जल ही जीवन है ,जल है तो कल है: जय प्रकाश श्रीवास्तव

विश्व जल दिवस के अवसर पर निस्पक्छ मीडिया फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष जय प्रकाश श्रीवास्तव ने समस्त देशवासियों और संगठन के पदाधिकारियों, सदस्यों को अनंत कोटि शुभकामनाएं दीं और कहा की आज विश्व जल दिवस के रूप में हम सभी को अपनी-अपनी जिम्मेदारी को समझना चाहिए. हमारे पूर्वजों ने इतने अच्छे-अच्छे बाग बगीचे तैयार करके दिए थे. आज हम अपने बच्चों को पेड़ काटकर खेत बनाकर अधिक से अधिक हाइब्रिड की उपज से जल्द से जल्द अमीर बनना चाहते हैं .यह भूल जाते हैं हाइब्रिड और दवाओं के प्रयोग से…

कविता “ओझल” : दीपा साहु

मंजर ऐसा देखना भी अभी बाकी था,इतनी सुंदर धरती पर,लाशों को फेंकना अभी बाकी था।तूफान,ज़लज़ला,बाढ़ की ,नेमत क्या कम थी,जो कोरोना का आना अभी बाकी था।महामारी का प्रहार कैसा ये विकराल,अवस्था बदलना बार बारअभीबाकी था।नए रूप में नए ढंग से उम्मीद तोड़ता,फिर से आ जाना इसका बाकी था। काम बंद पगार बंद,हो रहा हाहाकार जन,इस पर बढ़ना महंगाई काअभी बाकी थाकिसान रो रहा धरती रो रही, निर्ममता,इस पर इंसानियत का भी,ओझल होना बाकी था।व्यापार कोरोना के नाम पर चल रहा,दवाइयों का धांधल अभी बाकी था।भूख से तड़प रहे, वन वन…

वर्तमान भारतीय राजनीति और लोकतंत्र :राम सिंह     

लोकतंत्र जनता की, जनता द्वारा और जनता के लिए सरकार है किन्तु वर्तमान में भारत में सरकार जनता द्वारा तो बनती है किन्तु जनता की नहीं। यह सरकार जनता की नहीं होती है, अतः जनता के लिए भी नहीं होती है। यह सरकार जनता द्वारा बनती है क्योंकि जनता चुनाव में मतदान करती है जिससे सरकार बनती है। यह सरकार जनता की नहीं होती है क्योंकि जो चुने जाते हैं वह सामान्य जनता से न होकर सामंतवादी होते हैं। वर्तमान भारतीय राजनीति ही ऐसी हो गई है जिसमें सामान्य जनता…

पत्रकारिता केवल एक समाज सेवा है, निष्पक्ष पत्रकार जानिए कैसे कर रहे है,समाजसेवा…

किसी का शासकीय काम अटका पड़ा है तो पत्रकार को फोन पुलिस आपकी नहीं सुन रही हैं तो पत्रकार को फोन ट्रैफिक पुलिस ने वाहन पकड़ लिया तो मित्रों व सगे संबंधियों द्वारा किसी पत्रकार को फोन किसी को इलाज में मदद चाहिए तो पत्रकार को फोन किसी बच्चे को स्कूल में एडमिशन नहीं मिले या स्कूल की व्यवस्था संतोषजनक ना हो तो पत्रकार को फोन 2-4 घंटे बिजली गोल रहे तो पत्रकार को फोन बिजली बिल औसत से ज्यादा आ जाए तो पत्रकार को फोन अस्पताल के बिल में…

दुनिया का पहला विश्विद्यालय भारत में खुला था , जानें जानकारी

शिक्षा के मामले में आज भले ही भारत दुनिया के कई देशों से पीछे हो, लेकिन एक समय था, जब हिंदुस्तान शिक्षा का केंद्र हुआ करता था। भारत में ही दुनिया का पहला विश्वविद्यालय खुला था, जिसे नालंदा विश्वविद्यालय के नाम से जाना जाता है। प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना गुप्त काल के दौरान पांचवीं सदी में हुई थी, लेकिन सन् 1193 में आक्रमण के बाद इसे नेस्तनाबूत कर दिया गया था। बिहार के नालंदा में स्थित इस विश्वविद्यालय में आठवीं शताब्दी से 12वीं शताब्दी के बीच दुनिया के कई…

