जौनपुर का चुनाव हुआ मजेदार, अखिलेश यादव ने बाबूसिंह कुशवाहा को बनाया प्रत्याशी

लोकसभा चुनाव में रविवार को सपा मुखिया अखिलेश यादव ने सात और सीटों पर उम्मीदवारों का एलान किया। जिसमें जौनपुर से बाबू सिंह कुशवाहा को प्रत्याशी बनाया गया है। बाबू सिंह कुशवाहा मायावती सरकार में मंत्री थे। बांदा जिले के बबेरू तहसील के पखरौली गांव में एक कृषक परिवार से जुड़े कुशवाहा ने जीवन यापन के लिए अतर्रा में ही लकड़ी का टाल खोलकर जीवन यापन शुरू किया था। वर्ष 1985 में स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले बाबू सिंह 17 अप्रैल 1988 को बसपा संस्थापक कांशीराम के संपर्क में आए। कांशीराम ने दिल्ली बुलाया तो सियासी तकदीर आजमाने का ख्वाब लेकर बाबू सिंह दिल्ली गए।

दिल्ली के बसपा कार्यालय में छह माह भी नहीं बीते होंगे कि उनको प्रोन्नत कर लखनऊ कार्यालय में संगठन का काम करने भेजा गया।
1993 में सपा व बसपा के गठबंधन हुए तो बाबू सिंह को बांदा का जिलाध्यक्ष बनाया गया।
मायावती ने उनको बसपा दफ्तर में टेलीफोन ऑपरेटर की जिम्मेदारी सौंपी। 1997 में उनको पहली बार विधान परिषद सदस्य के तौर पर बड़ा इनाम मिला। वर्ष 2003 में बाबू को परिषद में दोबारा भेजा गया। 2003 में तीसरी बार बसपा की सरकार बनी तो कुशवाहा को पंचायती राज मंत्री बनाया गया। 2007 में बसपा पूर्ण बहुमत से सत्ता में आई तो बाबू सिंह को खनिज, नियुक्ति, सहकारिता जैसे महत्वपूर्ण विभाग मिले। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के जो करोड़ों रुपये सरकार खर्च नहीं कर पाती थी, उसपर बाबू की नजर गई और फिर बंदरबांट का खेल शुरू हो गया। राजधानी में दो सीएमओ की हत्या और जेल में एक डिप्टी सीएमओ की रहस्यमयी मौत के बाद कुशवाहा और स्वास्थ्य मंत्री अनंत मिश्रा ने 17 जुलाई 2011 को इस्तीफा दे दिया। 19 नवंबर को बाबू सिंह ने बगावत कर दी और बसपा ने भी नौ दिन बाद उनको पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया।