हमास के लीडर जल्द ही कतर से अपने ठिकाने को हटा सकते हैं

हमास के लीडर जल्द ही कतर से अपने ठिकाने को हटा सकते हैं। वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका लगातार कतर पर इजराइल-हमास के बीच सीजफायर संधि करवाने का प्रेशर बना रहा है, जो अब तक संभव नहीं हो पाया है।
अरब अधिकारियों के हवाले से रिपोर्ट में बताया गया है कि हमास इस वक्त ओमान समेत 2 खाड़ी देशों से संपर्क में हैं। दरअसल, हमास का मानना है कि इजराइल के साथ बंधकों की रिहाई पर डील होने में महीनों लग सकते हैं। ऐसे में वो कतर के साथ अपने संबंध खराब नहीं करना चाहता है।
हमास के नेता साल 2012 से कतर में रह रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी प्रेशर की वजह से पिछले कुछ समय में कतर और मिस्र ने हमास पर सीजफायर डील को लेकर अपनी शर्तें आसान करने का दबाव बनाया है। ऐसा न करने पर हमास को देश से निकालने की धमकी भी दी है। इससे पहले 17 अप्रैल को कतर ने कहा था कि वो इजराइल-हमास के बीच बिचोलिया की भूमिका पर दोबारा विचार कर रहा है।
कतर के प्रधानमंत्री जासिम अल-थानी ने दोहा में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा था, “मध्यस्थता कराने में कतर की भूमिका का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है। कई देश अपने चुनाव कैंपेन के लिए कतर के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं। हम दोनों पक्षों में समझौते के लिए एक हद तक की अपना योगदान दे सकते हैं। इसके बाद फैसला उन्हीं को करना होगा।”अमेरिका के कई सांसद व्हाइट हाउस से कतर पर दबाव डालने के लिए कह चुके हैं। इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने भी हमास के साथ डील करवाने के लिए कतर पर दबाव बनाने की बात कही थी। इस बीच अमेरिका के अधिकारियों ने कतर का बचाव किया है। उन्होंने कहा है कि कतर ने लगातार इजराइल और हमास के बीच बैठकों के जरिए समझौता करवाने की कोशिश की है।
दरअसल, अमेरिका को डर है कि अगर हमास के नेताओं ने दोहा छोड़ दिया तो वे ईरान या सीरिया जैसे किसी देश में जा सकते हैं। यहां अमेरिका की पकड़ कमजोर है और ऐसे में हमास नेताओं ने संपर्क करना बेहद मुश्किल हो जाएगा।
हमास ने सबसे पहले 21 अक्टूबर को अपनी कैद में मौजूद 2 अमेरिकी बंधकों को रिहा किया था। यह मध्यस्थता भी कतर ने करवाई थी। इसके बाद नवंबर में हमास-इजराइल के बीच हुए सीजफायर की डील करवाने में भी कतर और मिस्र का अहम रोल था।
दरअसल, कतर अमेरिका का सहयोगी होने के साथ ही हमास से भी संबंध रखता है। हमास चीफ इस्माइल हानिए भी राजधानी दोहा से ही काम करते हैं। कतर पहले भी अमेरिका और हमास जैसे संगठनों के बीच मध्यस्थता करवा चुका है।
इजराइल-हमास के अलावा यूक्रेन, लेबनान, सूडान और अफगानिस्तान जैसे देशों में भी कतर बिचौलिये की भूमिका निभा चुका है। फॉरेन पॉलिसी की रिपोर्ट के मुताबिक, कतर के पास दुनिया में तीसरा बड़ा गैस रिजर्व है। वह प्रति व्यक्ति आय के मामले में दुनिया का छठा सबसे बड़ा देश है।
ब्रिटिश मीडिया गार्जियन के मुताबिक, मध्यस्थ की भूमिका निभाकर कतर अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने खुद को बेहद अहम देश दिखाना चाहता है। इसके अलावा वो सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात जैसे पड़ोसियों के हस्तक्षेप से भी सुरक्षित रहना चाहता है।