हमारे शरीर में दिल की संरचना काफी जटिल होती है और स्वस्थ रहने के लिए इसका स्वस्थ रहना बहुत जरूरी है। क्योंकि हमारे शरीर के विभिन्न अंगों को रक्त पहुंचाने का कार्य यही करता है। लेकिन लोगों के बीच इससे जुड़े कई मिथक प्रचलित हैं, आइए उन मिथकों और हकीकत के बारे में जानते हैं। इन वजहों से आप हो सकते हैं बहरे, कैसे करें बचाव मिथक: दिल की बीमारियों और ब्रेन स्ट्रोक में कोई संबंध नहीं है। हकीकत: दिल की बीमारियों और ब्रेन स्ट्रोक में गहरा संबंध है। कोरोनरी…
Category: पत्रकार लेख
हर समय पाखंडियों ने बहुजन मूलनिवासी समाज ठगा, देवी देवताओं पर क्या थी रामास्वामी पेरियार की सोच?
आज़ादी से पहले और इसके बाद के तमिलनाडु में पेरियार का गहरा असर रहा है और राज्य के लोग उनका कहीं अधिक सम्मान करते हैं. पेरियार के नाम से विख्यात, ई. वी. रामास्वामी का तमिलनाडु के सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्यों पर असर इतना गहरा है कि कम्युनिस्ट से लेकर दलित आंदोलन विचारधारा, तमिल राष्ट्रभक्त से तर्कवादियों और नारीवाद की ओर झुकाव वाले सभी उनका सम्मान करते हैं, उनका हवाला देते हैं और उन्हें मार्गदर्शक के रूप में देखते हैं. तर्कवादी, नास्तिक और वंचितों के समर्थक होने के कारण उनकी सामाजिक…
कृषि क्रान्ति और किसान नेतृत्व लेखक चौ महाराज सिंह भारती”प्रस्तुतकर्ता” – इंजी अलप भाई पटेल
झूम की खेती-: जब जनसंख्या बढ़ने पर वनों से आहार जुटाना दुर्लभ हो गया तो आदिवासियों ने चलती फिरती खेती से भी आहार जुटाना आरंभ कर दिया जंगल के पेड़ काटकर लकड़ी का मकान बनाने और जलाने के लिए भंडारित कर ली तथा शेष डालें और पत्तियों को सुखाकर आग लगाकर उच्च कटे हुए वन क्षेत्र को घास पात से मुक्त करके उसमें खेती कर ली 3 या 4 वर्ष में भूमि की उर्वरा शक्ति कमजोर हो गई घास पात अधिक उगने लगे तो उक्त क्षेत्र को छोड़कर फिर कोई…
आखिर क्यों नहीं नेता या देश की जनता मनाती सम्राट अशोक जन्म जयंती ?
सम्राट अशोक का नाम भारतीय इतिहास के महान शासकों तथा योद्धाओं में अग्रणी है । ईसा पूर्व सन् 272 ई॰ में अशोक ने मगध का राज्य सँभाला था । इसके पश्चात् अपने 40 वर्षों के शासनकाल में उन्होंने जो ख्याति अर्जित की वह अतुलनीय है । वे एक ऐसे महानतम शासक के रूप में विख्यात हैं जिन्होंने केवल मगध में ही नहीं अपितु भारत के कोने-कोने में सत्य , न्याय प्रज्ञा और अहिंसा का प्रचार-प्रसार किया । अशोक के समय कई देशों में भारत का व्यापार होता था और अफगानिस्तान…
अखंड भारत के निर्माता, महान चक्रवर्ती सम्राट अशोक को इस लेख से जानें
प्राचीन समय के सबसे प्राचीन वंश मौर्य वंश के तीसरे राज्य अशोक मौर्य विश्वप्रसिद और सबसे शक्तिशाली राजाओं में से एक थे. सम्राट मौर्य ने 269 से 232 ई.पू तक शासन किया था. मौर्य वंश का यह राजा ही एक ऐसा राजा था जिसने अखंड भारत पर राज किया था. भारत में मौर्य वंश की नींव रखने वाले इस राजा ने भारत के उत्तर में हिन्दुकुश से लेकर गोदावरी नदी तक राज्य का विस्तार किया था इसके साथ ही उनका राज्य बांग्लादेश से लेकर पश्चिम में अफगानिस्तान और ईरान तक…
