पूरनपुर में आमान परिवर्तन के चलते ट्रेनें चल नहीं रहीं है। रोडवेज बसों के आने-जाने का कोई वक्त तय नहीं है। ऐसे में लोगों को सफर में तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। लोग सड़क किनारे खुले आसमान के नीचे बारिश और धूप में घंटों वाहनों का इंतजार करते हैं। परेशान होकर डग्गामार वाहनों में बैठ जाते हैं
नगर से प्रतिदिन करीब 10 हजार लोग ट्रेनों से आवागमन करते थे। ट्रेनें सवा पांच साल से बंद हैं। बसों का कोई समय निर्धारित नहीं है। जब ट्रेनें बंद हुईं थीं, तब रोडवेज बसों की संख्या बढ़ा दी गई थी, लेकिन धीरे-धीरे कर ज्यादातर बसें बंद कर दी गईं। रोडवेज बस स्टैंड नगर से करीब तीन किलोमीटर दूर बना है। यात्री रोडवेज बस स्टैंड ही नहीं पहुंच पाते हैं।
खुटार, मैलानी, पलिया, लखीमपुर और लखनऊ की ओर जाने वाले यात्री असम हाईवे के खुटार चौराहा, जबकि पीलीभीत, बरेली की ओर जाने वाले यात्री असम हाईवे के बंडा चौराहा और स्टेशन चौराहा के समीप वाहनों का इंतजार करते हैं। मैलानी से पीलीभीत के बीच चल रहे आमान परिवर्तन में शाहगढ़ से मैलानी तक काम पूरा होने के बाद भी ट्रेनें न चलने से लोगों में रोष है।
सेहरामऊ, कुर्रैया की ओर जाना सबसे मुश्किलपूरनपुर। शाहजहांपुर के 94 गांव को वर्ष 2001 में पीलीभीत से जोड़ा गया था। इन गांवों में कुर्रैया, सेहरामऊ, अकेला आदि करीब 24 गांवों में आवागमन के लिए एकमात्र साधन ट्रेनें ही थीं। ट्रेनें न चलने से इन गांवों के लोगों को सर्वाधिक असुविधा हो रही है। इन गांवों को रोडवेज बस सेवा भी नहीं है। सिर्फ डग्गामार वाहनों के सहारे आवागमन हो रहा है।
बरेली में रिश्तेदारी है। पहले ट्रेन से आसानी से कम किराये में सुरक्षित तरीके से यात्रा करते थे। अब काफी देर तक वाहनों का इंतजार करना पड़ता है। ट्रेनों का संचालन जल्द शुरू होना चाहिए। – मदन लाल
पूरनपुर में मेरा जनरल स्टोर है। रोजाना पीलीभीत से आता हूं। ट्रेन चलने पर समय से दुकान पर पहुंचता था और शाम को भी आसानी से घर पहुंच जाता था। अब असम हाईवे पर वाहनों के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है। – इमरान