राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के बड़े लाल पूर्व मंत्री तेजप्रताप यादव अब विधानसभा चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं. इसके बदले वह राज्यसभा में जाने का मन बना चुके हैं. हालांकि यह तय राजद प्रमुख को करना है कि कौन-कौन व्यक्ति को राज्यसभा भेजना चाहते हैं. ऐसे में तेजप्रताप यादव के मुद्दे पर अबतक सुनवाई नहीं हो सकी है. वैसे तेजप्रताप का दावा खारिज भी हो सकता है.
सूत्रों की अगर मानें तो नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव इस वक्त दिल्ली में हैं और वह इस बात पर मंथन में जुटे हैं. इसके बाद वह कुछ नामों के लिस्ट के साथ राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव से मिलने रांची स्थित रिम्स जाएंगे, जहां बतौर सजायाफ्ता कैदी के रूप में उनका इलाज चल रहा है. उसके बाद तय दावेदारों को बता दिया जाएगा कि तैयारी कीजिए.
अभी दो-दो सेट में नामांकन पत्र तैयार किया जा रहा है. नौ अप्रैल को बिहार से खाली होने वाली पांच सीटों में से राजद के हिस्से में दो सीटें आने वाली हैं. जिसमें कई दावेदार हैं. वैसे यह चर्चा है कि प्रेमचंद गुप्ता का नाम सबसे ऊपर है. दशकों से उनका लालू यादव के साथ संबंध रहा है. पिछली बार उन्हें झारखंड से भेजा गया था. इसबार उनका भी टर्म खत्म होने वाला है.
इसके अलावे लालू प्रसाद यादव के पुराने करीबी रहे डा. रघुवंश प्रसाद सिंह के नाम की भी चर्चा है. अगर ऐसा होता है तो तेजप्रताप यादव की दावेदारी खत्म हो सकती है. लेकिन जानकारों की अगर मानें तो तेजप्रताप यादव के विद्रोही तेवर को देखते हुए ऐसी संभावना व्यकत की जाने लगी है कि उन्हें राज्यसभा में भेजकर बिहार में तेजप्रताप यादव के लिए रास्ता आसान किया जा सके.
यहां उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनाव के दौरान राजद ने गठबंधन के तहत कांग्रेस को नौ सीटों पर समेटते हुए राज्यसभा की भी एक सीट देने का आश्वासन दिया था. राजद के प्रवक्ता मनोज झा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके वादा किया था. हालांकि नामांकन की प्रक्रिया शुरू होने के बावजूद कांग्रेस को अभी तक सूचना नहीं दी गई है.
राज्यसभा में प्रत्येक सीट पर जीत के लिए 41-41 विधायकों की जरूरत है. 243 सदस्यों वाली विधानसभा में राजद के पास 81 विधायक हैं. एक सदस्य की कमी पड़ेगी, जिसे तीन सदस्यों वाली भाकपा- माले के जरिए पूरा किया जा सकता है. ऐसे में राजद के हिस्से में दो सीटों का जाना लगभग तय माना जा रहा है.
ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि एक सीट लालू परिवार में ही रहती है या फिर बाहर जाकर चुनावी गणित को सेट करने की चाल चली जा सकती है. वैसे भी तेजप्रताप यादव अपने विधानसभा सीट महुआ से चुनाव नही लड़ने का लगभग मन बना चुके हैं. अगर उन्हें विधानसभा चुनाव लड़ना भी पड़ा तो वह बख्तियारपुर से चुनाव लड़ सकते हैं. लेकिन अभी उनकी नजर राज्यसभा की सीट पर टिकी हुई है.