श्रृष्टि कायम रहे,इस तहत वैदिक युग से ही विवाह का प्रचलन है।वेदों में विवाह के कई प्रकार का उल्लेख मिलता है,लेकिन हमारे समाज में जो विवाह पद्धति अपनाई गई वह थी सनातनी विवाह पद्धति,जो पूर्णतया मनुस्मृति पर आधारित थी। वेदों में चार वर्णों का उल्लेख मिलता है।ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शुद्र। ब्राह्मण का उत्पत्ति ब्रह्मा के मुख से, क्षत्रिय की उत्पत्ति ब्रह्मा की छाती से, वैश्य की उत्पत्ति ब्रह्मा की नाभि से और शुद्र का जन्म ब्रह्मा के पैरों से हुआ है।यह मनुस्मृति में भी वर्णन है। ब्राह्मण की पैदाइश चुकी ब्रह्मा के मुख से हुआ है अतः सभी वर्णों मे ब्राह्मण श्रेष्ठ है और वह देवताओं का प्रतिनिधित्व भी करता है। ब्राह्मण ने मनुस्मृति को आधार बनाकर विवाह के जो विधान बनाए वह सभी नियम क्षत्रिय और वैश्य समाज के विकास में उत्प्रेरक का काम किया लेकिन समस्त विधान शूद्रों यानी अन्य पिछड़ा वर्ग,अनुसुचित जाती ,अनुसुचीत जनजाति के विकास का बाधक बन गया। ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य विकास के चरमविनदु को प्राप्त कर लिए और शुद्र का शोषण होता चला गया।आज शोषीत वर्ग अपने बदहाली पर रो रहा है। शोषितों के उत्थान केलिए अर्जक संघ एक सामाजिक संस्था है जो समतावादी, मानववादी तथा वैज्ञानिक विचारधारा से युक्त है। मानववादी विचारधारा से लैश सैफग़ज(बांके बजार, गया) निवासी श्री अविनाश राज(भारतीय रेलवे) पिता श्रीरं अजय कुमार ((क्लर्क उपेंद्रनाथ वर्मा कालेज)का विवाह विभा कुमारी (स्नातक) पिता श्री विनोद प्रसाद का विवाह 5.11.2022 को ग्राम कोची में अर्जक पद्धति से सम्पन्न हुआ। सम्पूर्ण कार्यक्रम की अध्यक्षता सुरेन्द्र प्रसाद ( पूर्व मुखिया देवचंडी) किया। उन्होंने सनातनी विवाह पद्धति में प्रयुक्त बिधान के द्वारा किस प्रकार समाज में अंधविश्वास फैलाकर ब्राहमण अपना उल्लू सीधा करता है।परमेश्वर प्रसाद अर्जक ने मानववादी विवाह गीत के माध्यम से समाज में फैले अन्धविश्वास का पर्दाफाश किया।भारती(शिक्षिका, नवादा)ने वैवाहिक कार्यक्रम का सम्पादन किया।मनोज कुमार (महमूदपुर)ने मानववादी विवाह पद्धति में धन और वक्त दोनो पर लगाम लगा जो आज के परिप्रेक्ष्य में नितान्त आवश्यक है।राजु(मझीयामा)ने वर और वधू को वैज्ञानिक सोच के लिए कोटी कोटी धन्यवाद दिया। जितेन्द्र कुमार (शिक्षक, नवादा), प्रवीण कुमार (मरांची) डी के डानडेल(समाजसेवी,पलुहारा) वर और वधू पक्ष केकुटुमबजन मंच पर मौजूद थे। प्रातः काल इस विवाह को यादगार बनाने के लिए महिलाओं ने वृक्षारोपण भी किया।
प्रवीण कुमार
(मरांची, परैया गया)