पीलीभीत। मोहल्ला मस्जिद पठानी स्थित प्राचीन भूमसेन मंदिर परिसर में रविवार को परमपूज्य बाबा श्री नीम करौली महाराज जी के स्थापना दिवस के पावन अवसर पर विशाल भंडारे का आयोजन किया गया। यह आयोजन भक्तों के सहयोग और सेवा भावना का प्रतीक बनकर सामने आया। भंडारे में सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लिया और श्रद्धा भाव से प्रसाद ग्रहण किया।
भंडारे की भव्य व्यवस्था का जिम्मा आयोजक मंडल ने बखूबी संभाला। आयोजनकर्ताओं में मनीष सक्सेना, शिशांक पटेल, वैभव कनौजिया, विराट पाठक, बद्री विशाल एवं नव्या गंगवार का विशेष योगदान रहा। कार्यक्रम की शुरुआत मंदिर में विशेष पूजा और बाबा नीम करौली महाराज की आरती से हुई, जिसमें भक्तों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया।
कौन थे बाबा परमपूज्य श्री नीम करौली महाराज जी
परमपूज्य बाबा श्री नीम करौली महाराज जी भारत के एक महान संत थे, जिन्हें हनुमान जी का परम भक्त व अवतार माना जाता है। उनका जन्म लगभग 1900 के आसपास उत्तर प्रदेश के अकबरपुर गांव (फैजाबाद जिले में) हुआ था। उनका असली नाम लक्ष्मण नारायण शर्मा था। बचपन से ही अध्यात्म में रुचि रखने वाले परमपूज्य बाबा जी ने युवावस्था में ही गृहस्थ जीवन त्यागकर संन्यास ले लिया।
बाबा जी का “नीम करौली” नाम उनके एक विशेष निवास स्थान जिसे उनकी तपोभूमि की वजह से मिला है। जो नैनीताल जिले के कैंची धाम के नाम से जाना जाता है। यहीं से उनका आध्यात्मिक कार्य शुरू हुआ और देशभर में फैला। जहां बाबा जी के अनुयायियों में आमजन से लेकर विदेशी लोग, बड़े उद्योगपति और तकनीकी हस्तियां भी शामिल हैं। एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब्स और फेसबुक के मार्क जुकरबर्ग भी बाबा के दर्शन हेतु भारत आए थे। जो अब दिन प्रतिदिन लाखों करोड़ों लोगों का कैंची धाम और परमपूज्य बाबा जी का नाम व मंदिर आस्था का केन्द्र बिन्दु है।
बाबा जी का स्थापना दिवस क्यों मनाया जाता है?
परमपूज्य बाबा श्री नीम करौली महाराज जी के प्रमुख आश्रमों में से एक, उत्तराखंड स्थित कैंची धाम की स्थापना 15 जून 1964 को की गई थी। तभी से हर वर्ष 15 जून को उनका स्थापना दिवस बड़े हर्षोल्लास व धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु कैंची धाम पहुंचते हैं और बाबा जी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इसी दिन को श्रद्धालु उनके प्रकट दिवस या स्थापना दिवस के रूप में मानते हैं और भंण्डारा, पूजा-पाठ, और सेवा कार्य बड़े सच्चे मन से करते हैं। इसी को लेकर भूमसेन मंदिर में इसी पावन तिथि को ध्यान में रखते हुए यह आयोजन किया गया, जिससे स्थानीय श्रद्धालु भी बाबा जी की कृपा प्राप्त कर सकें।
भक्ति और सेवा का अद्भुत संगम
भंडारे की तैयारियां एक दिन पहले से ही शुरू हो गई थीं। मंदिर परिसर को रंगीन झंडियों, फूलों और रोशनी से सजाया गया। सुबह से ही मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। आरती और भजन-कीर्तन के बीच भक्तगण बाबा जी के चरणों में नतमस्तक हुए। इसके बाद प्रसाद वितरण का कार्य शुरू हुआ जिसमें पूड़ी, सब्जी, हलवा, चना इत्यादि व्यंजन श्रद्धालुओं को वितरित किए गए।
समाज सेवा की प्रेरणा बना आयोजन
इस भव्य आयोजन ने न केवल धार्मिक आस्था को मजबूती दी बल्कि समाज में सेवा भाव, एकता और समर्पण की भावना को भी उजागर किया। स्थानीय लोगों ने आयोजकों की सराहना की और इस आयोजन को भावी पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा बताया। वहीं आयोजकों ने यह भी आश्वस्त किया कि आने वाले वर्षों में इस आयोजन को और भी भव्यता के साथ किया जाएगा ताकि अधिक से अधिक लोग बाबा नीम करौली महाराज जी की शिक्षाओं और आशीर्वाद से लाभान्वित हो सकें।