चाणक्य, चंद्रगुप्त मौर्य से लेकर झांसी की रानी तक थे लिट्टी-चोखा के दीवाने
झारखंड व बिहार की विश्व प्रसिद्ध व्यंजन लिट्टी चोखा है। इसके कायल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, फिल्म स्टार आमिर खान भी हैं, जो लिट्टी चोखा का स्वाद चखने से खुद को रेाक नहीं पाए। आज हम आपको बताते हैं, लिट्टी चोखे का इतिहास। लिट्टी एक आटे का गोला होता है, जिसके अंदर सत्तू का मसाला भी भरा जाता है। इसके बाद इसे जलते हुए अलाव में सेंका जाता है। अगर चोखे की बात करें तो चोखा आग पर सेंके गए आलू, बैगन, टमाटर से बनाया जाता है। लिट्टी चोखा सबसे आसानी…
पत्रकारिता केवल एक समाज सेवा है, निष्पक्ष पत्रकार जानिए कैसे कर रहे है,समाजसेवा…
किसी का शासकीय काम अटका पड़ा है तो पत्रकार को फोन पुलिस आपकी नहीं सुन रही हैं तो पत्रकार को फोन ट्रैफिक पुलिस ने वाहन पकड़ लिया तो मित्रों व सगे संबंधियों द्वारा किसी पत्रकार को फोन किसी को इलाज में मदद चाहिए तो पत्रकार को फोन किसी बच्चे को स्कूल में एडमिशन नहीं मिले या स्कूल की व्यवस्था संतोषजनक ना हो तो पत्रकार को फोन 2-4 घंटे बिजली गोल रहे तो पत्रकार को फोन बिजली बिल औसत से ज्यादा आ जाए तो पत्रकार को फोन अस्पताल के बिल में…
दुनिया का पहला विश्विद्यालय भारत में खुला था , जानें जानकारी
शिक्षा के मामले में आज भले ही भारत दुनिया के कई देशों से पीछे हो, लेकिन एक समय था, जब हिंदुस्तान शिक्षा का केंद्र हुआ करता था। भारत में ही दुनिया का पहला विश्वविद्यालय खुला था, जिसे नालंदा विश्वविद्यालय के नाम से जाना जाता है। प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना गुप्त काल के दौरान पांचवीं सदी में हुई थी, लेकिन सन् 1193 में आक्रमण के बाद इसे नेस्तनाबूत कर दिया गया था। बिहार के नालंदा में स्थित इस विश्वविद्यालय में आठवीं शताब्दी से 12वीं शताब्दी के बीच दुनिया के कई…
रेलवे रिक्रूमेंट सेल ने फीस वापसी के लिए किया नोटिस जारी
रेलवे रिक्रूमेंट सेल ने एन टी पी सी कैटेगरी परीक्षा वर्ग के लिए फीस रीफंड के लिए नोटिस जारी किया है। ऑनलाइन के माध्यम से 31 अगस्त तक आधिकारिक वेब साइट में बैंक एकाउंट अपडेट किया जा सकता है ।
नमो बुद्धाय का प्रचलन बढ़ा पुराना है समझें रिपोर्ट से
नए रिसर्च से पता चलता है कि “नमो बुद्धाय” का प्रचलन पुराना है। तेलंगाना के मेदक जिले की मंजीरा नदी की घाटी से पुरातत्ववेत्ता एम. ए. श्रीनिवासन की टीम ने प्राचीन “नमो बुद्धाय” खोज निकाला है। कुल्चाराम से बस एक किलोमीटर की दूरी पर पहाड़ की एक गुफा (गुहाश्रय) से चट्टानों पर लिखा हुआ “नमो बुद्धाय” मिला है। चूँकि दक्षिण भारत में “ध” नहीं है, इसलिए “हे नमो बुद्धाय” लिखा हुआ है। अभिलेख प्राकृत भाषा और धम्म लिपि में है। लिपि विशेषज्ञों ने इस लिपि का समय प्रथम सदी या…
भारत : वित्तीय स्थिति को बेहतर ढंग से संभालने की जरूरत, नहीं तो लातिन अमेरिका जैसा बन जायेगा
