मणिपुर में भड़की हिंसा पर काबू पाने के लिए सरकार ने सख्त कदम उठाते हुए दंगाइयों को देखते ही गोली मारने का आदेश जारी किया है। राज्य में आदिवासियों और बहुसंख्यक मेइती समुदाय के बीच हिंसा भड़कने के बाद सरकार ने यह फैसला लिया है। राज्य सरकार ने ‘‘गंभीर स्थिति’’ में देखते ही गोली मारने का आदेश जारी किया। इस हिंसा के चलते करीब 9,000 से ज्यादा लोग विस्थापित हो गए हैं।
हालात बेकाबू होने पर देखते ही गोली मारने के आदेश दिए गए
बुधवार को नगा और कुकी आदिवासियों द्वारा ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किए जाने के हिंसा भड़क गई। इस हिंसा ने रात में और जोर पकड़ लिया। हालात बेकाबू होते देख दंगाइयों को देखते ही गोली मारने का आदेश जारी करना पड़ा। राज्यपाल की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि ‘‘समझाने और चेतावनी के बावजूद स्थिति काबू में नहीं आने पर ‘देखते ही गोली मारने’ की कार्रवाई की जा सकती है। राज्य सरकार के आयुक्त (गृह) की साइन की गई अधिसूचना दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 के प्रावधानों के तहत जारी की गई है।
‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के दौरान भड़की हिंसा
मणिपुर की आबादी में 53 प्रतिशत हिस्सा रखने वाले गैर-आदिवासी मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) के दर्जे की मांग के खिलाफ चुराचांदपुर जिले के तोरबंग इलाके में ‘ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन मणिपुर’ (एटीएसयूएम) द्वारा बुलाए गए ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के दौरान हिंसा भड़क गई। इस मार्च का आयोजन मणिपुर हाईकोर्ट द्वारा पिछले महीने राज्य सरकार को मेइती समुदाय द्वारा एसटी दर्जे की मांग पर चार सप्ताह के भीतर केंद्र को एक सिफारिश भेजने के लिए कहने के बाद किया गया। पुलिस के अनुसार, चुराचांदपुर जिले के तोरबंग क्षेत्र में मार्च के दौरान हथियार लिए हुए लोगों की एक भीड़ ने कथित तौर पर मेइती समुदाय के लोगों पर हमला किया, जिसकी जवाबी कार्रवाई में भी हमले हुए, जिसके कारण पूरे राज्य में हिंसा भड़क गई।