लोकसभा 2019 : ये हैं दस दिग्गज राजनेता, दिखाएंगे अपना दम

लोकसभा चुनाव 2019 का बिगुल फूंका जा चुका है। इस चुनावी महासंग्राम में अलग-अलग राज्यों में समीकरण भले ही अलग-अलग हो, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर मुख्यत: दो धड़ों में सीधी टक्कर देखी जा रही है। भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए और कांग्रेस के नेतृत्व वाली महागठबंधन ने इस लड़ाई में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। ऐसे माहौल में नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी समेत 10 बड़े चेहरों पर पूरे देश की नजर बनी हुई है। आइए, जरा नजर डालें राजनीतिक जगत की इन हस्तियों पर, जिनकी भूमिका इस बार महत्वपूर्ण होगी…

नरेंद्र मोदी

2014 लोकसभा चुनाव से पहले एनडीए ने नरेंद्र मोदी को अपना उम्मीदवार घोषित कर चुकी थी। अबकी बार, मोदी सरकार का नारा दिया गया था। सोशल नेटवर्किंग साइटों का जबरदस्त प्रयोग करते हुए देश में मोदी लहर का माहौल बनाया गया था। इन पांच सालों में ढाई दर्जन से अधिक चुनाव हो चुके हैं। प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी भाजपा के स्टार प्रचारक रहे हैं।

राहुल गांधी

दिसंबर 2017 में सोनिया गांधी के अध्यक्ष पद से सेवामुक्त होते ही राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया। अपने पहले भाषण में उन्होंने कहा था कि हम कांग्रेस को हिंदुस्तान की ग्रांड ओल्ड एंड यंग पार्टी बनाने जा रहे हैं। अध्यक्ष बनने के बाद राहुल गांधी को 2018 के आखिर में बड़ी कामयाबी मिली जब मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा को सत्ता से बाहर कर दिया।

प्रियंका गांधी

कांग्रेस की स्टार प्रचारक रहीं प्रियंका गांधी का सक्रिय राजनीति में बीते 23 जनवरी को पदार्पण हुआ है। उन्हें राष्ट्रीय महासचिव बनाने के साथ ही पूर्वी उत्तर प्रदेश की 41 लोकसभा सीटों की जिम्मेदारी भी दी गई है। पहले जहां वह केवल अमेठी और रायबरेली में भाई राहुल गांधी और मां सोनिया गांधी के लिए प्रचार करती थीं, अब पूरे उत्तर प्रदेश के अलावे देश के अन्य राज्यों में भी करेंगी।

मायावती

बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। अनुसूचित जाति से आने वाली मायावती की राजनीति में पैठ भी है और राज्य में अपना वोट बैंक भी। हालांकि पिछले लोकसभा चुनाव 2014 की बात करें, तो मोदी लहर के बीच बसपा खाता भी नहीं खोल पाई थी, लेकिन इस बार मुकाबला कड़ा है। समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन कर बसपा मजबूत दिख रही है।

चंद्रबाबू नायडू

तेलगू देशम पार्टी प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू वर्तमान में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। 25 लोकसभा सीटों वाले आंध्र प्रदेश में उनकी बड़ी भूमिका होगी। तेदेपा पहले एनडीए में शामिल थी, लेकिन विशेष राज्य का दर्जा की मांग पर नायडू एनडीए से अलग हो गए और फिलहाल महागठबंधन में वह बड़ा चेहरा हैं।

नीतीश

40 लोकसभा सीटों वाले बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बड़ा चेहरा हैं। भाजपा संग 50-50 के फॉर्मूले पर लड़ रही पार्टी जदयू के अध्यक्ष नीतीश यहां एनडीए में बड़े नेता और स्टार प्रचारक हैं। मुख्यमंत्री के तौर पर यह उनका तीसरा कार्यकाल है। सालों से वह बिहार में सुशासन की छवि बनाने में लगे हैं। भाजपा से छिटकने और फिर एनडीएम में शामिल होने के बाद इस बार उनकी भूमिका महत्वपूर्ण होगी।

ममता बनर्जी

भाजपानीत एनडीए के विरोध में एकजुट हुए महागठबंधन में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनजी एक बड़ा चेहरा बन कर उभरी हैं। 2014 लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बावजूद उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने 42 में से 34 सीटों पर कब्जा जमाया था। 18 जनवरी को कोलकाता में विपक्ष की बड़ी रैली आयोजित कर ममता ने 15 से ज्यादा राजनीतिक दलों को एक मंच पर इकट्ठा किया था।

अखिलेश

समाजवादी पार्टी में राजनीतिक कलह के बीच अखिलेश यादव ने पार्टी की कमान अपने हाथ में ली। सपा ने 2014 के लोकसभा चुनाव में बहुत कमाल नहीं दिखा पाई थी और सिर्फ पांच सीटों पर जीती थी। इस बार 25 सालों का राजनीतिक द्वेष मिटाते हुए सपा, बसपा के साथ आई है। मायावती संग अखिलेश का आना भाजपा के लिए बड़ी चुनौती है।

आदित्यनाथ

2017 में मुख्यमंत्री बनने के बाद से अब तक योगी आदित्यनाथ भाजपा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद सबसे बड़े प्रचारक के तौर पर उभरे हैं। एक फायरब्रांड हिंदुत्ववादी नेता की पहचान के साथ वह एक सख्त प्रशासक के तौर पर देखे जाते हैं। हालांकि, पिछले साल हुए गोरखपुर, फूलपुर और कैराना में हुए लोकसभा उपचुनाव में भाजपा हार गई, यहां तक कि योगी अपना गढ़ गोरखपुर भी नहीं बचा पाए। इस बार उनकी भूमिका अहम मानी जा रही है।

अमित शाह

लोकसभा चुनाव 2014 में अमित शाह को उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया गया था। उनकी अगुआई में यूपी की 80 सीटों में से एनडीए को 73 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। उसी साल जुलाई में उन्हें भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया। इन पांच सालों में 27 राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए, जिनमें से 14 में जीत और 13 में हार मिली। इस बार चुनावी अभियान में अमित शाह विरोधी पार्टियों और नेताओं पर ज्यादा आक्रामक दिख रहे हैं।