भारतीय कॉरपोरेट जगत अब गठबंधन सरकार की भी चर्चा करने लगा है. कॉरपोरेट जगत की कुछ प्रमुख हस्तियों का मानना है कि गठबंधन की सरकारों का अर्थव्यवस्था के लिए बुरा होने वाली धारणा गलत है. अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने के बाद कई उद्योगपतियों ने कहा कि गठबंधन सरकार अर्थव्यवस्था के लिए बुरी नहीं होती. ऐसा लगता है कि कॉरपोरेट जगत हर हालात के लिए अपने को तैयार कर रहा है.
डरने की जरूरत नहीं
सोमवार को दक्षिण मुंबई के एक मतदान केंद्र पर वोट देने के बाद महिंद्रा समूह के चेयरमैन आनन्द महिंद्रा की राय से यह संकेत मिल रहा है कि गठबंधन की सरकारों से डरने की कोई जरूरत नहीं. उन्होंने पत्रकारों से कहा, ‘हम सभी में प्रगति एवं वृद्धि का कीड़ा समा गया है. अगर गठबंधन की सरकार आती है तो वह भी इन्हीं रास्तों पर चलेगी और वह हम लोगों के लिए लाभदायक है.’
आनन्द महिंद्रा ने कहा कि लोकसभा चुनावों के बाद केंद्र की सत्ता में चाहे जो भी आए, भले ही वह गठबंधन सरकार ही क्यों न हो, उसे विकास के लिए काम करना चाहिए. महिंद्रा ने यह बातें मुंबई दक्षिण संसदीय क्षेत्र के मालाबार हिल में एक बूथ पर अपना वोट देने के बाद कहीं.
जेएसडब्ल्यू का नेतृत्व कर रहे सज्जन जिंदल की राय भी कुछ ऐसी ही दिखी. उन्होंने मतदान करने के बाद कहा, ‘केंद्र में गठबंधन सरकारें रह चुकी हैं और उन्होंने सुशासन दिया है. इसमें कोई दिक्कत नहीं है. मेरी राय में हमारा लोकतंत्र बहुत परिपक्व है और हम गठबंधन सरकारों का सुशासन देख चुके हैं. इसलिए मैं चिंतित नहीं हूं. जिंदल ने कहा कि औद्योगिक वृद्धि, नौकरी और सुरक्षा जैसे मुद्दों पर काम करने की जरूरत है. उन्होंने केंद्र में स्थिर सरकार की जरूरत पर बल दिया जो सतत विकास सुनिश्चित कर सके.
गोदरेज समूह के चेयरमैन आदि गोदरेज ने कहा, ‘कोई गठबंधन अगर मजबूती से जुड़ा हुआ है तो हम अच्छा कर सकते हैं.’ गौरतलब है कि भारत के सबसे धनी व्यक्ति एवं रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी और सबसे धनी बैंकर उदय कोटक ने मुंबई दक्षिण से कांग्रेस के उम्मीदवार मिलिंद देवड़ा का सार्वजनिक रूप से समर्थन किया है.
एचडीएफसी के दीपक पारेख ने कहा कि मतदान के दौरान स्थानीय मुद्दे छाये रहे. उन्होंने कहा कि वह केंद्र में एक स्थिर सरकार चाहते हैं. आम चुनावों के चौथे चरण में कॉरपोरेट जगत के जिन दिग्गजों में मतदान किया, उनमें भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गर्वनर शक्तिकांत दास, रिलायंस एडीएजी के प्रमुख अनिल अंबानी, गोदरेज समूह के चेयरमैन आदि गोदरेज, टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन, एचडीएफसी के चेयरमैन दीपक पारेख और इसके मुख्य कार्यकारी अधिकारी केकी मिस्त्री, जेएसडब्ल्यू समूह के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक सज्जन जिंदल, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के मुख्य कार्यकारी अधिकारी आशीष चौहान और जेट एयरवेज के संस्थापक नरेश गोयल शामिल हैं.
कई जानकारों को लगता है कि इन चुनावों के बाद खंडित नतीजे आ सकते हैं, इसके बावजूद भारतीय कारोबारी जगत के लोगों को उम्मीद है कि सुधार जारी रहेंगे और सरकार उपभोग बढ़ाने के लिए अपना व्यय बढ़ाएगी, ताकि पूंजी निर्माण और घरेलू मांग में भी वृद्धि हो.
लोकसभा चुनावों के पहले तीन चरणों में 302 संसदीय क्षेत्रों के लिए मतदान संपन्न हुआ और चौथे चरण में सोमवार को 72 सीटों के लिए मतदान हुआ जिसमें 961 उम्मीदवारों का भाग्य दांव पर है. भारतीय अर्थव्यवस्था में फिलहाल वृद्धि दर की गति धीमी है और उद्योग जगत को नई सरकार का बेसब्री से इंतजार है, जो जून में सत्ता संभालेगी और उम्मीद है कि सुधारों पर मजबूत निर्णय लेगी.