भारतीय सुप्रीम कोर्ट अगले कुछ दिनों में कुछ ऐसे अहम फ़ैसले सुनाएगा जिससे देश के मौजूदा हालात में काफ़ी कुछ बदल सकता है.
सुप्रीम कोर्ट के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई 17 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं और 18 नवंबर को जस्टिस बोबडे उनकी जगह लेंगे.
ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि 17 नवंबर से पहले कुछ बड़े मामलों में फ़ैसला आ जाएगा.
इनमें जिस मामले पर फ़ैसले पर सबसे ज़्यादा बेसब्री से इंतज़ार किया जा रहा है वो है अयोध्या का बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि विवाद. सुप्रीम कोर्ट जब इस पर फ़ैसला सुनाएगा तो ये निश्चित रूप से ऐतिहासिक होगा.
उम्मीद जताई जा रही है कि पांच जजों वाली संवैधानिक बेंच इस मामले पर 4-15 नवंबर के बीच फ़ैसला सुनाएगी. बेंच की अगुवाई सीजेआई रंजन गोगोई कर रहे हैं.
उनके अलावा जस्टिस शरद अरविंद बोबडे, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अब्दुल नज़ीर शामिल हैं.
भारत सरकार के पूर्व सॉलिसिटर जनरल और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता मोहन परासरन का कहना है कि अयोध्या मामला बेहद संवेदनशील है इसलिए सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला आने के बाद भी बहुत सावधानी बरतनी होगी.
परासरन ने बीबीसी के सहयोगी और वरिष्ठ पत्रकार सुचित्र मोहन्ती से कहा, “अयोध्या मामला राजनीतिक और धार्मिक, दोनों मायनों में बहुत संवेदनशील है. यह चार दशक से भी पुराना विवाद है. इसलिए सुप्रीम कोर्ट चाहे जो फ़ैसला सुनाए, सभी समुदायों में शांति का माहौल बनाए रखना होगा.”
जानी-मानी वरिष्ठ अधिवक्ता गीता लूथरा भी परासरन से सहमति जताती हैं.
उन्होंने कहा कि अदालत का फ़ैसला चाहे जो जो, हमें इसका स्वागत करना होगा और किसी भी क़ीमत पर क़ानून-व्यवस्था की स्थिति संभाले रखनी होगी.
अयोध्या मामले के अलावा, कुछ दूसरे महत्वपूर्म मामले भी हैं, जिन पर जस्टिस रंजन गोगोई अपने दो हफ़्तों में फ़ैसला सुनाएंगे. इनमें रफ़ाल डील और सबरीमला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश जैसे मामले शामिल हैं.
सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई गोगोई की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच रफ़ाल सौदा मामले पर फ़ैसला सुनने वाली है. बेंच में जस्टिस रंजन गोगोई के अलावा जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसेफ़ हैं.
रफ़ाल डील मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 14 दिसंबर, 2018 को दिए अपने फ़ैसले में भारत की केंद्र सरकार को क्लीन चिट दे दी थी.
हालांकि इस फ़ैसले की समीक्षा के लिए अदालत में कई याचिकाएं दायर की गईं और 10 मई, 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने इन याचिकाओं पर अपना फ़ैसला सुरक्षित रख लिया था.
फ़्रांस से 36 रफ़ाल फ़ाइटर जेट के भारत के सौदे को चुनौती देने वाली जिन याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की, उनमें पूर्व मंत्री अरुण शौरी, यशवंत सिन्हा, सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण और आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह की याचिकाएं शामिल थीं.
सभी याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट से उसके पिछले साल के फ़ैसले की समीक्षा करने की अपील की थी.