कैसरबाग स्थित 161 वर्ष प्राचीन काली बाड़ी मंदिर लोगों की आस्था का केन्द्र बना

घसियारी मंडी कैसरबाग स्थित 161 वर्ष प्राचीन काली बाड़ी मंदिर लोगों की आस्था का केन्द्र बना है। श्रद्धालुओं का मानना है कि मां के दरवार में जो भी भक्त आता है। उसकी मनोकामनाएं अवश्व पूरी होती है। मंदिर सामाजिक विकास कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मंदिर में देवी काली की बैठी हुई मुद्रा में एक मूर्ति है, जिसकी कल्पना प्रसिद्ध तांत्रिक श्री मधुसूदन मुखर्जी ने की थी, जो मंदिर में पहले पुजारी के रूप में कार्यरत थे।
तांत्रिक मधुसूदन को यह प्रेरणा अपने दिव्य स्वप्न से मिली। मंदिर में दिव्य मूर्ति की वर्तमान संरचना में भगवान शिव निष्क्रिय स्वरूप में है, जो महाकाल का समर्थन करते हैं, जिनके के ऊपर शाश्वत माता विराजमान है। देवी काली मा पंच मुंड के आसन पर विराजमान है। मंदिर का संचालन ‘काली बाड़ी टेम्पल भाग लेता है और सफलतापूर्वक आयोजित करता है। गरीब मेधावी छात्रों को मन्दिर ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
बोर्ड आफ ट्रस्ट के प्रेसीडेंट अभिजीत सरकार व मैनेजिंग कमेटी के अध्यक्ष गौतम भट्टाचार्य ने बताया कि मंदिर सामाजिक विकास कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और समाज के जरुरतमंद लोगों को आर्थिक रूप से मदद करता है।मंदिर होम्योपैथिक व एलोपैथिक दोनों दवाओं का एक धर्मार्थ औषधालय चला रहा है।
मंदिर पल्स पोलियो शिविर और रक्तदान शिविर राष्ट्रीय अभियान में छात्रवृत्ति भी दिया जाता है। इसके अलावा मन्दिर ट्रस्ट युवाओं और विभिन्न आयु वर्ग के बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए संगीत प्रतियोगिता, कला प्रतियोगिता, निबंध प्रतियोगिता और कई अन्य प्रतियोगिताओं का आयोजन भी करता है। कोविड-19 महामारी के दौरान तीन दिनों तक मंदिर परिसर में मुफ्त कोविड टीकाकरण अभियान/ शिविर का आयोजन किया गया।
काली बाड़ी टेम्पल ट्रस्ट के मैनेजिंग कमेटी के अध्यक्ष गौतम भट्टाचार्य ने बताया कि घट स्थापना के साथ मां की आराधना शुरू हुई। उन्होंने बताया कि 15 अप्रैल को सप्तमी और 16 अप्रैल को अष्टमी के दिन भोग वितरण दोपहर 1:30 बजे से शुरू होगा।
सन्धि पूजा शाम 4 बजकर 4 मिनट से 4 बजकर 52 मिनट तक, सन्धि पूजा में 108 तेल के दीपक, 108 कमल के फूल, 108 वेलपत्र की माला मां को अर्पण करने के साथ पूजा होगी। यह पूजा 48 मिनट की होती है। 24 मिनट अष्टमी एवं 24 मिनट नवमी में सन्धि पूजा होती है। राम नवमी 17 अप्रैल को फल वलिदान 11 बजे हवन 11:30 बजे होगा।
उन्होंने बताया कि पुष्पांजलि प्रतिदिन प्रातः 8:30 बजे, आरती सायंकाल 6:45 वजे होगी। बोर्ड ऑफ ट्रस्ट के प्रेसीडेंट अभिजीत सरकार ने बताया कि मन्दिर में दर्शन करने का समय प्रातः 6:30 बजे से दोपहर 12 बजे तक और सायंकाल 4 बजे से रात्रि 9:30 बजे तक था।