या मांसपेशियों के क्षतिग्रस्त होने या वायरस के संक्रमण के कारण भी हो सकती है।

कार्डिएक अरेस्ट
हमारे देश में दिल की बीमारियों से होने वाली मौतों में आधी संख्या उन लोगों की है, जो कार्डिएक अरेस्ट से मरते हैं। इसमें मरीज को अस्पताल ले जाने की मोहलत भी नहीं मिलती। कार्डिएक अरेस्ट में दिल के बंद होने से रक्त का संचरण पूरी तरह बंद हो जाता है।