कन्नौज: शहर के विभिन्न स्कूलों की छात्राओं ने मेंहदी रचाओ प्रतियोगिता में दिखाई अपनी प्रतिभा

कन्नौज।नवरात्र के चौथे दिन माता के भक्तों ने मां कुष्मांडा की पूजा-अर्चना कर मनौतियां मांगीं। शहर के देवी मंदिरों में भक्तों की भीड़ रही। साथ ही शहर और देहात क्षेत्र के मंदिरों में मां दुर्गा के जयकारे गूंजे। लोगों ने घरों में भी माता की आराधना की।रविवार को माता के चौथे स्वरूप मां कुष्मांडा की पूजा अर्चना की गई। ब्रह्ममुहूर्त से ही भक्तों ने अखंड जाप शुरू कर दिया और धूमधाम से पूजा की। इन दिनों इत्रनगरी देवी मां के जयकारों से गूंज रही है।भोर होते ही सैकड़ों की संख्या में महिलाएं और पुरुष देवी मंदिरों में पहुंचकर नवरात्र के चौथे दिन माता दुर्गा की पूजा ‘कुष्मांडा’ के रूप में की विधि विधान से पूजन अर्चन कर जयकारे लगा रहे हैं। शहर स्थित इत्रनगरी के सिद्धपीठ माता फूलमती देवी मन्दिर, मॉं काली दुर्गा मन्दिर,मकरन्द नगर स्थित सिद्धपीठ मां सिंह वाहिनी देवी मन्दिर, मां भद्रकाली मंदिर, क्षेमकली मन्दिर, चौधरी सराय स्थित बाबा मनकामेश्वर मंदिर,भुजिया देवी मंदिर, तिर्वा स्थित माता अन्नपूर्णा देवी मन्दिर, नगर कोट स्थित मां राजेश्वरी पीताम्बरा मन्दिर , गोवर्धनी देवी मंदिर, शीतला देवी मंदिर समेत अन्य शक्तिपीठों पर देवी भक्तों की दर्शन के लिए भारी भीड़ उमड़ पड़ी।वहीं शहर के विभिन्न स्थलों पर आयोजित दुर्गा पाण्डालों में आचार्यों द्वारा विधि विधान से पूजा अर्चना कर देवी मां की आराधना की गई।एसबीएस इण्टर कालेज के खेल मैदान में सामाजिक आध्यात्मिक स्वयं सेवी संस्था के तत्वाधान में आयोजित दुर्गा महोत्सव पाण्डाल में रविवार को छात्र-छात्राओं ने मेंहदी प्रतियोगिता में प्रतिभाग कर अपना कौशल दिखाया।प्रतियोगिता में शहर के विभिन्न स्कूलों की छात्राओं ने भाग लिया।देर शाम मातारानी की महाआरती हुई जिसमें श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा।साथ ही देवी मंदिरों में फूलों से श्रृंगार किया गया। बाबू पंडित ने बताया कि मां की हंसी और ब्रह्माण्ड को उत्पन्न करने के कारण ही इन्हें कूष्मांडा देवी कहा जाता है। जिस समय सृष्टि नहीं थी।चारों और अंधकार ही था। तब देवी ने अपनी हंसी से ही ब्राह्माण्ड की रचना की थी। इसलिए यही सृष्टि की।आदि-स्वरूपा आदि शक्ति हैं। मां के सात हाथों में कमण्डल, धनुष बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा हैं। आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जपमाला है। मां का निवास सूर्यमंडल के भीतर माना जाता है। जहां कोई भी निवास नहीं कर सकता। मां कूष्मांडा की पूजा अर्चना से सभी प्रकार के रोग और परेशानियां समाप्त हो जाती हैं। मान्यता है मां कूष्मांडा कम सेवा और भक्ति से प्रसन्न हो जाती हैं। मां के इस स्वरूप की पूजा से आयु, यश, बल, और स्वास्थ्य में वृद्धि होती है। मंदिरों के बाहर पुलिस फोर्स तैनात रहा।

कन्नौज से संवाददाता पूनम शर्मा

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