पीठ के बल सोना कमर को आधार देता है, जिसके कारण कमर दर्द नहीं होता और अगर होता भी है तो उसमें काफी हद तक राहत मिलती ह
पीठ के बल लेटने पर आपकी गर्दन को भी सही तरीके से तकिये का सपोर्ट मिल पाता है, अत: गर्दन के दर्द में लाभ होता है। जबकि गलत तरीके से सोने पर गर्दन को सही सपोर्ट नहीं मिल पाता।
यह सोने की वह अवस्था है जिसमें आपके पेट की स्थिति सही होती है, जिसके कारण पेट में अम्लीय रिसाव नहीं होता या उसमें कमी आती है।
जब आप पीठ के बल सोने के बजाए गलत तरीके से सोते हैं, तो आपका चेहरा भी उसके अनुरूप अवस्था में होता है, और उस पर दबाव एवं झुर्रियां आती हैं। खास तौर से लंबे समय तक ऐसा होने पर झुर्रिया बढ़ सकती है।जब आप लंबे समय तक अपने शरीर को बेढंग और गलत अवस्था में रखते हैं तो शरीर का बेडोल होना स्वभाविक है। इसका एक कारण यह भी है कि जब आप सोते हैं तब आपका शरीर विकास करता है।