देशभर में शिक्षक दिवस के अवसर पर रविवार को (5 सितंबर) राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने एक वर्चुअल कार्यक्रम में 44 शिक्षकों को उनकी उत्कृष्ट सेवा के लिए सम्मानित किया।
उन्होंने कहा कोरोना महामारी के बावजूद शिक्षकों ने खुद को नए तरीके से ढाल कर पढ़ाने का काम जारी रखा। कुछ शिक्षकों ने अपने स्कूलों में अपनी मेहनत से बुनियादी सुविधाओं को बेहतर किया है। शिक्षक समुदाय से उनकी उम्मीद है कि वे बदलती परिस्थिति के अनुरूप अपने पढ़ाने के तरीके में भी बदलाव करते रहेंगे। कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रपति ने पुरस्कार पाने वाले सभी शिक्षकों की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनका यह विश्वास और मजबूत होता है कि भावी पीढ़ियों का निर्माण सुयोग्य शिक्षकों के हाथों में सुरक्षित है।
उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को याद करते हुए कहा कि वे एक विद्वान और दार्शनिक थे, वे कई पदों पर रहे, लेकिन वे चाहते थे कि उन्हें एक शिक्षक के रूप में ही याद किया जाए।
76 वर्षीय राष्ट्रपति ने कार्यक्रम के दौरान कहा, आज तक मुझे अपने आदरणीय शिक्षकों की याद आती रहती है। मैं स्वयं को सौभाग्यशाली महसूस करता हूं कि राष्ट्रपति का कार्यभार ग्रहण करने के बाद मुझे अपने स्कूल में जाकर अपने वयोवृद्ध शिक्षकों का सम्मान करने तथा उनका आशीर्वाद लेने का अवसर प्राप्त हुआ था। राष्ट्रपति ने कहा, एक संवेदनशील शिक्षक अपने व्यवहार, आचरण व शिक्षण से विद्यार्थियों का भविष्य संवार सकते हैं। उन्होंने कहा, शिक्षकों को ध्यान रखना चाहिए कि प्रत्येक विद्यार्थी की क्षमता अलग होती है, उनकी प्रतिभा अलग होती है, मनोविज्ञान अलग होता है, सामाजिक पृष्ठभूमि व परिवेश भी अलग-अलग होता है। इसलिए हर एक बच्चे की विशेष जरूरतों, रुचियों और क्षमताओं के अनुसार उसके सर्वांगीण विकास पर बल देना चाहिए।