पत्रकार जो 20 बार गिरफ्तार होने के बाद बना अपने देश का राष्ट्रपति

54 वर्षीय मोहम्मद नशीद काफी पढ़े-लिखे व्यक्ति हैं। शुरुआती पढ़ाई उन्होंने मालदीव के ही स्कूल से की, लेकिन उसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए वह श्रीलंका के कोलंबो चले गए। फिर वहां से इंग्लैंड, फिर लीवरपुल, जहां उन्होंने अपना ग्रेजुएशन पूरा किया। इसके बाद 1990 में वो मालदीव लौट आए और एक नई पत्रिका ‘सांगू’ के सहायक संपादक बने, जो तत्कालीन राष्ट्रपति मौमून अब्दुल गयूम की सरकार की आलोचना किया करता था। कुछ ही समय के बाद ‘सांगू’ को प्रतिबंधित कर दिया गया और मोहम्मद नशीद को हाउस अरेस्ट…

मौर्य राजा ने 500 हाथी से कैसे जीता अफगानिस्तान

अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद से वहां के हालात बेहद खराब हो चुके हैं। पूरे देश में तालिबानियों के डर के चलते अफरा-तफरी का माहौल बना हुआ है। दुनिया के अलग-अलग देश अपने हिसाब से तालिबान की इस हरकत को जायज नाजायज ठहराने में जुटे हैं। लेकिन अब तक दुनिया के किसी भी मुल्क ने अफगानिस्तान में शांति बहाली के कोई प्रयास नहीं किए हैं।अफगानिस्तान की आम जनता बेहाल है। महिलाओं और बच्चों का सबसे बुरा हाल है। दुनियाभर के एक्सपर्ट अफगानिस्तान के मसले पर अमेरिका की नाकामियों…

मौर्य साम्राज्य के बारे में रोचक तथ्य

मौर्य साम्राज्य के बारे मेंरोचक तथ्य-सारनाथ में अशोक की शेर राजधानी भारत का राष्ट्रीय प्रतीक है।-लौह युग के दौरान मौर्य साम्राज्य का विकास हुआ और संपन्न हुआ।-कुछ मैत्रीपूर्ण साम्राज्य जो मौर्य साम्राज्य से जुड़े नहीं थे, वे थे पांड्य, चेरस और चोल।-अपने चरम पर मौर्य साम्राज्य न केवल देश के इतिहास में बल्कि दुनिया भर में सबसे बड़ा साम्राज्य था।-चंद्रगुप्त मौर्य और चाणक्य ने हिमालय के राजा परवक्ता के साथ एक गठबंधन बनाया, जो अक्सर पोरस के साथ पहचाना जाता था।-मौर्य साम्राज्य को देश की पहली केंद्रीकृत शक्ति माना जाता…

हथियार रखने से हमें 1978 में आर्म्स एक्ट बनाकर अंग्रेजों ने रोका और आजादी के बाद 1959 में आर्म्स एक्ट बनाकर अंग्रेजों के दलालों ने :दिनेश कुमार एलएल.एम.

1857 की क्रांति जब भारत में हुई तो उस क्रांति में भारतीयों ने बरछी, भाले,तलवारें ,देसी हथियार , पिस्तौल, बंदूक बहुत बड़े पैमाने पर प्रयोग की थी,अंग्रेजों को लगने लगा कि आने वाले समय में भारतीय लोग उग्र हो सकते हैं और बहुत बड़ी क्रांति हो सकती है।क्रांति की सारी संभावनाओं को खत्म करने के लिए अंग्रेजों ने चालाकी से सन 1878 में आर्म्स एक्ट लागू कर दिया।जिसमें बंदिशें लगाई गई कोई भी भारतीय बिना लाइसेंस के किसी भी प्रकार का हथियार नहीं रख सकेगा यदि वह हथियार रखेगा तो…

नमो बुद्धाय का प्रचलन बढ़ा पुराना है समझें रिपोर्ट से

नए रिसर्च से पता चलता है कि “नमो बुद्धाय” का प्रचलन पुराना है। तेलंगाना के मेदक जिले की मंजीरा नदी की घाटी से पुरातत्ववेत्ता एम. ए. श्रीनिवासन की टीम ने प्राचीन “नमो बुद्धाय” खोज निकाला है। कुल्चाराम से बस एक किलोमीटर की दूरी पर पहाड़ की एक गुफा (गुहाश्रय) से चट्टानों पर लिखा हुआ “नमो बुद्धाय” मिला है। चूँकि दक्षिण भारत में “ध” नहीं है, इसलिए “हे नमो बुद्धाय” लिखा हुआ है। अभिलेख प्राकृत भाषा और धम्म लिपि में है। लिपि विशेषज्ञों ने इस लिपि का समय प्रथम सदी या…

