करहल । इसमें विद्यालय के अध्यापकों एवं बच्चों ने प्रतिभाग किया । योग आचार्य के रूप में विद्यालय के निदेशक डॉक्टर जेपी यादव ने योगासन एवं प्राणायाम की क्रियोओ का अभ्यास कराया अभ्यास करने से पहले उन्होंने कहा योग का अर्थ है जुड़ना , मिलना या एकजुट होना । मन की चंचलताओं पर नियंत्रण करना ही योग है। जो पहले से प्राप्त न हो उसको प्राप्त करना ही योग है, योग शरीर के तीन मुख्य तत्वों शरीर मस्तिष्क और आत्मा के बीच संपर्क को नियमित करता है योग रक्त प्रभाव बढ़ाने का कार्य भी करता है योग के सभी आसनों से लाभ प्राप्त करने के लिए सुरक्षित और नियमित अभ्यास की आवश्यकता होती है । योगी को रितु भूख हित भूख और मिट भूख का पालन करना चाहिए।रोज प्रातः उठकर योग अभ्यास करने से कई तरह की बीमारियों से बचा जा सकता है। योग शरीर के प्रतिरोधक प्रणाली को मजबूती प्रदान करने में मदद करता है। योग प्रतिदिन खाई जाने वाली भारी दवाइयां के दुष्प्रभावों को भी कम करता है। योग की उत्पत्ति प्राचीन समय में योगियों द्वारा भारत में ही की गई थी ।
प्राणायाम की क्रियाएं हमें मानसिक रूप से स्वस्थ रखती है एवं आसान की क्रिया हमें शारीरिक रूप से पूरी तरह से स्वस्थ रखती हैं उन्होंने आगे बताया योग पद्धति हमारी बहुत पुरानी पद्धति है लेकिन अब जब से पतंजलि योगपीठ ने योग का प्रचार प्रसार किया है ।यह व्यवस्था घर-घर तक पहुंच गई है। आसन एवं प्राणायाम की क्रियाएं अलग-अलग तरीके से की जाती है। जो अलग-अलग रोगों में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का काम करता है। पप्राणायाम की क्रिया जैसे कपालभाति, अनुलोम विलोम, उज्जाई ,भ्रामरी आदि एवं आसान में चक्रासन ,गोमुखासन ,वक्रासन, मंडूकासन , नौकासन,ताड़ासन आदि आसन हमारे लिए बहुत उपयोगी है ।जिन्हें हमें नियमित करना चाहिए । उन्होंने आए हुए सभी बच्चों एवं अध्यापकों को उपरोक्त क्रियाएं कराई।
इस मौके पर विद्यालय की प्रबंधक सरिता सिंह, प्रधानाचार्य चन्द्र जीत एवं सोहित विजेंद्र सिंह , विजेंद्र पांडे, सुनील कुमार, सुरेंद्र कुमार, नन्द किशोर ,प्रभात कुमार ,हरीशर, सुधीर, प्रवीण, प्रफुल्ल नजमा ,बबीता, सोनी ,दामिनी ,खुशी ,सिमरन, रिया ,आदित्य, नितिन ,शोभित ,बलराम ,अरविंद, गार्गी, कृतिका , तेजू , परी, अमन ,अंशुल आदि बच्चे उपस्थित रहे
रिपोटर – अर्पित यादव