हैजा एक पानी के बैक्टीरियां से फैलने वाला रोग है। हैजा, जिसे एशियाई महामारी के रूप में भी जाना जाता है, एक संक्रामक आंत्रशोथ है जो वाइब्रियो कॉलेरी नामक जीवाणु के एंटेरोटॉक्सिन उत्पन्न करने वाले उपभेदों के कारण होता है। हैजा होने के बाद मरीज को दस्त हो जाते हैं। अगर इसका पता शुरूआत में चल जाता है,तो इससे बचा जा सकता है। यदि समय पर इलाज नहीं मिल पाने के कारण इसके मरीज की मृत्यु भी हो जाती है। इसकी दवा बनाने वाली कंपनी का दावा है कि भारत में हर साल 30 फीसदी आबादी यानि 37.5 करोड़ लोगों पर इस बीमारी का खतरा बना रहता है। विशेषज्ञ इस बीमारी के बारे में बताते है कि यदि हैजे का सही समय पर इलाज नहीं करवाया गया तो पानी की कमी के कारण मरीज की मौत हो सकती है। हैजा के कारणों के बारे में विशेषज्ञ बताते है कि हैजा एक संक्रामक रोग होता है। इस रोग के फैलने का रास्ता मक्खी होती है।
क्योंकि ये संक्रमण से फैलने वाली बीमारी होती है और ये संक्रमण व्यक्ति के मल से आते है। जिनकों मक्खियों के द्वारा खाने या पानी में पहुंचाया जाता है।सीधे तौर पर हैजा से संक्रमित व्यक्ति से मिलने से नहीं आता है। हैजा के लक्षण संक्रमण के कुछ घंटों या संक्रमण के पांच दिन बाद तक सामने आ सकते हैं।उल्टी के साथ गंभीर पतले दस्त,रोगी का शरीर ठंडा पड़ने लगता है।हृदय गति बढ़ जाती है।पेशाब आना कम हो जाता है,हैजा में बुखार नहीं आता, पर व्यक्ति थकान महसूस करता है।
कम ब्लड प्रेशर, बहुत ज्यादा प्यास लगाना,मांसपेशियों में ऐंठन होना,दिल की धड़कनों का तेज होना।मुंह, गला व नाक में खुश्की महसूस होना जैसे कई लक्षण पाये जाते हैं। विशेषज्ञ इससे बचने के उपाय बताते है कि इस रोग से बचने के लिए सबसे जरूरी होती है सफाई। इसी के साथ ही खाने—पीने के बर्तनों या चीजों को ढ़क्कर रखना चाहिए। इसी के साथ ही शरीर में पानी की कमी नहीं आने देनी चाहिए। इसका उपचार यही होता है कि लक्षणों दिखाई देते ही जल्द से जल्द डॉक्टर को दिखा देना चाहिए।
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