बरेली-पूंजीपतियों की सरकार में किसानों की बदहाली


भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत गत्ता फैक्टरी पर पहुचे जहां पर उन्होंने एक किसान की सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि केंद्र जो सरकार है वो किसी पार्टी के नही है बल्कि पूंजीपतियों की है सरकार अगर राजनीतिक पार्टी की होती तो अब तक हमारा धरना प्रदर्शन चलता नही बल्कि बातचीत के जरिये खत्म हो चुका होता ।
हम किसान आठ महीने से धरने पर बैठे है लेकिन सरकार बात करने को तैयार नही है ।जब देश की आज़ादी की लड़ाई में 90 साल लगे थे हमारे आंदोलन को अभी आठ महीने हुए है और हमने भी सरकार से कह रखा है कि जब तक तीनो काले कानून वापस नही लेते है जब तक हम किसान घर वापस नही जाएंगे आंदोलन चाहे 30 या 35 साल तक चले हम किसान अगली पीढ़ी को भी तैयार कर रहे हैं।
सरकार के साथ विपक्ष को भी जमकर कोसा की जब किसान आंदोलन के लिए हमने विपक्षी पार्टी से समर्थन के लिए चिठ्ठी लिखी तो कोई जवाब नही आया ।
उन्होंने किसानों से अपीलकी है 22 तारीख से दिल्ली में सांसद भवन का घेराव करेंगे ।
200 किसानों को टीम बनाकर दिल्ली परिवहन की बसों से किसान रोज़ सांसद भवन का घेराव किया करेंगे।
राकेश टिकैत ने मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने देश को बर्बादी पर लाकर खड़ा कर दिया जितनी भी सरकारी कंपनी थी उन्हें बेच डाला ।और देश को पूंजीपतियों के हाथ गिरवी रखवा रहे है यदि ऐसा हो गया तो देश का अनाज गोदामो में बंद होगा और रोटी तिजोरी में बंद होंगी ।
लेकिन हम किसान ऐसा नही होने देंगे अगले महीने के 15 तारीख को मुज़फ्फरनगर में बड़ी पंचायत है जिसमे सरकार से बैठकर बात होगी ।
यदि सरकार कृषि बिल कानून वापस ले लेती है तो हम आंदोलन खत्म कर देंगे यदि हमारी मांगे पूरी नही होती है तो हमारा आंदोलन और बड़ा हो जाएगा