क्या हमारे स्मार्टफोन को समय के साथ ‘धीमे’ होने के उद्देश्य से बनाया जाता है?

आमतौर पर साल के इस समय लोगों को ये शिकायत करते देखा जा सकता है कि उनका मोबाइल फोन धीमा हो गया है. ऐपल और गूगल अपने ‘ऑपरेटिंग सिस्टम’ (OS) के नए एडिशन जारी करते हैं और क्रिसमस से ठीक पहले अचानक बहुत सारे लोग ये दावा करने लगते हैं कि उनके पुराने फोन रुक-रुक कर चल रहे हैं या बेहद धीमे हो गए हैं. क्या वास्तव में फोन बनाने वाली कंपनियां जानबूझकर ऐसे उपकरण बनाती हैं जिनके काम करने की गति धीमी समय के साथ धीमी हो जाए और लोग नए फोन खरीदने के बारे में सोचने लगें

ऑपरेटिंग सिस्टम में परिवर्तन हर साल आमतौर पर मई और जून के महीने में, तकनीकी कंपनियां अपने ओएस का ‘अपडेट’ (अद्यतन संस्करण) पेश करती हैं. हर बार मुख्य रूप से कहा जाता है कि नए संस्करण में नई विशेषताएं (फीचर) लाई गई हैं लेकिन क्या आपको पता है कि इन विशेषताओं को नए ‘हार्डवेयर’ (उपकरण का भौतिक ढांचा) और चिप के अनुकूल बनाया जाता है जो परंपरागत रूप से गर्मियों में पेश किये जाते हैं.इसलिए, ओएस में जो भी अपडेट किया जाता है उसके दो लक्ष्य होते हैं. पहला, वह नए हार्डवेयर और चिप के अनुकूल हो ताकि नई विशेषताएं परिलक्षित हो सकें. दूसरा, वह पुराने हार्डवेयर के साथ काम कर सके जिसमें

विशेषताएं समायोजित नहीं हो सकतीं.

इसका मतलब है कि ओएस की कोडिंग (प्रोग्राम) इस तरह से की जाए ताकि उसे नई विशेषताओं के हिसाब से काम करने की अनिवार्यता न हो. ये चुनौती हमारे कम्प्यूटर के साथ भी होती है जब हम पुराने ओएस को हटाकर ‘विंडोज 11’ जैसे ओएस डालते हैं.

हाडवेयर के साथ आने वाली समस्याएं आपका पुराना फोन नई विशेषताओं को नहीं दिखा रहा यह तो ठीक है लेकिन नए ओएस अपडेट डालने से पुरानी विशेषताएं धीमे काम क्यों करने लगती हैं?

सबसे पहले समझें चिप का डिज़ाइन
इसे समझने के लिए आपको पहले चिप की डिजाइन को समझना होगा. ऐपल अपने फोन के लिए पहले दूसरे उत्पादकों की चिप का इस्तेमाल करता था. पिछले कुछ साल से वह अपनी सिलिकन चिप बनाता है. इसे ‘सिस्टम ऑन चिप’ कहा जाता है क्योंकि पूरे फोन की कार्यप्रणाली एप्पल के बनाए चिप पर आधारित होती है.

उत्पादक अपने चिप बनाएं फिर भी यह बताना कठिन होगा कि भविष्य में उपभोक्ता क्या चाहते हैं. उत्पादकों को ताजा हार्डवेयर के अनुकूल ओएस अपडेट बनाने पड़ते हैं ताकि उपभोक्ता को नई विशेषताओं का लाभ मिल सके. इस दृष्टि से, पुराने हार्डवेयर में वही क्षमता नहीं होती. इसका अर्थ ये हुआ कि पुराने उपकरण नए ओएस डालने पर ज्यादा धीमे काम करेंगे जबकि वे उन्हें कई सालों तक उन्हीं विशेषताओं पर काम करने के लिए बनाया गया था.नया OS आपके फोन को धीमा करने के लिए नहीं बनाया जाता बल्कि वह नए उपकरण (हार्डवेयर) के लिए बनाया गया होता है इसलिए आपके पुराने फोन पर धीमा काम करता है. सब कुछ ‘व्यवसाय’ है.

सच्चाई यह है कि फोन निर्माता कंपनियां लाभ कमाने के लिए काम करती हैं और इसका मतलब है कि वे आपको हमेशा नए उपकरण बेचना चाहती हैं. उपभोक्ता प्रायः यह आशा रखते हैं कि उत्पादक पुराने उपकरण बनाते रहेंगे लेकिन उसी दौरान उन्हें ऐसे अपडेट भी लाने पड़ते हैं जो नए हार्डवेयर के साथ काम कर सकें.

एक बात यह भी है कि तकनीक कंपनियां अपने उपभोक्ताओं को यह बताने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं कर रहीं कि वे अपने फोन की ‘सेटिंग’ को किस प्रकार रखें ताकि फोन सही तरीके से काम कर सके और धीमा न हो. इसमें नेटवर्क की स्पीड जैसे कारण भी शामिल हैं.