ई-सिम टेक्नोलॉजी फोन में कैसे काम करती? क्या एक साथ 2 ई-सिम एक्टिव कर सकते हैं

कई सारी कंपनियां अपने स्मार्टफोन में अब ग्राहकों को ई-सिम का ऑप्शन दे रही है। ई-सिम टेक्नोलॉजी से स्मार्टफोन को कई तरह के फायदे हैं तो कुछ नुकसान भी हैं। आइए आपको बताते हैं कि इस टेक्नोलॉजी के बारे में डिटेल से।

स्मार्टफोन की टेक्नोलॉजी तेजी से बदलती है। पिछले कुछ वक्त में स्मार्टफोन में नए नए फीचर्स देखने को मिले हैं। अब सिम टेक्नोलॉजी में भी बदलाव आ चुका है। अब कई स्मार्टफोन ब्रांड्स अब ई-सिम स्लाट के साथ फोन को लॉन्च कर रहे हैं। ई-सिम टेक्नोलॉजी में फिजिकल सिम की जरूरत नहीं होती बल्कि इसमें सिम सीधे डिवाइस से ही इंटीग्रेट किया जाता है। कंपनी स्मार्टफोन को बनाते समय ही ई सिम के स्लाट को एम्बेड कर देती हैं जिससे दूसरी सिम के लिए सिम स्लाट की जरूरत नहीं पड़ती।

ई-सिम टेक्नोलॉजी के कुछ फायदे भी हैं तो कुछ नुकसान भी हैं। आइए आपको डिटेल से इस टेक्नोलॉजी के बारे में बताते हैं।

ई-सिम टेक्नोलॉजी में सिम स्लाट डिफाल्ट रूप से हार्डवेयर में इंटीग्रेटेड होते हैं। ई सिम स्लाट को डिवाइस के मदरबोर्ड में फिट किया जाता है जिसकी वजह से अलग से सिम स्लाट नहीं बनाना पड़ता।

ई-सिम को एक्टिव करने के लिए ओवर द एयर टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया जाता है। ई-सिम में यूजर्स को किसी एक मोबाइल ऑपरेटर को सेलेक्ट करना पड़ता है। यानी आप ईसिम में सिर्फ एक ही सिम को एक्टिव कर सकते हैं।

ईसिम टेक्नोलॉजी का सबसे बड़ा फायदा यह है कि आप बिना सिम को बदले ही आसानी से एक मोबाइल नेटवर्क ऑपरेटर से दूसरे मोबाइल नेटवर्क ऑपरेटर पर स्विच कर सकते हैं।

ई-सिम टेक्नोलॉजी से स्मार्टफोन को और अधिक बेहतर बनाना भी आसान हुआ है। इसकी मदद से स्मार्टफोन में स्पेस की भी बचत होती है जिससे डिवाइस के डिजाइन को और अधिक स्लिम और कॉम्पैक्ट बनाने में मदद मिलती है।

ई-सिम टेक्नोलॉजी पारंपरिक फिजिकल सिम की तुलना में अधिक सिक्योर है। इसमें एक सिक्योर ऑथेन्टिकेशन और सिक्योर सिस्टम है। प्राइवेसी को मेंटन रखने के लिए ई-सिम टेक्नोलॉजी में सिक्योरटी प्रोटोकॉल का उपयोग किया जाता है।