दिवंगत एक्टर इरफान खान ने बॉलीवुड ही नहीं, हॉलीवुड तक में अपने अभिनय की छाप छोड़ी

दिवंगत एक्टर इरफान खान ने बॉलीवुड ही नहीं, हॉलीवुड तक में अपने अभिनय की छाप छोड़ी। उन्होंने अपने अभिनय से हर वर्ग के दर्शकों को प्रभावित किया। राजस्थान के जयपुर में इरफान का जन्म एक मुस्लिम पठान परिवार में 7 जनवरी 1967 को हुआ था। इरफान न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर से पीड़ित थे और उन्होंने इस बीमारी से एक लंबी लड़ाई लड़ी। 29 अप्रैल 2020 को उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया था। आज इरफान खान की चौथी डेथ एनिवर्सरी पर जानते हैं उनकी जिंदगी से जुड़े कुछ किस्से…
इरफान खान एक्टर नहीं, क्रिकेटर बनना चाह रहे थे। इस बात का खुलासा इरफान ने खुद ही एक इंटरव्यू के दौरान किया था। एक्टर ने कहा था – ‘एक वक्त था जब मैं क्रिकेट खेलता था। मेरा सिलेक्शन सीके नायडू टूर्नामेंट के लिए हुआ था।
उसमें मेरे 26 साथी चुने गए थे जिन्हें एक कैंप में जाना था, लेकिन मैं नहीं जा पाया, क्योंकि कैंप में जाने के लिए मैं पैसे का इंतजाम नहीं कर पाया। मैंने डिसीजन लिया कि क्रिकेट छोड़ देना चाहिए, क्योंकि इसमें किसी न किसी के सहयोग की जरूरत होगी।’
इंडस्ट्री में आने के बाद इरफान ने काफी संघर्ष किया। इरफान ने कहा था- ‘मैंने कुछ फिल्में देखीं और एक्टर बनने का सपना देख लिया। ये मेरे जीवन का सबसे बड़ा रिस्क था। मैं जिस परिवार से आता हूं उसमें कोई क्रिएटिव बैकग्राउंड नहीं था। जब एनएसडी में दाखिला हुआ, उन्हीं दिनों पिता की मृत्यु हो गई। जिसके बाद घर से पैसे मिलने बंद हो गए। लिहाजा एनएसडी से मिलने वाली फेलोशिप के जरिए कोर्स किया।’
मुंबई में आकर इरफान खान ने काफी स्ट्रगल किया। वो एक्टिंग से पहले इलेक्ट्रिशियन का काम करते थे। इरफान को एक बार राजेश खन्ना के घर पर एसी ठीक करने का काम मिला था। जब वो राजेश खन्ना के घर एसी ठीक करने गए, तो राजेश खन्ना की दाई ने दरवाजा खोला था। उस समय इरफान ने पहली बार राजेश खन्ना को देखा था और उन्हें देखकर बहुत खुश हुए थे।
इरफान खान ने अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत दूरदर्शन के सीरियल ‘श्रीकांत’ से की। यह सीरियल साल 1985 में आया था। इसके अलावा उन्होंने ‘भारत एक खोज, चाणक्य, चंद्रकांता, सारा जहां हमारा, बनेगी अपनी बात और संजय खान के धारावाहिक ‘जय हनुमान’ में काम किया।
जय हनुमान में इरफान ने महर्षि वाल्मीकि की भूमिका निभाई थी। इस सीरियल में वाल्मीकि बनने से पहले डाकू वाले पार्ट को दिखाया गया था। जिसका पंजाब के वाल्मीकि समाज ने काफी विरोध किया था।
टेलीविजन में करियर बनाने के दौरान ही मीरा नायर ने इरफान खान को फिल्म ‘सलाम बॉम्बे’ में कैमियो रोल दिया था, लेकिन फिल्म में उनका सीन कट गया था। तब वे रघुवीर यादव के कंधे पर सिर रखकर खूब रोए। इरफान ने साल 1990 में फिल्म ‘एक डॉक्टर की मौत’ से अपना डेब्यू किया। इस फिल्म में पंकज कपूर और शबाना आजमी की लीड भूमिका थी। इसमें इरफान ने एक बेबाक रिपोर्टर की भूमिका निभाई थी।
