जौनपुर बदलापुर:- सरकार की मजदूर व कर्मचारी विरोधी नीतियों के खिलाफ संयुक्त ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर "देशव्यापी प्रतिवाद दिवस" के क्रम में आल इण्डिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर (AIUTUC) की उत्तर प्रदेश राज्य कमेटी ने कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु प्रदेशभर में सरकार की जनविरोधी नीतियों का आनलाईन विरोध किया।
इस अवसर पर AIUTUC के जौनपुर जिला इंचार्ज कामरेड हीरालाल गुप्ता ने कहा कि, पूरा देश कोरोना महामारी का मुकाबला कर रहा है। इसके कारण पहले से खराब अर्थव्यवस्था की हालत और भी खराब हो गई है। सरकार ने कोरोना महामारी से लड़ने और अर्थव्यस्था की हालत सुधारने के लिये पैकेज की घोषणा की है। हम श्रम संगठन के लोग समझते है कि सरकार की इस पैकेजिंग से न तो अर्थव्यवस्था की हालत सुधरने वाली है और न ही लोगों की। प्रदेश व केन्द्र सरकार द्वारा महामारी के अवसर का लाभ उठाते हुये मजदूरों और किसानों के अधिकारों पर लगातार हमले किये जा रहा हैं। श्रम कानूनों में संशोधन की एक तरफा घोषणा हो रही है, श्रम कानूनों से पूॅजीपतियों को तीन साल तक छूट देने की बात हो रही है, बिजली कानून में संशोधन की बात हो रही है, मण्डी कानून में परिवर्तन किया जा रहा है। यह सब काम जनता किसानो- मजदूरों को सुविधाये दिलाने , देश के विकास को गति देने , के नाम पर किया जा रहा है। किन्तु इन संशोधनों से कारपोरेट व पूॅजीपति वर्ग को फायदा होने जा रहा है।
हम, श्रमिक संगठनों के लोग आज 3 जुलाई 2020 को अखिल भारतीय प्रतिरोध दिवस के माध्यम से केन्द्र व राज्य सरकार से निवेदन करना चाहते हैं कि यदि सरकार मजदूरो, किसानों और आम जनता के हित में कुछ करना चाहती है तो वर्तमान नीतियों को बदलियें और एक जनमुखी आर्थिक नीतियों का निर्माण करिये । जिसमें जनता विशेष कर किसानों मजदूरों को क्रय शक्ति को बढ़ाया जाय। जनता की क्रय शक्ति बढ़ने से ही इस मंदी ग्रस्त अर्थव्यवस्था में सुधार हो पायेगा। इसलिये हम सरकार से निम्न माॅग करते हैैं।
- आय कर न देने वाले सभी परिवारों को छः माह तक प्रति माह रू0 7500 दिया जाय।
- सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से जरूरतमंद सभी व्यक्तियों को 10 किलो अनाज प्रतिमाह के हिसाब से छः माह तक मुफ्त दिया जाय।
- मनरेगा में दौ सौ दिन का काम दिया जाय। मजदूरी पाॅच सौ रूपए प्रति दिन दिया जाय। प्रवासी मजदूरों को कवर करते हुये इसका विस्तार किया जाय, इसके लिये मनरेगा का बजट बढ़ाया जाय। शहरी क्षेत्र के लिये इस तरह की योजना बनायी जाय।
- उत्तर प्रदेश में स्थायी श्रम समिति का गठन किया जाय।
- काम के घण्टे बढ़ाने सहित सभी श्रम कानूनों में श्रमिक विरोधी संशोधन वापस लिया जाय।
- रेलवे, कोयला, रक्षा, बैंक-बीमा एंव बिजली सहित तमाम सार्वजनिक क्षेत्र की संस्थाओं के निजीकरण को रोका जाय।
- सभी के लिये स्वास्थ्य के लिये कानून बनाया जाय और सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत किया जाय। स्वास्थ्य का बजट बढ़ाया जाय।
- कोरोना से मुकाबला कर रहे अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों- डाक्टर, नर्स, स्वास्थ्य कर्मी, सफाई कर्मचारी, आंगनबाड़ी, आशा, पुलिस आदि को आवश्यक सुरक्षा उपकरण आवश्यकतानुसार उपलब्ध कराया जाय।
- प्रवासी मजदूरों को उनके घर तक सुरक्षित निःशुल्क भेजने का प्रबन्ध किया जाय, सड़क हादसों में मरे सभी प्रवासी मजदूरों के परिवारोें को मुआवजा दिया जाय।
- केन्द्र सरकार व राज्य सरकार के दिशा निर्देश अनुसार मालिकों से मजदूरों को लाक डाउन के समय का (पचास दिन) वेतन दिलाया जाय।
11-लॉकडाउन के बाद मुरादाबाद में काम से निकाले गए सभी मजदूरों को काम पर वापस लिया जाए। - केन्द्र व राज्य कर्मचारियों के मॅहगाई भत्ता एवं पेंशनरों के महॅगाई राहत सहित समाप्त किए गए अन्य 8 भत्तों को तुरन्त बहाल किया जाय। सुक्ष्म,लघु व मध्यम उद्योगों को विशेष पैकेज दिया जाय।
- सभी श्रम कानूनों का कड़ाई से परिपालन सुनिश्चित कराया जाए। कार्यस्थल पर शुद्ध पेयजल, सफाई, प्रसाधन, कैन्टीन, विश्रामकक्ष, और प्राथमिक चिकित्सा की व्यवस्थाअनिवार्य रूप से सुनिश्चित हो।
- किसी भी कल कारखाने, उद्योग, प्रतिष्ठान अथवा कार्यालय में कार्यरत प्रत्येक कर्मचारी चाहे वह नियमित हो, अस्थायी हो, कैजुअल, टेम्प्रेरी या संविदाकार द्वारा नियोजित, उसका नाम नियोजन संबंधी अभिलेखों में दर्ज कराया जाना तथा कर्मचारी को नियुक्ति परिचय पत्र या ऐसा अभिलेख दिलाया जाना सुनिश्चित कराया जाए जिसमें उसके सेवा में आने की तिथि, नियोजन का प्रकार, कार्य की प्रकृति,, मजदूरी की दर, आदि का स्पष्ट उल्लेख हो।
- प्रत्येक कर्मचारी को, जिस उद्योग में वह नियोजित हो, उस उद्योग के लिए सरकार द्वारा निर्धारित अथवा आपसी समझौते द्वारा निर्धारित मजदूरी (जो अधिक हो) का भुगतान सुनिश्चित कराया जाए।
- सरकार अन्य श्रमिको की तरह पीतल दस्तकारों ,चिकन और जरी के वर्करों को भी न्यूनतम मजदूरी छ माह तक दे। और सरकार ३ वर्ष तक कपड़े पर से जीएसटी हटा दें।
- कपडा मंत्रालय द्वारा जारी किये जा रहे आर्टिसन कार्ड को मान्यता मिले , तथा सरकार के द्वारा की गयी राहत घोषणाओं को लिंक कि जाए।
- सरकार द्वारा होम बेस्ड वर्कर के लिए रिहैबिलिटेशन पैकेज घोषित किया जाये ।पीतल दस्तकार चिकन उद्यमी तथा अन्य होम बेस्ड उद्यमी द्वारा बैंक से लिए गए कर्ज की माफी की जाये ।
हम आशा करते है कि सरकार हमारी उपरोक्त माॅगों पर विचार करते हुये उसे पूरा करने लिए अविलंब ठोस कदम उठाएगी।
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