एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाले पूर्व बॉक्सर नगंगोम डिंको सिंह का 42 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। साल 1998 में उन्होंने एशियाई खेलों में भारत को स्वर्ण पदक जिताया था। डिंको सिंह बीते कुछ वर्षों से बीमार थे और उनके लीवर का इलाज चल रहा था। इस दौरान वह कोरोना संक्रमित भी हुए। लेकिन कोविड को मात देने के बाद भी डिंको सिंह जिंदगी से जंग हार गए।
पुश्तैनी घर बेचा एम्स के सामने स्थित युसुफ सराय की तंग गलियों में रहकर इलाज के लिए संघर्ष किया, दुनिया को पता लगा कि उनका प्यारा मुक्केबाज डिंको सिंह बीमार है तो उनकी मदद के लिए पलक-पांवड़े बिछा दिए गए। लेकिन सब बेकार चला गया। उनके निधन से मैं बेहद दुखी हूं। मैं शोक संतृप्त परिवार के प्रति अपनी संवेदना प्रकट करता हूं।
डिंको सिंह के निधन पर शोक प्रकट करते हुए खेल मंत्री किरण रिरिजू ने ट्वीट कर लिखा, मैं डिकों सिंह के निधन पर आहत हूं, वह भारत के सर्वश्रेष्ठ मुक्केबाजों में से एक थे। साल 1998 में बैंकाक एशियाई खेलों में डिंको के स्वर्ण पदक ने भारत में बॉक्सिंग को काफी लोकप्रियता दिलाई। मैं शोकाकुल परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदना प्रकट करता हूं।
वहीं मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरें सिंह ने अपने शोक संदेश में कहा, मुझे डिंको सिंह के निधन की खबर सुबह मिली जिससे मैं स्तब्ध हूं, पद्मश्री से सम्मानित डिंको सिंह मणिपुर के सबसे बेहतरीन मुक्केबाजों में से एक थे। शोक संतृप्त परिवार के प्रति मेरी गहरी संवेदना।
डिंको सिंह ने साल 1998 में बैंकॉक एशियाई खेलों में अपना परचम लहराते हुए बॉक्सिंग में स्वर्ण पदक जीता था। बॉक्सिंग में उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन को देखते हुए 1998 में अर्जुन पुरस्कार से नवाजा गया। वहीं 2013 में डिंको सिंह को पद्मश्री से सम्मामित किया गया। बीते साल डिंको सिंह की तबियत ज्यादा खराब हो गई। इसके बाद मणिपुर से उन्हें एयरलिफ्ट के जरिए इलाज के लिए दिल्ली लाया गया। उनके लीवर कैंसर का इलाज दिल्ली के आईएलबीएस में चल रहा था।
डिंको सिंह एक खिलाड़ी ही नहीं थे बल्कि वह प्रेरणा स्रोत भी थे। छह बार की विश्व चैम्पियन एमसी मेरीकॉम और एल सरिता देवी ने मुक्केबाजी की प्ररेणा उन्हीं से ली। डिंको सिंह भारतीय नौसेना में कार्यरत थे और वह कोच के तौर पर काम करते थे। पिछले कई वर्षों से बीमार होने की वजह से वह घर पर रह रहे थे।