जे पी नड्डा का पूरा नाम जगत प्रकाश नड्डा। लो-प्रोफाइल रहकर विश्व की सबसे बड़ी पार्टी के हाई-प्रोफाइल नेता बनने का उनका सफर काफी लंबा रहा है। जेपी आंदोलन से प्रभावित होकर राजनीति में कदम रखने वाले नड्डा ने अपनी छवि एक प्रभावी और कुशल रणनीतिकार की बनाई। भाजपा का नेतृत्व बदलता रहा लेकिन पार्टी में उनकी हैसियत कभी नहीं बदली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और संगठन में उनकी पैठ बढ़ती रही। वह पुराने नेतृत्व के भी करीब रहे तो आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के भी भरोसेमंद माने गए। अब पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष बनने के बाद यह कहना मुनासिब ही होगा कि वे भाजपा की ताकतवर तिकड़ी का हिस्सा बन गए हैं।
बिहार में जन्मे नड्डा को किशोयरवय में ही पता लग गया था कि वह राजनीति के लिए बने हैं और राजनीति उनके लिए। जब 16 बरस के थे तो जेपी आंदोलन से जुड़ गए। लिहाजा, राजनीति का ककहरा मंझे राजनेताओं के दौर में सीखने को मिला। इसके बाद सीधे छात्र राजनीति से जुड़ गए। उनकी काबिलियत देखते हुए ही 1982 में उन्हें उनकी पैतृक जमीन हिमाचल में विद्यार्थी परिषद का प्रचारक बनाकर भेजा गया। वहां छात्रों के बीच नड्डा ने ऐसी लोकप्रियता हासिल कर ली थी कि उनके नेतृत्व में हिमाचल प्रदेश विवि के इतिहास में पहली बार एबीवीपी ने जीत हासिल की।
1983-84 में वे विवि में एबीवीपी के पहले अध्यक्ष बने। 1977 से 1990 तक करीब 13 साल के लिए एबीवीपी समेत कई पदों पर रहे। 1989 में तत्कालीन सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार की लड़ाई के लिए राष्ट्रीय संघर्ष मोर्चा बनाया। 1991 में 31 साल की उम्र में भाजपा युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनकर उभरे। छात्र राजनीति में तप चुके नड्डा 1993 में पहली बार हिमाचल प्रदेश में विधायक बने। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। हिमाचल के स्वास्थ्य मंत्री रहे तो वन एवं पर्यावरण, विज्ञान एवं तकनीकी मंत्री का जिम्मा भी संभाला।