इसी बीच उर्मिला को जानकारी मिली कि उसके घर वाले उसका रिश्ता देख रहे हैं जिसके बाद से वह परेशान रहने लगी। इस बात की जानकारी जैसे ही भागीरथ को हुई। उसने प्रेमिका से बात की और घर छोड़ने का फैसला कर दिया। रविवार को दोनों बरेली में मढ़ीनाथ स्थित अगत्स्य मुनि आश्रम में आचार्य केके शंखधार की शरण में पहुंचे।
बरेली, एक ही गांव के रहने वाले भागीरथ और उजमा के अपने ही दुश्मन बन बैठे। उजमा ने जब घर पर भागीरथ से शादी की इच्छा जताई तो उस पर बंदिशें लगा दीं गईं। दूसरी जगह उसका रिश्ता देखा जाने लगा। एक होने का फैसला कर चुकीं उजमा ने भागीरथ की खातिर घर छोड़ दिया। रविवार को बरेली में भागीरथ संग सात फेरे लेने के बाद उजमा की नई पहचान उर्मिला बन गई है।
भागीरथ और उर्मिला पीलीभीत के न्यूरिया स्थित हुल्करी ढकिया गांव के निवासी हैं। भागीरथ ने बताया कि दोनों के बीच बीते दो साल से प्रेम-प्रसंग चल रहा है। इस बात की जानकारी पर उर्मिला के घर वालों को हुई तो उन्होंने इस रिश्ते का विरोध किया। गुपचुप तरीके से उसने भागीरथ को पूरी बात बताई।
इसी बीच उर्मिला को जानकारी मिली कि उसके घर वाले उसका रिश्ता देख रहे हैं जिसके बाद से वह परेशान रहने लगी। इस बात की जानकारी जैसे ही भागीरथ को हुई। उसने प्रेमिका से बात की और घर छोड़ने का फैसला कर दिया। रविवार को दोनों बरेली में मढ़ीनाथ स्थित अगत्स्य मुनि आश्रम में आचार्य केके शंखधार की शरण में पहुंचे। प्रपत्रों को दिखाते हुए विवाह की अर्जी लगाई।
केके शंखधार ने गंगाजल से उजमा का शुद्धीकरण कराया। फिर विवाह की रस्म पूरी कराईं। विवाह के बाद उर्मिला ने कहा कि वह बालिग हैं। मर्जी से भागीरथ से विवाह किया है। किसी की कोई जोर-जबरदस्ती नहीं है। स्वजन से उन्होंने जान का खतरा बताया। कहा कि वह भगवान महादेव की भक्त हैं। उनके पिता दर्जी हैं जबकि भागीरथ के पिता मजदूरी करते हैं। भागीरथ खुद मजदूरी कर जीवन-यापन करते हैं।