किराये की यादें : नित्या सिंह

शहरों में मीठे -नमकीन से यादों के अनगिनत मकान अधिकतर किराए के हुआ करते हैं ,जिनमें रहने वाले लोग जाने- अनजाने में कभी न भूल सकने वाले लम्हें जोड़ जाते हैं या फिर टूट-टूट के बिखरती रिसती कहानियों को छोड़ जाते हैं जिनकी साक्षी बनती हैं इन कमरों की बेजान दीवारें ,जो न केवल ध्यान से सुनती हैं उन बातों को जो बोल दी गयी और जो चाहकर भी न बोली गयी बल्कि अपनी खुली आँखों से इन दृश्यों को देखती भी हैं अपने अनुभवों में सहेज लेने के लिए…

अर्जक संघ और रामस्वरूप वर्मा: उपेन्द्र पथिक

आज़ादी के बाद भारत में समाज सुधार की आवश्यकता थी जिसे जाने माने समाज सुधारक और मानववादी दार्शनिक रामस्वरूप वर्मा जी ने अर्जक संघ की स्थापना करके पूरा किया. भारतीय समाज में पुनर्जन्म, भाग्यवाद, जातिगत भेदभाव, छुआछूत, कर्मकांड, धर्मांधता, कुरीतियां, सामंतवाद, विषमता, निरादर और दरिद्रता समेत कई प्रकार की समस्याएं व्याप्त थी.और आज भी हैं. इसके ख़िलाफ़ बहुजन/अर्जक समाज में समय समय पर अलग-अलग नायकों के आह्वान पर आवाजें उठती रही हैं. इन्हीं नायकों में जाने माने समाज सुधारक, राजनीतिज्ञ, विद्वान लेखक, कुशल पत्रकार, वैज्ञानिक चेतना के वाहक, क्रांतिकारी, आंदोलनकारी…

लोकतांत्रिक विकेन्द्रीकरण में स्थानीय स्वशासन का महत्व: आशीष मौर्य

लोकतांत्रिक शासन-व्यवस्था में सुशासन तथा उसे सुव्यवस्थित रूप से संचालित करने के लिए सत्ता के विकेंद्रीकरण की आवश्यकता होती है|यह वह व्यवस्था है जिसमें विभिन्न स्तरों पर सत्ता,शक्ति तथा अधिकार विभक्त होते हैं|अर्थात् शीर्ष से तृणमूल स्तर तक सत्ता, शक्ति व संसाधनों का विभाजन|साथ ही प्रत्येक स्तर अपने कार्यों के लिए स्वयं उत्तरदायी होते हैं| सत्ता के विकेंद्रीकरण का उद्देश्य जनता को अधिकाधिक सत्ता में भागीदारी का अवसर प्रदान करना है|इसे ‘ग्रासरूट डेमोक्रेसी’ भी कहा जाता है|आर.बी.जैन के अनुसार,” संक्षेप में ‘ धरातल पर लोकतंत्र की अवधारणा’ केवल लोकतंत्र का…

उचित मार्गदर्शन और प्रोत्साहन प्रतिभा को निखारता है: प्रफुल्ल सिंह

जब विद्यार्थी सफलता का मुकाम हासिल करना चाहता है, या अपने जीवन को सफल करने के लिए जो उड़ान भरना चाहता है। उससे पूर्व अभिभावक व शिक्षक उचित मार्गदर्शन एवं प्रोत्साहन उसके प्रतिभा को अवश्य ही निखारता है। अभिभावक व शिक्षक छात्रों के सुनहरे भविष्य के लिए उचित मार्गदर्शन दे सकते हैं। जिससे छात्रों के शरीर के अंदर, ऊर्जा उत्साह, जोश, एवं जुनून का संचार उत्पन्न होता है। जिससे विद्यार्थी जीवन में सफलता प्राप्त होता है। हमेशा से ही देखा गया है कि छात्रों को विषय का चुनाव सही ढंग…

क्यों मनाते हैं बुद्ध पूर्णिमा? जानें क्यों है यह खास

बुद्ध जयंती इस साल 26 मई दिन बुधवार को मनाई जाएगी, जिसे बुद्ध पूर्णिमा भी कहा जाता है। बुद्ध पूर्णिमा वैशाख पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था और कठिन साधना के बाद बुद्धत्व की प्राप्ति भी हुई थी। यह त्योहार हिंदू और बौद्ध धर्म को मानने वाले लोगों के लिए बहुत खास है। ऐसी मान्यता है कि बुद्ध भगवान श्री हरि विष्णु के 9वें अवतार थे। इतिहास के जानकारों के अनुसार, भगवान बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व में…