भारत में जब कोविड की दूसरी लहर अपना तांडव मचा रही है, तब तमाम अर्थशास्त्री आर्थिक वृद्धि दर के बारे में अपने अनुमानों में संशोधन कर रहे हैं. अधिकतर टीकाकार इस बात पर सहमत हैं कि इस साल के अंत में अर्थव्यवस्था उस स्तर पर पहुंच जाएगी जिस स्तर पर दो साल पहले थी. सवाल यह है कि उसके बाद क्या होगा. क्या यह उम्मीद की जाए कि आर्थिक वृद्धि में तेजी आएगी या देश को बीच में जाकर निराशा हाथ लगेगी? इसके जवाब में पहली बात यह है, जो…
सरकार जिम्मेदार है : भारत एक भयानक संकट के बीच खड़ा है
भारत आज जिस संकट में फंस गया है उसका बयान इसी तरह किया जा सकता है. वह ऑक्सीजन से लेकर एन-95 मास्क तक और ऑक्सीमीटर से लेकर वैक्सीन तक तमाम चीजों के लिए बड़े देशों से मदद मांग रहा है. और ये सारी चीजें लेकर जब विशाल मालवाही विमान हमारी धरती पर उतरेंगे तब हमारे तमाम केंद्रीय मंत्री खुशी से ट्वीट कर रहे होंगे. अभी कुछ सप्ताह पहले तक वे इस संभावना को बड़ी नफरत से खारिज कर रहे थे कि हमारे ‘न्यू इंडिया’ को विदेशी मदद की जरूरत पड़…
लेखक का पैसा : प्रफुल्ल सिंह “बेचैन कलम”
साहित्य के सब नहीं तो बहुतेरे आयोजन आज भी स्नेह-भाव से ही होते हैं। उसमें आयोजक कोई लाभ नहीं कमाता। उलटे खीसे की गांठ ढीली करके बंदोबस्त-तमाम करता है। मंच, माइक और माला का पैसा जेब से देता है। हिन्दी का लेखक भी कोई वैसा नक्षत्र नहीं, जिसे सुनने के लिए कोई टिकट ख़रीदकर सभागार में आता हो, जिस पर फिर यवनिका-पतन के बाद लेखक अपना दावा पेश करे और मुनाफ़े में हिस्सेदारी की मांग करे। बहुधा तो ये आयोजन साहित्यानुरागियों के द्वारा उत्साह और प्रेमवश करवाए जाते हैं, कुछ…
हम हम सभी को जल संरक्षण का संकल्प लेना होगा : प्रफुल्ल सिंह “बेचैन कलम”
संसार के प्रत्येक प्राणी का जीवन आधार जल ही है। शायद ही ऐसा कोई प्राणी हो जिसे जल की आवश्यकता न हो। जल हमें समुद्र, नदियों, तालाबों, झीलों, वर्षा एवं भूजल के माध्यम से प्राप्त होता है। गर्म हवाओं के चलने से समुद्र, नदियों, झीलों, तालाबों का जल वाष्पित होकर ठंडे स्थानों की ओर चलता है जहाँ पर न्यून तापमान के कारण संघनित होकर वर्षा के रूप में पृथ्वी पर गिरता है। जबकि पहाड़ों पर और भी कम तापमान होने के कारण जल बर्फ के रूप में जम जाता है…
फिर परधानी आईल बा : अनिल मिश्र (मुंबई)
फिर परधानी आईल बाउहै पुरनके चेहरन में अब,नई रवानी आईल बा।हमरा के लागेला जइसे,फिर परधानी आईल बा।।कतवारू जी बड़े सवेरे,गांव कै चक्कर मारे लें,जउने घर में वोटर ज्यादा,वही ज डेरा डारे लें,रामखेलावन हाथ जोड़िके,घुमत बाटें टोला में,वृद्धा पेंशन वाला फारम,धइले बाटे झोरा में,समरसता के बदरा जइसे,गांव मध्य में छाइल बा।हमरा के लागेला जइसे,फिर परधानी आईल बा।।खरपत्तू कै माई तेवरिस,मरि गइलीं लाचारी में,खेत बेंचि के रुपया फुकलैं,माई के बैमारी में,केहू मदद करे ना आयल,ना केहू दर्शन दिहलै,असों भँइस मरल बाओकर,सब केहू अंगना कईलै,यतना रुपया जुटल बा ओकरे,दूसर भँइस किनाइल बा।हमरा के…
।।जिंदगी के कुछ लम्हें।।
