कोरोना काल में क्लासेज नहीं चलने के बावजूद स्कूलों द्वारा अभिभावकों से पूरी फीस वसूले जाने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को बेहद अहम फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट ने कोरोना काल में ली गई 15 फीसदी फीस को माफ करने का स्कूलों को आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा कि उनका यह आदेश साल 2020- 21 के सेशन में ली गई फीस पर लागू होगा. कोर्ट के इस आदेश के तहत अगले 2 महीने में स्कूलों को सेशन 2020-21 में अभिभावकों से ली गई फीस को अगली फीस में एडजस्ट करना होगा. और जो बच्चे स्कूल छोड़ चुके हैं उनके अभिभावकों को फीस वापस करनी होगी.
यह आदेश चीफ जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस जे जे मुनीर की डिवीजन बेंच ने याचिकाकर्ता आदर्श भूषण व कई अन्य अभिभावकों की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर दिया है. कोर्ट ने यह फैसला सुनाते हुए जनहित याचिका भी निस्तारित कर दी है. मामले की सुनवाई के दौरान अभिभावकों के अधिवक्ता की ओर से हाईकोर्ट में दलील दी गई कि कोरोना काल में बच्चों को स्कूलों ने ऑनलाइन ट्यूशन दिया था और स्कूलों में रेगुलर क्लासेज नहीं चली, जिसके चलते स्कूल सिर्फ ट्यूशन फी ले सकते हैं.
उन्होंने याचिका में आगे कहा, ‘लेकिन इस दौरान कंप्यूटर लैब चार्जेस, मेंटेनेंस चार्जेस व स्कूलों द्वारा फीस में लिए जा रहे हैं अन्य चार्ज नहीं वसूले जा सकते हैं.’ अपनी बात के समर्थन में अधिवक्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का भी हवाला दिया, जिस पर सहमति जताते हुए हाईकोर्ट ने अभिभावकों के पक्ष में यह बड़ा फैसला सुनाया है. यह फैसला पूरे प्रदेश के स्कूलों पर लागू होगा और इस आदेश के तहत अगले 2 महीने में 15 फ़ीसदी फीस एडजस्ट करने या फिर स्कूल छोड़ चुके बच्चों के अभिभावकों को यह पैसा वापस करने की एक्सरसाइज करने की जिम्मेदारी स्कूलों की होगी. याची अधिवक्ता शाश्वत आनंद के मुताबिक अगर स्कूल इस आदेश का पालन नहीं करेंगे उनके खिलाफ अवमानना याचिका भी दाखिल हो सकती है.