सोरायसिस त्वचा से जुड़ी ऑटोइम्यून डिजीज है, जिसमें कोशिकाएं त्वचा पर तेजी से जमा होने लगती हैं। इससे त्वचा पर मोटी परत बन जाती है, जो लाल रंग के चकत्ते के रूप में नजर आती है। इसके सूखने पर कभी-कभी खुजली महसूस होती है। इस चर्म रोग से आप कैसे करें अपना बचाव, जानकारी देता आलेख।
सोरायसिस दुनिया भर में 125 मिलियन से अधिक लोगों को प्रभावित करता है। यह न केवल शारीरिक रूप से, बल्कि सामाजिक, मानसिक, भावनात्मक और आर्थिक रूप से भी प्रभावित करता है। भारत सहित 31 देशों में सोरायसिस रोगियों के सर्वेक्षण से पता चला है कि 66 प्रतिशत भारतीय सोरायसिस मरीज भेदभाव और अपमान का सामना करते हैं।
लक्षणों को पहचानें
गौरतलब है कि सोरायसिस नामक बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है और इसके लक्षण सभी में अलग-अलग दिखाई देते हैं। लेकिन त्वचा पर लाल रंग के सूखे चकत्ते बनना सबसे आम लक्षण है। इससे त्वचा में अक्सर खुजली महसूस होती है। कई बार क्रैक पड़ने या खुजलाने से उस जगह से खून भी निकलने लगता है।
सोरायसिस कुहनियों और घुटनों पर ज्यादा देखने को मिलता है। इस बीमारी में सिर की चमड़ी में भी रूसी (डैंड्रफ) जैसी परत जम जाती है और उसमें खुजली होती रहती है। गंभीर मामलों में हाथ व पैरों के नाखूनों में भी सोरायसिस हो सकता है।
क्या हैं कारण
इसके कारणों का अभी तक कुछ ज्यादा पता नहीं चला है, लेकिन विभिन्न अध्ययनों से पता चलता है कि यह बीमारी इम्यून सिस्टम से जुड़ी है। साधारण शब्दों में कहा जाए तो जो सैल्स हमारे शरीर में बाहरी तत्वों जैसे वायरस, बैक्टीरिया आदि से लड़ते हैं, वे सोरायसिस पीड़ित की त्वचा के अच्छे सैल्स पर भी अटैक कर देते हैं। इससे त्वचा पर मोटी परत बनने लगती है। सोरायसिस रोगी को त्वचा पर चोट, जख्म, संक्रमण, किसी कीड़े-मकोड़े के काटने, ठंड, सनबर्न और तनाव का ध्यान रखना चाहिए। जो लोग बहुत ज्यादा धूम्रपान व शराब का सेवन करते हैं, उन्हें विशेष रूप से सावधानी बरतनी चाहिए।
उपचार पर ध्यान दें
समय पर बीमारी की पहचान करके दवाओं से इसे बेहतर तरीके से ठीक किया जा सकता है। अगर समय रहते इसका इलाज न किया जाएं तो यह बीमारी पूरे शरीर पर भी फैल सकती है। कई बार लगता है कि बीमारी ठीक हो गई, लेकिन यह भविष्य में फिर उभरकर सामने आ जाती है। इसलिए ठीक महसूस होने पर इलाज को न रोकें, बल्कि डॉक्टर की सलाह के अनुसार पूरी दवा लें और उनके निर्देश पर दवा बंद करें।
इसके इलाज में डॉक्टर पीड़ित को दवाओं के साथ त्वचा पर लगाने के लिए मरहम भी देते हैं। कई बार दवाओं के दुष्प्रभाव से भी यह समस्या हो सकती है, इसलिए बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी दवा न लें। इलाज रोगी की स्थिति के अनुसार किया जाता है। ज्यादा गंभीर मामलों में फोटो (लाइट) थेरेपी भी दी जा सकती है और एडवांस थेरेपी यानी बॉयोलोजिक्स थेरेपी भी, जिससे रोगी बेहतर जिंदगी बिता सकते हैं।
ऐसे रखें अपना ध्यान
1. त्वचा को खुश्क न रहने दें। समय पर मॉइस्चराइजर लगाएं।
2. खाने-पीने का खास ख्याल रखें।
3. हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करें।
4. शराब का सेवन बिल्कुल बंद कर दें।
5. सकारात्मक सोच रखें।
(गुरुग्राम स्थित आर्टेमिस हॉस्पिटल के त्वचा रोग विभाग की प्रमुख डॉ. मोनिका बाम्बरु से की गई बातचीत पर आधारित)
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