फर्रुखाबाद ,18 नवम्बर २०२२ प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति किसी भी तकलीफ का निदान रोग के मूल से करता है। इसी कारण से प्राकृतिक पद्धति से चिकित्सा काफी फायदेमंद साबित होती है इसलिए इस संदर्भ में लोगों प्राकृतिक चिकित्सा के प्रति जागरूक होना आवश्यक है। यह कहना है आयुर्वेदिक अधिकारी डॉ आदित्य किशोर का।
इस अवसर पर आयुर्वैदिक चिकित्सालय फतेहगढ़ में आयुर्वेद विभाग व भारतीय योग संस्थान की ओर से प्राकृतिक चिकित्सा कैंप और संगोष्ठी का आयोजन शुक्रवार को किया गया।
डॉ किशोर ने बताया कि जागरूकता कार्यक्रम के अवसर पर प्राकृतिक चिकित्सा शिविर में योग, नेति, नेत्र प्रक्षालन, आतप स्नान ,मड व रेत स्नान,शिरोधारा,आदि क्रियाएं की तथा उनके प्राकृतिक स्वास्थ्य लाभ के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी l
उन्होंने बताया कि प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार सभी रोग, उनके कारण, एवम उनकी चिकित्सा एक है। वातावरण जन्य परिस्थियों को छोड़कर सभी रोगों का मूल कारण एक ही है और इनका इलाज भी एक ही है। शरीर मे विजातीय पदार्थो के संग्रह से रोग उत्पन्न होते है तथा शरीर से उनका निष्कासन ही चिकित्सा है। प्राकृतिक चिकित्सा में औषधियों का प्रयोग नही होता है इसके अनुसार आहार ही औषधि है। इसमें मिट्टी , जल, धूप, वायु के द्वारा चिकित्सा की जाती है। इस चिकित्सा से कब्ज, स्नायु दुर्बलता, तनावजन्य सिरदर्द, उच्चरक्तचाप, मोटापा तथा विशेष रूप से चर्म रोगों में विशेष आराम मिलता है।
डॉ किशोर ने बताया कि मिट्टी का प्रयोग करते हुए मिट्टी जमीन के 2 फीट नीचे से लेनी चाहिए।प्रयोग की गई मिट्टी दुबारा प्रयोग नही करनी चाहिए। डॉ किशोर ने बताया कि स्नान के लिए समशीतोष्ण जल का प्रयोग करना चाहिए अगर गर्म जल से स्नान करना पड़े तो स्नान के बाद ठंडे जल से छीटे शरीर पर मार लेने चाहिए इससे शरीर की अग्नि बची रहती है। स्नान करते समय पैरो से शुरू करके शिर तक जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि हड्डियों के रोगी, गर्भवती महिला, ग्रोथ कर रहे बच्चों को कम से 10 मिनट प्रातः कालीन आतप स्नान(सन बाथ) अवश्य करना चाहिए।
इस कार्यक्रम में विशेष रुप से योग प्रशिक्षक अमित सक्सेना योग सहायक अंकुर दुबे, मलेरिया निरीक्षक संगीता, नर्जीत कटियार आदि मौजूद रहे l