जिंदगी के कुछ अनमोल लम्हे हमारे साथ शेयर कर रहे अभिषेक कुमार उन्होंने कहा जिंदगी के कुछ लम्हें ऐसे भी गुजरे जब हम दोनों एक साथ रहे साथ पढ़े साथ रहे और कभी कभी थोड़ी-बहुत नोकझोंक भी हो जाती थी लेकिन उसने मुझे कभी अलग नहीं समझा अपनो की तरह ही मुझे प्यार दिया हम दोनों के साथ काटे वह दिन आज भी याद आते हैं और जैसे ही कभी वहां मेरा जाना होता है तो सबसे ज्यादा मुझे याद आते है मेरे एक बुजुर्ग मित्र की जो अब इस…
प्रेम का बंधन : गोविन्द मौर्या (प्रेम जी)
प्रेम की पावन बगिया से दो प्रेम के फूल खिले दिल में ।स्नेह प्यार के बंधन से मन मगन हुआ अपने मन में ।। जीवन के सच्चे बंधन से मन बहा प्रेम सागर की धारा में ।एक प्रेम के सच्चे सपने से स्नेह का चहल पहल हुआ मन में ।। उसकी प्यारी प्यारी खुशबू से महक का पवन चला जीवन में ।उसकी पायल की प्यारी छम छम से दिल धड़क उठा अंतर्मन में ।। उसकी आंखों की प्यारी काजल से यूं लगा घनघोर घटा छाई सावन में ।उसकी होठों की…
3 फीट की उस लड़की जो समाज के ताने खाकर बनी IAS
आरती डोगरा आज राजस्थान कैडर की IAS अफसर हैं। आरती का कद भले छोटा है लेकिन आज वो देशभर की महिला IAS के प्रशासनिक वर्ग में मिसाल बनकर उभरी हैं और ये कहना भी गलत नहीं होगा कि उन्होंने समाज में बदलाव के लिए कई मॉडल पेश किए हैं जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी काफी पसंद आए हैं। आरती मूल रूप से उत्तराखंड की रहने वाली है। UPSC पास करना उनका बचपन का सपना था। बता दें कि उनके पिता कर्नल राजेन्द्र डोगरा सेना में अधिकारी हैं और मां…
तक्षशिला के बारे में जानें
तक्षशिला : (पालि : तक्कसिला) प्राचीन भारत में गांधार देश की राजधानी और शिक्षा का प्रमुख केन्द्र था। यहाँ का विश्वविद्यालय विश्व के प्राचीनतम विश्वविद्यालयों में शामिल है। यह हिन्दू एवं बौद्ध दोनों के लिये महत्व का केन्द्र था। चाणक्य यहाँ पर आचार्य थे। ४०५ ई में फाह्यान यहाँ आया था। अब हमारी खबरें यूट्यूब चैनल पर भी देखें । नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें और हमारा यूट्यूब चैनल सब्सक्राइब करें । https://www.youtube.com/channel/UC4xxebvaN1ctk4KYJQVUL8g अब हमारी ख़बरें एप्लीकेशन पर भी उपलब्ध हैं । हमारा एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर से अभी डाउनलोड करें और खबरें पढ़ें । https://play.google.com/store/apps/details?id=com.dastak24.newsapp&hl=en ऐतिहासिक रूप से यह तीन महान मार्गों के संगम पर…
आखिर क्या है अर्जक संघ ?
अर्जक संघ की स्थापना 1 जून 1968 को उत्तर प्रदेश में महामना रामस्वरूप वर्मा ने अपने सहयोगी महामना चौधरी महाराज सिंह भारती एवं अन्य साथियों के साथ मिलकर की थी । यह एक विशाल औरों से हटकर सामाजिक संघठन है। अर्जक संघ जीवन जीने की पद्धत्ति है। अर्जक संघ मानववादी संस्कृति का विकास करने का काम करता है।इसका मकसद मानव में समता का विकास करना, ऊंच-नीच के भेदभाव को दूर करना और सबकी उन्नति के लिए काम करना है। संघ 14 मानवतावादी त्योहार मनाता है। इनमें गणतंत्र दिवस, आंबेडकर जयंती,…