खसरे का खतरा भारत पर : आदर्श कुमार

खसरा एक वायरल बीमारी है जो कि सबसे ज्यादा छोटे बच्चों को प्रभावित करती है। जब कोई व्यक्ति इस वायरस से संक्रमित होता है, तो संक्रमण दस दिनों तक रह सकता है, जिसके दौरान व्यक्ति बुखार और चकत्ते के अलावा कान में संक्रमण, तेज बुखार, थकान, गंभीर खांसी, लाल या खून वाली आंखें, और नाक बहना ,दस्त और निमोनिया जैसी विभिन्न बीमारियों का अनुबंध कर सकता है। इस साल अब तक इस बीमारी के प्रकोप में कुल 3,534 बच्चे आ चुके हैं और बहुत से बच्चों की मौत हो चुकी है। इसी बीच अब बात खसरे के टीकाकरण की हो रही है, जिसमें दुनिया भर के कई देश पिछड़ गए हैं और इन देशों मे भारत भी शामिल है। दरअसल भारत में हाल ही में कई राज्यों में बच्चों को खसरा हो जाने के मामलों में चिंताजनक वृद्धि हुई है। एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 2021 में भारत समेत कई देशों में चार करोड़ बच्चों को खसरे के टीके की खुराक नहीं मिली। भारत में महाराष्ट्र विशेष रूप से इस समय खसरे के प्रकोप से जूझ रहा है। मीडिया रिपोर्टों में दावा किया जा रहा है कि मुंबई और उसके आस पास के इलाकों में तो पिछले एक महीने में 13 बच्चों की खसरे से मौत हो चुकी है।

महाराष्ट्र के अलावा बिहार, गुजरात, हरियाणा, झारखंड और केरल में भी मामलों की संख्या के बढ़ने की खबरें आई हैं। राज्य सरकारें और केंद्र सरकार चिंतित हैं और रोकथाम के कदम तुरंत शुरू करने की तैयारी की जा रही है। लेकिन अब सामने आया है कि यह सिर्फ भारत की समस्या नहीं है, बल्कि पूरी दुनिया में खसरे के मामलों में बढ़ोतरी की समस्या मुंह बाए खड़ी है। एक नई रिपोर्ट ने दावा किया है कि 2021 में पूरी दुनिया में करीब चार करोड़ बच्चों को खसरे के खिलाफ दिए जाने वाले टीके की खुराक नहीं मिली। विश्व स्वास्थ्य संगठन और अमेरिका की सीडीसी द्वारा संयुक्त रूप से जारी की गई इस रिपोर्ट में बताया गया है कि करीब 2.5 करोड़ बच्चों को पहली खुराक नहीं मिली और करीब 1.47 करोड़ बच्चों को दूसरी खुराक नहीं मिली।

रिपोर्ट दिखा रही है कि प्रभावपूर्ण ढंग से कोविड-19 महामारी की वजह से स्वास्थ्य व्यवस्था में जो उथल पुथल हुई उसके असर के रूप में टीकाकरण का स्तर अभी भी पहले जैसे नहीं हो पाया है। यह गिरावट खसरे को दुनिया से जड़ से मिटाने के प्रयासों के लिए एक बड़ा धक्का है। वहीं खसरा के मामले बढ़ रहे हैं तो भारत सरकार सतर्क हो गई है। स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव पी अशोक बाबू ने एक विशेषज्ञों की बैठक बुलाई जिसमें उन्होंने खसरे के टीकाकरण को लेकर कुछ खास सुझाव दिए हैं। केंद्र ने कहा कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सलाह दी जाती है कि वे संवेदनशील क्षेत्रों में नौ महीने से पांच साल के सभी बच्चों को अतिरिक्त खुराक देने पर विचार करें। यह खुराक नौ-12 महीने में पहली खुराक और 16-24 महीने में दूसरी खुराक के प्राथमिक टीकाकरण कार्यक्रम के अतिरिक्त होगी बता दें कि यूनिवर्सल इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम के तहत हर बच्चे को खसरे के टीके की दो खुराक लगनी चाहिए। पहली खुराक 9 से 12 महीने के बीच और दूसरी खुराक 16 से 24 महीने के बीच। लेकिन, अब इसके अलावा अतिरिक्त खुराक भी दी जाएगी।

गौरतलब है की अगर टीका सही समय पर दे दिया जाए तो खसरे को लगभग पूरी तरह से होने से रोका जा सकता है। लेकिन चूंकि यह इतना संक्रामक है, इसे पूरी तरह से नष्ट करने और नष्ट रहने के लिए हर्ड इम्युनिटी आवश्यक है। हर्ड इम्युनिटी तभी हासिल हो सकती है जब अनुमानित रूप से 95 प्रतिशत आबादी को टीके की दो या दो से ज्यादा खुराक दी जाए। 2021 में दुनिया भर में सिर्फ 81 प्रतिशत बच्चों को पहली खुराक और 71 प्रतिशत बच्चों को दूसरी खुराक मिल पाई थी। यह 2008 के बाद पहली खुराक का सबसे कम वैश्विक औसत था। भारत उन पांच देशों में शामिल था जहां सबसे ज्यादा बच्चों को पहली खुराक नहीं मिली। नाइजीरिया, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, इथियोपिया और इंडोनेशिया भी इस सूची में शामिल हैं। यह स्थिति दुनिया भर की सरकारों के लिए चिंता का विषय बन सकती है क्योंकि दुनिया का कोई भी इलाका कभी भी खसरे को पूरी तरह से मिटाने और मिटाए रखने में सफल नहीं हुआ है और इसका वायरस काफी जल्दी सीमाओं के पार फैल सकता है।

आदर्श कुमार (सम्पादक दस्तक मीडिया ग्रुप)