विकास खंड घिरोर का एक ग्राम प्रधान 22 दिन से जिला कारागार में निरुद्ध है। लेकिन पंचायत राज विभाग और प्रशासन की मेहरबानी के चलते अब तक उसके वित्तीय और प्रशासनिक अधिकार सीज नहीं आए। यहां तक कि ग्राम निधि खाते से भुगतान के लिए बनवाया गया डिजिटल सिग्नेचर (डीएससी) भी चालू है। इसे जिम्मेदारों की लापरवाही कहें या प्रधान पर मेहरबानी, लेकिन ये जो भी है नियम विरुद्ध ही है।
ग्राम पंचायत बम्होरी अवाहार में यतेंद्र सिंह उर्फ लाला ग्राम प्रधान निर्वाचित हुए थे। निर्वाचन के बाद से वे ही ग्राम पंचायत के वित्तीय एवं प्रशासनिक अधिकारों का प्रयोग कर रहे हैं। 19 जुलाई को एक आपराधिक मामले में घिरोर पुलिस ने प्रधान को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। तब से प्रधान जिला कारागार में ही निरुद्ध हैं। इसकी जानकारी ब्लॉक से लेकर पंचायत राज विभाग तक जिम्मेदारों को है। इसके बाद भी नियम विरुद्ध तरीके से ग्राम प्रधान के वित्तीय एवं प्रशासनिक अधिकार अब तक सीज नहीं किए गए हैं।
नियमानुसार ग्राम प्रधान के वित्तीय और प्रशासनिक अधिकार जेल में निरुद्ध होने के बाद तत्काल ही सीज हो जाने चाहिए थे। लेकिन 22 दिन बीतने के बाद भी ये कार्य नहीं हो सका।इतना ही नहीं ग्राम पंचायतों में भुगतान के लिए ग्राम प्रधान को जारी किया गया डीएससी भी अब तक बंद नहीं हो सका है। इसका भी भुगतान के लिए दुरुपयोग किए जाने की आशंका बनी हुई है। लेकिन जिम्मेदारों को इससे कोई लेना देना नहीं है।
पंचायती राज एक्ट की धारा 12 के तहत है प्रावधानग्राम प्रधान के रिक्त पद को लेकर पंचायती राज एक्ट की धारा 12 में प्रावधान किया गया है। धारा 12 की अंतिम उपधारा के अनुसार किसी भी कारण से अगर प्रधान का पद रिक्त होता है तो ग्राम पंचायत सदस्य को दायित्वों के निर्वहन के लिए नामित किया जाता है। नामित सदस्य द्वारा ही ग्राम पंचायत की वित्तीय एवं प्रशासनिक शक्तियों का उपयोग भी किया जाता है।विकास कार्य भी हों रहे हैं प्रभावितग्राम पंचायत में प्रधान न होने से विकास कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं। चाहे ग्राम पंचायत सचिवालय के कार्यों का संचालन हो या फिर कोई अन्य कार्य सभी ठप पड़े हुए हैं। ग्राम पंचायत सचिव चाहकर भी अकेले कोई कार्य नहीं करा सकता है।
डीपीआरओ से जवाब मांगा जाएगा कि आखिर क्यों जेल में निरुद्ध प्रधान के अधिकार सीज नहीं किए गए। नियमानुसार जो भी उचित होगा कराया जाएगा।-विनोद कुमार, मुख्य विकास अधिकारी।