ग़ज़ल झूठ को सच हमेशा बताना पड़ाफ़र्ज़ यूँ भी बशर का निभाना पड़ा आपकी बज़्म में लौटने के लिएहर क़दम क़ीमतों को बढ़ाना पड़ा ज़िंदगी के सभी सुर समझ आ गएप्यार के राग को भूल जाना पड़ा इक सुहागन को जीवन ही सारा अगरएक विधवा के जैसे बिताना पड़ा बेसबब गर्व का खामियाज़ा यहीसर झुकाया नहीं सर कटाना पड़ा बलजीत सिंह बेनाम सम्प्रति:संगीत अध्यापक सम्पर्क सूत्र: 103/19 पुरानी कचहरी कॉलोनी, हाँसीज़िला हिसार(हरियाणा)मोबाईल नंबर:9996266210
Category: विचार
प्रकृति की सहनशीलता अब खत्म होने को: प्रफुल्ल सिंह “बेचैन
प्रकृति, जिसके जितने करीब जाओ उतनी ही अपनी ओर खींचने को आतुर। बाहरी और आंतरिक सौंदर्य से लबालब। अद्भुत सम्मोहन शक्ति की स्वामिनी। इतनी मोहक कि एक रूखा व्यक्ति भी दो पल के लिए ठिठक जाता है। विभिन्न रूप और हर रूप का अपना अलग दैवीय सौंदर्य। इसके सौंदर्य का रसपान एक प्रकृति प्रेमी ही कर सकता है। वही महसूस कर सकता है इसकी विभीषिक में, कांटों में और संघर्षों में भी इसका अनूठा सौंदर्य। सघन अरण्य की ओर रुख करें तो अपने बाहुपाश में बांध लेती है प्रकृति। अनुपम सौंदर्य,…
लेखक का पैसा : प्रफुल्ल सिंह “बेचैन कलम”
साहित्य के सब नहीं तो बहुतेरे आयोजन आज भी स्नेह-भाव से ही होते हैं। उसमें आयोजक कोई लाभ नहीं कमाता। उलटे खीसे की गांठ ढीली करके बंदोबस्त-तमाम करता है। मंच, माइक और माला का पैसा जेब से देता है। हिन्दी का लेखक भी कोई वैसा नक्षत्र नहीं, जिसे सुनने के लिए कोई टिकट ख़रीदकर सभागार में आता हो, जिस पर फिर यवनिका-पतन के बाद लेखक अपना दावा पेश करे और मुनाफ़े में हिस्सेदारी की मांग करे। बहुधा तो ये आयोजन साहित्यानुरागियों के द्वारा उत्साह और प्रेमवश करवाए जाते हैं, कुछ…
हम हम सभी को जल संरक्षण का संकल्प लेना होगा : प्रफुल्ल सिंह “बेचैन कलम”
संसार के प्रत्येक प्राणी का जीवन आधार जल ही है। शायद ही ऐसा कोई प्राणी हो जिसे जल की आवश्यकता न हो। जल हमें समुद्र, नदियों, तालाबों, झीलों, वर्षा एवं भूजल के माध्यम से प्राप्त होता है। गर्म हवाओं के चलने से समुद्र, नदियों, झीलों, तालाबों का जल वाष्पित होकर ठंडे स्थानों की ओर चलता है जहाँ पर न्यून तापमान के कारण संघनित होकर वर्षा के रूप में पृथ्वी पर गिरता है। जबकि पहाड़ों पर और भी कम तापमान होने के कारण जल बर्फ के रूप में जम जाता है…
मैं किन्नर क्या-क्या बन जाऊं
किन्नर भिक्षु भी हैं।किन्नर दानवीर भी हैं।किन्नर नृत्यकार भी हैं।किन्नर संगीतज्ञ भी हैं।किन्नर स्वयं न्यायाधीश,यम भी हैं।किन्नर विष्णु भी हैं।किन्नर मृत्यु भी हैं।किन्नर सुख भी हैं।किन्नर दुख भी हैं।किन्नर वैश्या भी हैं।किन्नर काम भी हैं।किन्नर काम नियंत्रक भी हैं।किन्नर लिंग धारी देवी भी हैंकिन्नर लिंग विच्छेद नारी भी हैं।किन्नर योनि धारी पुरुष भी हैं।किन्नर ब्रह्माण्ड का नायक भी हैं।किन्नर संतान श्रृजक भी हैं।किन्नर सांसारिक मोह में फंस कर भी विरक्त हैं।किन्नर गृह स्वामी हो कर भी सन्यासी हैं।किन्नर स्वर्ण और पाप को धारण कर पाप मुक्त है।किन्नर सभी देवताओं सर्वश्रेष्ठ…
जब बुद्ध ने समझाया मौन का महत्त्व
एक व्यक्ति, कोई जिज्ञासु, एक दिन आया। उसका नाम मौलुंकपुत्र था, एक बड़ा ब्राह्मण विद्वान्; पाँच सौ शिष्यों के साथ बुद्ध के पास आया था। निश्चित ही उसके पास बहुत सारे प्रश्न थे। एक बड़े विद्वान् के पास ढेर सारे प्रश्न होते ही हैं, समस्याएँ ही समस्याएँ। बुद्ध ने उसके चेहरे की तरफ देखा और कहा, ‘मौलुंकपुत्र, एक शर्त है । यदि तुम शर्त पूरी करो, केवल तभी मैं उत्तर दे सकता हूँ। मैं तुम्हारे सिर में भनभनाते प्रश्नों को देख सकता हूँ। एक वर्ष तक प्रतीक्षा करो। ध्यान करो,…
उत्तम व्यक्ति कौन ? बुद्ध ने बताया
