नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफ़ज़ई ने ब्रिटेन के बर्मिंघम शहर में शादी कर ली है. 24 वर्षीय मलाला ने असर मलिक के साथ निकाह किया और अपनी शादी को ‘अपने जीवन का एक मूल्यवान दिन बताया’.
पाकिस्तान की जानी-मानी महिला अधिकार कार्यकर्ता को तालिबान चरमपंथियों ने 2012 में सिर में गोली मार दी थी जिसके बाद उन्हें इलाज के लिए बर्मिंघम लाया गया और तब से वो वहीं रह रही हैं.
मलाला ने अपनी शादी की जानकारी ख़ुद ट्विटर पर दी और लिखा – “असर और मैंने जीवनसाथी बनने के लिए डोर बाँध ली है.”
उन्होंने मंगलवार को बताया कि कैसे उन दोनों ने “परिवार के साथ एक छोटे समारोह में” निकाह किया.
मलाला ने लिखा – “हम भावी जीवनयात्रा पर साथ यात्रा करने को लेकर उत्साहित हैं.”
मलाला की शादी के इस ट्वीट को उनके लाखों प्रशंसकों ने लाइक किया और हज़ारों ने उन्हें और उनके पति को शुभकामनाएँ दीं.
मलाला ने वैसे इससे पहले शादी को लेकर पहले एक इंटरव्यू में संदेह जताया था जिसे लेकर सोशल मीडिया पर उनकी काफ़ी आलोचना हुई थी.
जुलाई में फ़ैशन पत्रिका वोग को एक इंटरव्यू में मलाला ने कहा था – “मुझे यह बात समझ में नहीं आती कि लोग शादी क्यों करते हैं. अगर आपको जीवनसाथी चाहिए तो आप शादी के काग़ज़ों पर दस्तख़त क्यों करते हैं, यह एक पार्टनरशिप क्यों नहीं हो सकती?”
उन्होंने कहा – “मेरी माँ कहती हैं…भूलकर भी ऐसी बात मत करो! तुम्हें शादी करनी है, शादी एक सुंदर चीज़ है.”
मलाला पर हमला
मलाला यूसुफ़ज़ई पर तालिबान ने पाकिस्तान के ख़ैबर पख़्तूनख़्वाह प्रांत के स्वात में 9 अक्टूबर 2012 को जानलेवा हमला किया था.
मलाला तब 15 साल की थीं और लड़कियों को शिक्षा का अधिकार दिए जाने को लेकर मुखर होकर आवाज़ उठाती थीं.
तालिबान चरमपंथी इससे नाराज़ थे और एक दिन एक चरमपंथी उनके स्कूल के बस में आया और ताबड़तोड़ गोलियाँ चलानी शुरू कर दीं जिसमें मलाला और उनकी दो दोस्त घायल हो गईं.
इसके बाद मलाला को इलाज के लिए इंग्लैंड भेजा गया था और ठीक होने के बाद वह शिक्षा के लिए वहीं रहती हैं. मलाला बर्मिंघम को अपना दूसरा घर बताती हैं.
2014 में 17 साल की उम्र में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. वह दुनिया में अब तक की सबसे कम उम्र की नोबेल पुरस्कार विजेता हैं.
मलाला ने पिछले साल (2020) में ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी से दर्शनशास्त्र, राजनीति और अर्थशास्त्र में डिग्री हासिल की.
डिग्री हासिल करने के बाद से मलाला अफ़ग़ान शरणार्थियों को और बेहतर मदद देने की माँग की. उन्होंने साथ ही ऐप्पल टीवी+ के साथ डॉक्यूमेंट्री बनाने के लिए क़रार किया है और फ़ैशन पत्रिका वोग के कवर पर छपीं. मगर उनका असल काम लड़कियों को शिक्षा दिलाने की स्थिति को बेहतर करना है.