संघ लोक सेवा आयोग ने यूपीएससी सीएसई 2023 का फाइनल रिजल्ट हाल ही में घोषित किया था. अधिक रैंक पाने वाले कैंडिडेट्स को आईएएस, आईपीएस, आईएफएस पोस्ट दिया गया है. बाकी रैंक और वैकेंसी के हिसाब से अलग-अलग सर्विसेज में तैनाती ट्रेनिंग के बाद की जाएगी.
आइए जानते हैं कि आईपीएस बनने के बाद किस पद पर सबसे पहले तैनाती होती है और यही आईपीएस कब डीजीपी बनते हैं.
आईपीएस पद मिलने के बाद इनकी ट्रेनिंग होती है. इन कैंडिडेट्स को सबसे पहले फाउंडेशन कोर्स कराया जाता है. उसके बाद इनकी ट्रेनिंग नेशनल पुलिस एकेडमी हैदराबाद में होती है. लगभग एक साल आईपीएस की ट्रेनिंग होती है. ट्रेनिंग के बाद कैडर अलाट किया जाता है और फिर इनकी तैनाती होती है.
IPS की सबसे पहले किस पद पर होती है तैनाती?
आईपीएस को अपने कैडर में जानें के बाद सबसे पहले सहायक पुलिस अधीक्षक (प्रशिक्षु) यानी एएसपी-अंडर ट्रेनी के रूप में तैनाती दी जाती है. प्रायः जिले में पहली पोस्टिंग किसी थाने पर देने की परंपरा है, जहां ये अधिकारी औपचारिक तौर पर थानाध्यक्ष के रूप में करीब दो महीने तक काम करते हैं. इसका मकसद यह होता है कि फील्ड की मुश्किलें समझ सकें.
IPS कब बनते हैं अपर पुलिस अधीक्षक ?
इसके बाद आईपीएस को सर्किल अफसर के रूप में पुलिस लाइन, ऑफिस, ट्रैफिक, थाने के पर्यवेक्षण की जिम्मेदारी दी जाती है. यह पूरा कार्यकाल लगभग डेढ़ वर्ष का होता है. इसके बाद इन्हें प्रोन्नति देकर अपर पुलिस अधीक्षक बनाया जाता है और पोस्टिंग एसपी-सिटी, एसपी-रूरल या समानांतर पदों पर की जाती है. जहां पुलिस कमिशनरेट सिस्टम है, वहां एएसपी को सहायक पुलिस आयुक्त और एडिशनल एसपी को अपर पुलिस आयुक्त कहा जाता है.
इसके लिए भी सामान्य दशा में लगभग डेढ़ वर्ष का समय मिलता है. उसके बाद ये अधिकारी अपने राज्य में वैकेंसी के आधार पर पुलिस अधीक्षक के रूप में प्रोन्नति पा जाते हैं. इसके बाद प्रायः जिले का एसपी बना दिया जाता है. वहां से ट्रांसफर की स्थिति में पुलिस के अन्य सहयोगी संगठनों में भी एसपी के रूप में तैनात किए जाते हैं.
आईपीएस कब बनते हैं DIG?
करीब 10-11 साल की नौकरी के बाद इन्हें सिलेक्शन ग्रेड मिल जाता है, तब ये कालर बैंड लगाने के साथ ही कंधे पर आईपीएस, अशोक स्तम्भ के साथ ही दो स्टार लगाते हैं. एसपी को केवल एक स्टार लगाने का अधिकार है. उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में 14-16 वर्ष की सेवा पूरी करने वाले सीधी भर्ती के आईपीएस अफसर को पुलिस उपमहानिरीक्षक यानी डीआईजी के रूप में प्रोन्नति मिलती है.
करीब चार से छह वर्ष की और सेवा के बाद पुलिस महानिरीक्षक यानी आईजी के रूप में प्रोन्नति की व्यवस्था है. लगभग 25 वर्ष की सेवा के बाद अपर पुलिस महानिदेशक के रूप में प्रोन्नति मिलती है और उसके बाद वैकेंसी के आधार और उपलब्धता के बाद पुलिस महानिदेशक के रूप में पोस्टिंग मिलती है.
डीजी के रूप में प्रोन्नति का मतलब यह बिल्कुल नहीं है है कि अफसर राज्य का पुलिस प्रमुख हो गया. यूपी जैसे राज्य में विजिलेन्स, सीबीसीआइडी, फायर सर्विस, आर्थिक अपराध शाखा जैसे अनेक सहयोगी विंग में भी उपलब्धता के आधार पर डीजी रैंक के अफसरों को तैनाती मिलती है.
IPS किन पदों पर होते नियुक्त ?
एएसपी
एडिशनल एसपी
एसपी-एसएसपी
डीआईजी
आईजी
एडीजी
डीजी
डीजीपी
कैसे होती है DGP की नियुक्ति
राज्य पुलिस प्रमुख को डीजीपी कहते हैं. वह अपने राज्य में पुलिस के हर विंग के मुखिया के रूप में मान्य हैं. राज्य में डीजीपी की तैनाती पहले सीएम के चाहने पर हो जाती थी. होती अब भी उन्हीं के चाहने पर है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश की वजह से अब डीजीपी पद पर चयन के लिए राज्य तीन नामों की सूची संघ लोक सेवा आयोग को भेजते हैं. आयोग उनमें से किसी एक नाम पर अपनी सहमति देता है.
राज्यों से ही पुलिस अफसरों को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर भेजा जाता है. राज्यों में महानिदेशक रैंक के अफसर केंद्रीय बलों के मुखिया के रूप में तैनाती पाने के आधिकारी हैं, लेकिन उनकी नियुक्ति के लिए भारत सरकार की अपनी अलग प्रक्रिया है.
ऐसा माना और देखा जाता है कि 26-27 साल की उम्र में आईपीएस बने लोगों डीजी तो पक्के तौर पर बन जाते हैं. अगर इससे ज्यादा उम्र में बने तो जरूरी नहीं है कि वे डीजी रैंक तक पहुंच सकें. अनेक अफसर ऐसे देखे गए जो आईजी से ही रिटायर हो गए. क्योंकि उनकी भर्ती ज्यादा उम्र में हुई थी.