असम चौराहे पर चल रहे फ्लाईओवर के काम ने अब तेजी पकड़ी है तो खंभे और तार बाधा बन गए हैं। कार्यदायी संस्था का कहना है कि खंभों और तारों की शिफ्टिंग से संबंधित जो उपकरण मंगाए गए हैं, उनकी जांच लखनऊ में ऊर्जा निगम के अधिकारियों ने नहीं की है, जिससे वहां से उन्हें डिस्पैच नहीं किया जा सका है। यही कारण है कि छह माह बीतने के बाद भी खंभे और तार शिफ्ट नहीं हो पा रहे हैं।
करीब आठ माह से असम चौराहे पर फ्लाईओवर बनाने का काम चल रहा है। इसकी जद में आ रहे अतिक्रमण और मंदिर के साथ बांसुरी चौराहा को हटाने के बाद काम ने तेजी पकड़ी है। फ्लाईओवर के पिलर बनाने के लिए सरियों का जाल बनाया जा रहा है। यह जाल अब ऊंचा हो गया है। कार्यदायी संस्था की ओर से पॉवर कारपोरेशन को जद में आने वाले बिजली के खंभे और तारों को हटाने के लिए शुल्क दिया जा चुका है। बताया जा रहा है कि ऊर्जा निगम की ओर से कार्यदायी संस्था को पोल और तार क्रय कर निरीक्षण कराने की बात कही गई थी। इस पर संस्था ने उपकरणों को खरीद भी लिया। उपकरणों की जांच के लिए ऊर्जा निगम की टेक्निकल जांच टीम को बुलाया गया था। टीम को 18 सितंबर को लखनऊ जाकर लाइन शिफ्टिंग मेटेरियल का प्री-डिस्पैच निरीक्षण करना था। तय समय पर टीम वहां नहीं पहुंच सकी। ऐसे में काम तेजी पकड़ने के बाद भी आगे नहीं बढ़ पा रहा है।
लोहे के जाल के ऊपर जा रहे बिजली के तार, खतरे में जान
असम चौराहा और उसके आगे सरिया का जाल बनाकर मसाला भरा गया है। इसके बाद फिर से जाल को तैयार किया जा रहा है। जाल बनाने के दौरान वहां पर मशीनें काम करती हैं तो लेबर भी लगी रहती है। जाल से कुछ ही ऊंचाई पर बिजली के तार जा रहे हैं। एक भी सरिया अगर बिजली के तार से छू गई तो पूरे जाल में करंट फैल जाएगा। मजदूरों के सामने करंट लगने की आशंका बनी रहती है। ऐसे में लोग खुलकर काम नहीं कर पा रहे हैं।