संसद चली तो अब सांसद नदारद लेकिन सरकार ने आधा दर्जन विधेयक पेश कर अपने विधायी एजेंडे को दी स्‍पीड

पक्ष और विपक्ष में बनी राजनीतिक सहमति के अनुरूप पेट्रोल-डीजल और किसानों के मुददे पर संसद में चल रहा गतिरोध सोमवार को खत्म हो गया। इसी के साथ संसद के दोनों सदन सुचारू रूप से चलने शुरू हुए हैं। हालांकि सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों ही तरफ की खाली बेंचें राजनीतिक पार्टियों की चुनाव में ज्यादा दिलचस्पी की गवाही दे रही हैं। वहीं सरकार के विधायी कामकाज के एजेंडे ने गति पकड़ ली है। पहले ही कार्यदिवस पर सरकार ने विधेयकों को पेश करने की झड़ी लगा दी।

लोकसभा में दिल्ली के उपराज्यपाल के अधिकार को परिभाषित करने वाला विधेयक तो राज्यसभा में बीमा क्षेत्र में 74 फीसद विदेशी निवेश का रास्ता खोलने वाला बहुचर्चित विधेयक समेत आधे दर्जन विधेयक पेश किया। हालांकि, पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के चलते संसद सत्र को लेकर सदस्यों की उदासीनता भी साफ नजर आई। सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों ही तरफ की खाली बेंचें चुनाव में ज्यादा दिलचस्पी की ओर इशारा कर रहे हैं।

दरअसल, पांच राज्यों के चुनाव को तवज्जो देने की लगभग सभी राजनीतिक पार्टियों की जरूरत ने बजट सत्र के मौजूदा गतिरोध के जल्द समाधान का रास्ता भी साफ किया है। पिछले शुक्रवार को स्पीकर के साथ बैठक में बनी सहमति के अनुरूप विपक्ष ने पेट्रोल-डीजल की बढ़ी कीमतों और किसानों के मुददे पर जारी हंगामे को सोमवार को आगे नहीं बढ़ाया और दोनों सदन में कामकाज सामान्य तरीके से चला।

लोकसभा में रेल बजट और रेल मंत्रालय की अनुदान मांगों पर बहस भी हुई। हालांकि, इस दौरान सदन में विपक्ष ही नहीं सत्ता पक्ष की बेंचों पर भी सदस्यों की संख्या काफी कम दिखी। रेलवे की अनुपूरक मांगों पर चर्चा के दौरान एक समय तो सत्ता पक्ष की बेंचों पर बमुश्किल तीन दर्जन तो विपक्ष बेंचों पर लगभग डेढ़ दर्जन सदस्य ही मौजूद थे। इसमें भी अधिकतर वही सदस्य थे जिन्हें बहस में हिस्सा लेना था।

चुनावी राज्यों से ताल्लुक रखने वाले प्रमुख क्षेत्रीय दलों के सांसद तो सत्र से लगभग नदारद ही नजर आए। तृणमूल कांग्रेस के लिए पश्चिम बंगाल का चुनाव उसके राजनीतिक मुकाम का सबसे चुनौतीपूर्ण पड़ाव बन गया है और शायद तभी लोकसभा में टीएमसी के 22 सांसदों में से सोमवार को सदन में कोई सदस्य नजर नहीं आया। बंगाल से भाजपा के सांसद भी सदन में नहीं दिखे।

तमिलनाडु के चुनाव को देखते हुए द्रमुक और अन्नाद्रमुक का भी कोई सदस्य लोकसभा में नजर नहीं आया। इसी तरह शशि थरूर के अलावा केरल से कांग्रेस के लगभग सभी सदस्य गैरमौजूद रहे। सदन में विपक्षी नेताओं की अगुआई करने वाले कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी भी बंगाल चुनाव में डटे हैं और इसीलिए पंजाब से पार्टी के सांसद सदन में कांग्रेस की मौजूदगी का अहसास कराते नजर आए। अधीर की जगह रवनीत बिटटू पहली पंक्ति में बैठकर विपक्षी बेंच की अगुआई करते दिखे।

हालांकि, सदस्यों की गैरमौजूदगी का विधायी कामकाज पर कोई असर नहीं पड़ा। राज्यसभा में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बीमा क्षेत्र में 74 फीसद विदेशी निवेश की अनुमति देने संबंधी बीमा संशोधन विधेयक पेश किया वहीं लोकसभा में पांच महत्वपूर्ण बिल पेश किए गए। गृह राज्यमंत्री जी किशन रेडडी ने दिल्ली के उपराज्यपाल के अधिकार क्षेत्र को परिभाषित करते हुए उनके अधिकार संबंधी बिल पेश किया तो महिला बाल विकास मंत्री ने किशोर न्याय संरक्षण और देखभाल संशोधन विधेयक पेश किया।

इसके साथ ही सरकार की ओर से फार्मा से जुड़े छह संस्थानों को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा देने, मेरिन नेविगेशन बिल, खनन संशोधन जैसे विधेयक भी पेश हुए। चुनाव के कारण बजट सत्र को आठ अप्रैल की बजाय 25 मार्च को ही खत्म करने की तैयारी है। 

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आदर्श कुमार

संस्थापक और एडिटर-इन-चीफ