योगी सरकार आज अगले एक साल के लिए अपना बजट पेश करने जा रही। पहली बार उत्तर प्रदेश में 1952 में बजट पेश किया गया था। उस वक्त यह कुल 149 करोड़ रुपए का था। पिछले साल यह बजट 6 लाख 90 हजार करोड़ तक पहुंच गया। इस साल इसके साढ़े 7 लाख करोड़ को पार कर जाने की पूरी संभावना है। यानी 72 सालों में यूपी का बजट करीब 4600 गुना बढ़ गया। इन 72 सालों में बहुत चीजें बदली। सूटकेस को टैबलेट ने रिप्लेस कर दिया। बजट पेपरलेस हो गया। हर वर्ग के लिए नीतियां बन गईं। योजनाएं शुरू हो गईं।
पिछले साल 22 फरवरी को योगी सरकार ने 6 लाख 90 हजार करोड़ रुपए का बजट पेश किया था। इस बजट में राज्य सरकार ने जल जीवन मिशन के लिए 25 हजार 350 करोड़ रुपए की भारी-भरकम राशि जारी की थी। सरकार की कोशिश है कि हर घर में नल से पीने का पानी पहुंच जाए। इसके अलावा आगरा और कानपुर मेट्रो के लिए भी तेजी से काम करने के लिए बड़ी राशि आवंटित हुई थी। सीएम योगी समेत बीजेपी के बड़े नेताओं ने इसे यूपी के भविष्य निर्माण का बजट कहा था। 2017 में बनी बीजेपी सरकार का अब तक का बजट इस ग्राफिक में देखिए।
यूपी में पहला विधानसभा चुनाव आजादी से 4 साल बाद यानी 1951 में हुआ। उस चुनाव में कांग्रेस ने पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाई और गोविंद बल्लभ पंत प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बने। उन्होंने 14 मार्च 1952 को पहली बार सदन में बजट पेश किया। यह बजट कुल 149 करोड़ रुपए का था। उस वक्त प्रदेश के हालात आज की तरह स्थिर नहीं थे। निर्माण के नाम पर कुछ खास नहीं था। इसलिए सरकार का पूरा फोकस इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट पर था। चीनी मिलों के लिए सरकार ने फंड जारी किया। आज अगर उस बजट से आज के बजट की तुलना करें, तो पाएंगे कि तब के बजट से आज का बजट करीब साढ़े 4 हजार गुना बढ़ गया है।
पहला बजट पेश करते हुए गोविंद बल्लभ पंत चमड़े का बैग लेकर सदन पहुंचे थे। उसके बाद सीएम चंद्रभानु गुप्ता, सम्पूर्णानंद, सुचेता कृपलानी भी चमड़े का बैग लेकर ही सदन पहुंचे और बजट पेश किया। 1970 में लोकदल के चौधरी चरण सिंह सीएम बने। उन्होंने अब तक पेश हो रहे बजट में थोड़ा बदलाव किया। वह चमड़े का बैग ले जाने के बजाय सूटकेस लेकर पहुंचे थे। उसके बाद वीपी सिंह, मुलायम सिंह, कल्याण सिंह, राजनाथ सिंह, मायावती, अखिलेश यादव सूटकेस लेकर ही बजट पेश करने पहुंचे। 2022 में यह क्रम भी बंद हो गया। सुरेश खन्ना पहली बार टैबलेट लेकर बजट पहुंचे थे। इसके बाद सूटकेस भी अतीत हो गया।
1960 में भारत के अंदर अंग्रेजों की हुकूमत थी। उस वक्त ब्रिटेन के चांसलर ऑफ द एक्सचेकर चीफ विलियम एवर्ट ग्लैडस्टन ने पहली बार बजट पेश किया था। बजट से जुड़े कागजात को सदन तक लाने के लिए उन्हें ब्रिटेन की क्वीन ने ग्लैडस्टन को एक चमड़े का बैग दिया था। यह इतना प्रसिद्ध हुआ कि बजट से जुड़े पेपर को इसी चमड़े के बैग में लेकर जाने की परंपरा शुरू हो गई। ब्रिटेन में तो यह 2010 तक चला। सूटकेस जब जर्जर हो गया, तो इसे म्यूजियम में रखवा दिया गया। फिर एक नए लेदर बैग का इस्तेमाल किया जाने लगा।
चमड़े की बैग से बाहर निकलते हुए अब हम फिर से बजट पर चलते हैं। पूर्व सीएम नारायण दत्त तिवारी ने यूपी में सबसे अधिक 11 बार बजट पेश किया है। पहली बार वह 21 जनवरी 1976 को सीएम बने थे। मार्च 1976 में बजट पेश किया। अलग-अलग समय पर वह तीन बार सीएम रहे। इस दौरान 4 बार बजट पेश किया। 7 बार वह वित्त मंत्री रहते हुए यूपी का बजट पेश कर चुके हैं। 18 अक्टूबर 2918 को उनका दिल्ली में निधन हो गया था। निधन के एक साल पहले वह बेटे के साथ भाजपा में शामिल हो गए थे।
एनडी तिवारी के बाद मुलायम सिंह यादव ने सबसे अधिक 9 बार बजट पेश किया। उनके बेटे अखिलेश यादव ने 2012 से 2017 के बीच 5 बार बजट पेश किया। मौजूदा बीजेपी सरकार में वित्त मंत्री सुरेश खन्ना बजट पेश करते हैं। वह अबकी बार लगातार 5वीं बार बजट पेश करने जा रहे हैं। योगी सरकार में शुरुआती दो बजट राजेश अग्रवाल ने पेश किया था।
पहले यूपी में जो भी बजट छपते थे, उसकी किताब छपती थी। उसका नाम बजट बुक होता था। वित्त वर्ष 2021-22 के बजट से ठीक पहले बुक छपनी बंद हो गई। किताब बंद करवाने के पीछे की वजह यूपी बजट ऐप है। यह प्ले स्टोर पर उपलब्ध है। इस ऐप के जरिए बजट संबंधी सभी जानकारी मिल जाती है। 2020-21 के बाद का बजट डेटा पूरा इस ऐप पर उपलब्ध है।
यूपी का बजट देश के बाकी राज्यों से बड़ा होता है। इसे तैयार करने में 4 महीने लगते हैं। जैसे यह बजट इस बार फरवरी की शुरुआत में पेश हो रहा तो इसकी तैयारी अक्टूबर 2023 में ही शुरू हो चुकी थी। बजट बनाने वाली टीम पूरी प्रक्रिया के वक्त मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री से इनपुट लेती रहती है। बजट बनाने और इसे पेश करने से पहले इंडस्ट्री ऑर्गेनाइजेशन और इंडस्ट्री के जानकारों से भी वित्त मंत्री चर्चा करते हैं।
ये तो थी बजट से जुड़ी कुछ जरूरी जानकारियां। अब बात आज के बजट की। युवा, किसान, व्यापारी, महिलाएं सबको अपने हिस्से की घोषणाओं का इंतजार है। दूसरी तरफ सरकार हर घर नल जल योजना को पूरी करने की तैयारी में है। इसके अलावा किसानों के लिए ऐलान संभव है।