प्रभु की दुकान: प्रफुल्ल सिंह “बेचैन कलम”

एक दिन में सड़क से जा रहा था, रास्ते में एक जगह बोर्ड लगा था, ईश्वरीय किराने की दुकान, मेरी जिज्ञासा बढ़ गई क्यों ना इस दुकान पर जाकर देखो इसमें बिकता क्या है? जैसे ही यह ख्याल आया दरवाजा अपने आप खुल गया, जरा सी जिज्ञासा रखते हैं तो द्वार अपने आप खुल जाते हैं, खोलने नहीं पड़ते, मैंने खुद को दुकान के अंदर पाया। मैंने दुकान के अंदर देखा जगह-जगह देवदूत खड़े थे, एक देवदूत ने मुझे टोकरी देते हुए कहा, मेरे बच्चे ध्यान से खरीदारी करना, यहां…

घबराएं नहीं, सकारात्मक सोच से हारेगा कोरोना : डॉ. नवल किशोर शाक्य

लखनऊ (दस्तक चाणक्य के सम्पादक आदर्श कुमार से विशेष वार्ता): कोरोना पॉजिटिव होने पर घबराएं नहीं, बल्कि अपनी सोच सकारात्मक रखें। आत्मविश्वास को मजबूत रखें। कोरोना को हराने के लिए यह जरूरी है। चिकित्सकों की सलाह का पालन करें। डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाई का सेवन करें। ऐसा कर आप निश्चित रूप से कोरोना को मात देने में सफल रहेंगे। यह बातें लक्ष्य कैंसर हॉस्पिटल के सृजन डॉ नवल किशोर शाक्य ने कही । उन्होंने बताया कि प्रदेश में कोरोना के नए रोगियों में बढ़ोत्तरी रही है । जांच रिपोर्ट…

बुद्ध के अर्थों में सुख क्या है: बौद्ध भिक्षु सुमितरत्न

एक दिन बहुत से भिक्षु बैठे बात कर रहे थे कि संसार में सबसे बड़ा सुख क्या है ? अगर संसार में सुख ही था तो छोड़कर आए क्‍यों ? जब संसार में दुःख ही दुःख रह जाए, तभी तो कोई संन्यस्त होता है। जब यह समझ में आ जाए कि यहाँ कुछ भी नहीं है । खाली पानी के बबूले हैं, आकाश में बने इंद्रघनुष हैं, आकाश कुसुम है, यहाँ कुछ भी नहीं है, तभी तो कोई संन्यासी होता है । संन्यास का अर्थ ही है, संसार व्यर्थ हो…

झूठ को सच हमेशा बताना पड़ा: बलजीत सिंह बेनाम

ग़ज़ल झूठ को सच हमेशा बताना पड़ाफ़र्ज़ यूँ भी बशर का निभाना पड़ा आपकी बज़्म में लौटने के लिएहर क़दम क़ीमतों को बढ़ाना पड़ा ज़िंदगी के सभी सुर समझ आ गएप्यार के राग को भूल जाना पड़ा इक सुहागन को जीवन ही सारा अगरएक विधवा के जैसे बिताना पड़ा बेसबब गर्व का खामियाज़ा यहीसर झुकाया नहीं सर कटाना पड़ा बलजीत सिंह बेनाम       सम्प्रति:संगीत अध्यापक        सम्पर्क सूत्र: 103/19 पुरानी कचहरी कॉलोनी, हाँसीज़िला हिसार(हरियाणा)मोबाईल नंबर:9996266210

प्रकृति की सहनशीलता अब खत्म होने को: प्रफुल्ल सिंह “बेचैन

प्रकृति, जिसके जितने करीब जाओ उतनी ही अपनी ओर खींचने को आतुर। बाहरी और आंतरिक सौंदर्य से लबालब। अद्भुत सम्मोहन शक्ति की स्वामिनी। इतनी मोहक कि एक रूखा व्यक्ति भी दो पल के लिए ठिठक जाता है। विभिन्न रूप और हर रूप का अपना अलग दैवीय सौंदर्य। इसके सौंदर्य का रसपान एक प्रकृति प्रेमी ही कर सकता है। वही महसूस कर सकता है इसकी विभीषिक में, कांटों में और संघर्षों में भी इसका अनूठा सौंदर्य।  सघन अरण्य की ओर रुख करें तो अपने बाहुपाश में बांध लेती है प्रकृति। अनुपम सौंदर्य,…