एक ओर शिवपाल यादव सपा से कोई नाता न रखने का ऐलान करते हैं और दूसरी ओर सपा उनको सदन में आगे बिठाने की मांग का समर्थन करती है। क्या यह चाचा भतीजे के नजदीक आने के संकेत हैं या और दूर जाने के…। इसके अपने निहितार्थ हैं। पर सपा के नेता कहते हैं कि यह पहल तो चाचा के सम्मान में है।
सदन में अभी यह तय नहीं है कि शिवपाल यादव आगे की पंक्ति में किस सीट पर बैठेंगे। इस पर अभी स्पीकर को निर्णय करना है। आगे बैठने की सूरत में संभव है कि उन्हें नेता प्रतिपक्ष से ज्यादा दूर की सीट बैठने को मिले। आगे बैठने की मांग व उसका सपा का समर्थन के अपने निहितार्थ हैं। 403 के सदन में एक चौथाई सीटों से ज्यादा पर सपा सदस्य बैठते हैं। सबसे आगे की पंक्ति काफी लंबी व दूर तक गई है। इसमें कहीं भी शिवपाल के लिए सीट आवंटित हो सकती है। ऐसे में उन्हें सदन में नेता प्रतिपक्ष यानी अखिलेश यादव की सीट से दूर भी कोई सीट आवंटित हो सकती है। प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल यादव सपा विधायक हैं। सपा ने उनकी सदस्यता खत्म कराने का इरादा फिलहाल टाल दिया है। सियासत के जानकारों का कहना है कि यह पास आने के बजाये दूर करने की चतुर चाल भर है।
शिवपाल यादव व आजम खां दोनों ने मंगलवार को दिल्ली में मुलाकात की। इसमें क्या बात हुई यह तो ज्यादा साफ नहीं हो पाया लेकिन माना जा रहा है कि आजम खां से जुड़े कानूनी मसलों पर शिवपाल ने जानकारी ली। हालांकि शिवपाल यादव आजम खां से नजदीकी रखने की कोशिश करते हैं, लेकिन आजम खां कई मौकों पर साफ कर चुके हैं कि अब उम्र के इस पड़ाव में सपा छोड़ कर कोई नया मोर्चा या संगठन बनाने के मूड में बिल्कुल नहीं हैं। अलबत्ता उनकी चिंता अपने विधायक बेटे को पार्टी में मजबूती से जमाने की है। शिवपाल की भाजपा से नजदीकी आजम खां के किस काम आ सकती है, इस पर अभी कुछ कह पाना खासा मुश्किल है।