सलाम बॉम्बे में रोल कटने के बाद मीरा नायर ने इरफान से वादा किया था कि किसी अन्य फिल्म में लीड रोल देंगी। उन्होंने साल 2006 में रिलीज फिल्म ‘द नेमसेक’ में उन्हें लीड रोल दिया। जब वे फिल्म की शूटिंग कर रहे थे, तब मीरा नायर ने उन्हें अमेरिका में 6 महीने बिताने के लिए महज 10 लाख रुपए दिए थे। उस समय तक इरफान का संघर्ष खत्म नहीं हुआ था।
तिग्मांशु धूलिया के साथ इरफान खान हासिल, पान सिंह तोमर और साहिब बीवी और गैंगस्टर रिटर्न्स जैसी फिल्मों में काम कर चुके हैं। हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान तिग्मांशु ने इरफान से जुड़ा एक किस्सा शेयर किया। तिग्मांशु ने कहा – ‘साहिब बीवी और गैंगस्टर रिटर्न्स’ की शूटिंग के दौरान जब मैं सेट पर पहुंचा तो देखा कि इरफान गुस्से में थे और मुझ पर बरस पड़े।
तिग्मांशु ने कहा – मधुमक्खियों की वह मौत इरफान के दिमाग में किसी नरसंहार से कम नहीं थी। दरअसल, सेट पर मधुमक्खियों का एक छत्ता था। जिसे मैंने हटाने को कहा था, लेकिन उस शख्स ने उसमें आग लगा दी, जिससे इरफान काफी नाराज हुए।
मैं जब सेट पर पहुंचा तो इरफान ने चार गाली देते हुए कहा कि ये क्या किया है तुमने, तुम्हें पता है मधुमक्खियां क्या चीज होती हैं?’ मैंने बोला कि मधुमक्खियां मैंने हटाने के लिए कहा था, जलाने के लिए नहीं।
मनोज बाजपेयी ने कभी भी इरफान खान के साथ काम नहीं किया। हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान मनोज बाजपेयी ने खुलासा किया कि वो मकबूल में इरफान वाली भूमिका निभाना चाहते थे। मनोज ने कहा- ‘मैंने मकबूल के लिए विशाल भारद्वाज से संपर्क किया था। उन्होंने कहा कि के के मेनन पहले भूमिका निभा रहे थे। इसके लिए उन्होंने अपने बाल भी लंबे कर लिए थे। फिल्म में देरी हुई और उनका पहले से अन्य प्रोजेक्ट पर कमिटमेंट था, इसलिए यह इरफान के पास गई। मैंने विशाल को 21 बार कॉल किया, लेकिन वे मना करते रहे।’
डायरेक्टर विशाल भारद्वाज के साथ इरफान खान ‘मकबूल’, ‘सात खून माफ’ और ‘हैदर’ जैसी फिल्मों में काम कर चुके हैं। विशाल ने हाल ही में खुलासा किया कि फिल्म ‘खुफिया’ को उन्होंने इरफान खान को ध्यान में रखकर लिखा था, लेकिन उनके निधन के बाद फिल्म में इरफान वाली भूमिका तब्बू ने निभाई। विशाल ने कहा – ‘जब इरफान नहीं रहे तो मैंने डिसाइड किया कि मैं किसी दूसरे मेल एक्टर के साथ ये फिल्म नहीं करूंगा। मैंने उस रोल में तब्बू को कास्ट कर लिया और उस अधिकारी का जेंडर चेंज किया।’
इरफान खान ने अपने 32 साल के करियर ऐसी कई फिल्में की हैं, जो मील का पत्थर साबित हुईं। डायरेक्टर तिग्मांशु धूलिया की फिल्म ‘हासिल’ के लिए उन्हें उस साल का ‘बेस्ट विलेन’ का फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला था। उसके बाद इरफान ने मकबूल, लाइफ ऑफ पाई, लंचबॉक्स, हैदर, पीकू और हिंदी मीडियम जैसी बेहतरीन फिल्मों में काम किया। इरफान खान को फिल्म ‘पान सिंह तोमर’ के लिए नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। साल 2011 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया था।