गौतम बुद्ध एक शहर में प्रवास कर रहे थे। उनके कुछ शिष्य भी उनके साथ थे । उनके शिष्य एक दिन शहर में घूमने निकले तो उस शहर के लोगों ने उन्हें बहुत बुरा भल्रा कहा – शिष्यों को बहुत बुरा ल्रगा और बे वापस लौट गये । गौतम बुद्ध ने जब देखा कि उनके सभी शिष्य बहुत क्रोध में दिख रहे हैं तो, उन्होंने पूछा – “क्या बात है आप सभी इतने तनाव में क्यूँ दिख रहे है।” तभी एक शिष्य क्रोध में बोला, “हमें यहाँ से तुरंत प्रस्थान…
जब बुद्ध ने युवक को सत्संग का महत्व समझाया : आदर्श कुमार
बुद्ध एक गाँव में ठहरे हुए थे। वे प्रतिदिन शाम को वहाँ पर सत्संग करते थे। भक्तों की भीड़ होती थी, क्योंकि उनके प्रवचनों से जीवन को सही दिशा बोध प्राप्त होता था। बुद्ध की वाणी में गजब का जादू था। उनके शब्द श्रोता के दिल में उतर जाते थे। एक युवक प्रतिदिन बुद्ध का प्रवचन सुनता था। एक दिन जब प्रवचन समाप्त हो गए, तो वह बुद्ध के पास गया और बोला, ‘महाराज! मैं काफी दिनों से आपके प्रवचन सुन रहा हूँ, किंतु यहाँ से जाने के बाद मैं…
कर अदायगी और उसका उपभोग: किसानों के सन्दर्भ में-राम सिंह
समय-समय पर यह मुद्दा उठता रहता है कि कर अदायगी कोई करता है जबकि उस कर का उपभोग कोई दूसरा करता है। उदाहरणार्थ जेएनयू में फीस के मुद्दे पर छात्रों के आंदोलन के समय कुछ लोगों ने प्रश्न किया था कि हमारे कर का उपयोग प्रौढ़ हो चुके छात्रों की शिक्षा पर न किया जाय। साथ ही यह भी कहा गयाकि जेएनयू आतंकवाद का गढ़ बन गया है, अतः उनके द्वारा अदा किए गए कर का उपयोग इन आतंकवादियों पर न किया जाए। वर्तमान में किसानों के आंदोलन के समय…
किसान आंदोलन – 2020 : गोविन्द मौर्या ‘प्रेम जी’
है किसानों की हालत क्यों बदतर यहींक्या कृषि प्रधान देश भारत है आज भी है वहीगूंजता था जहां जय जवान जय किसान का नाराआज सड़कों पर सामना हुआ है यही देश की सियासत में इतना बादशाहत है क्योंआज सड़कों पर इतना हंगामा है क्योंआज किसानों की हालत जब हुई है खराबआज देश की हुकूमत है खामोश क्यों देश का भाग्य विधाता है अन्नदाता यहीइतना जुल्म इनपर आज क्यों करते तुमयही करते हैं तुम्हारे सियासत का फैसलाजानकर इनका हौसला कल को पछताओगे ये पानी की बौछार ये आंसू के गोलेजो चली…
प्रेम का बंधन : गोविन्द मौर्या (प्रेम जी)
प्रेम की पावन बगिया से दो प्रेम के फूल खिले दिल में ।स्नेह प्यार के बंधन से मन मगन हुआ अपने मन में ।। जीवन के सच्चे बंधन से मन बहा प्रेम सागर की धारा में ।एक प्रेम के सच्चे सपने से स्नेह का चहल पहल हुआ मन में ।। उसकी प्यारी प्यारी खुशबू से महक का पवन चला जीवन में ।उसकी पायल की प्यारी छम छम से दिल धड़क उठा अंतर्मन में ।। उसकी आंखों की प्यारी काजल से यूं लगा घनघोर घटा छाई सावन में ।उसकी होठों की…
बादल आए—डॉ.एम.डी.सिंह पीरनगर ,गाजीपुर
बादल आए बादल आए बारिश लेकर बादल आए गोलू दौड़ा गीता दौड़ी रोहन साथ संगीता दौड़ी शमशेर दौड़ा गिरा धड़ाम चप्पल छोड़ लोलीता दौड़ी भीग -भीग कर खूब नहाए बादल आए बादल आएकाले घने गरजते बादल झम झमा झम बरसते बादल ऊपर नीचे रहे हैं दौड़ धूम धड़ाम कड़कते बादल बन्दी हुई रेनी डे लाए बादल आए बादल आएमेंढक टर्र-टर्र बोल रहे हैं मोर परों को खोल रहे हैं बिल्ली दुबकी कोने बैठी चूहे लप-लप डोल रहे हैं खुश किसान पौधे लहराए बादल आए बादल आए दादू पकड़े दादी डांटे मम्मी दौड़े…
हमेशा के लिए हमसे दूर न चली जाए गौरैया…… योगेंद्र कुमार
घर हमारे बड़े-बड़े हो गए हैं, पर दिल इतने छोटे कि उनमें नन्हीं-सी गौरैया भी नहीं आ पा रही. घर-घर की चिड़िया गौरैया आज अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही है. यूरोप में गौरैया संरक्षण-चिंता के विषय वाली प्रजाति बन चुकी है और ब्रिटेन में यह रेड लिस्ट में शामिल हो चुकी है. भारत में भी पक्षी वैज्ञानिकों के अनुसार पिछले कुछ सालों में गौरैया की संख्या में उल्लेखनीय गिरावट आई है. लगातार घटती इसकी संख्या को अगर हमने गंभीरता से नहीं लिया, तो वह दिन दूर नहीं, जब…