पीलीभीत का बाघों ने डेरा डाल दिया है। ग्रामीण इलाके में बाघों की चहलकदमी से लोग दहशत में हैं। माधोटांडा क्षेत्र के गांव बांसखेड़ा में कई दिनों से एक बाघिन डेरा जमाए हुए है। वन विभाग दो प्रयासों में भी बाघिन को रेस्क्यू नहीं कर पाया। बाघिन जाल से निकलकर अभी भी गांव के आसपास ही गन्ने के खेत में छिपी हुई है।
उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में खूंखार जानवरों से लोग परेशान हैं। क्षेत्र में बाघों की दहशत कम नहीं हो रही है। खासकर माधोटांडा क्षेत्र तो इन दिनों बाघों ने अपना गढ़ बना लिया है। प्रतिदिन कहीं न कहीं बाघ जंगल से निकल कर ग्रामीणों के सामने आ रहे हैं। शुक्रवार को भी एक बाघ डगा गांव के निकट आ गया।
एक ओर मुस्तफाबाद गेस्ट हाउस परिसर में मुख्यमंत्री की ओर से वन्य जीव सप्ताह की कार्यशाला आयोजित की जा रही थी वहीं दूसरी ओर बाघ चहलकदमी कर रहे थे। बाघों की इस चहलकदी से आम जनता परेशान है।
डेरा डाले हुए है बाघिन
माधोटांडा क्षेत्र के गांव बांसखेड़ा में कई दिनों से एक बाघिन डेरा जमाए हुए है। वन विभाग दो प्रयासों में भी बाघिन को रेस्क्यू नहीं कर पाया। बाघिन जाल से निकलकर अभी भी गांव के आसपास ही गन्ने के खेत में छिपी हुई है। मथना जप्ती में भी लगातार बाघ की मौजूदगी से आसपास क्षेत्र में दहशत है। गुरुवार रात्रि भी कुछ राहगीरों को कलीनगर पुल के पास एक बाघ सड़क पर नजर आ गया।
ग्रामीण हुए परेशान
शुक्रवार सुबह को वहीं बाघ डगा गांव के किनारे पर पहुंच गया। बाघ को देखकर गांव के सैकड़ों लोग एकत्र हो गए। गांव वालों में शोर शराबा किया तो बाघ कर्बला के पास एक खेत में जाकर छिप गया। डगा गांव के दूसरी ओर साइफन की तरफ भी दो बाघों की लगातार मौजूदगी बनी हुई है। इसके अलावा पिपरिया संतोष में भी लगातार बाघ आबादी की ओर दिखाई दे रहा है। ऐसे में बाघों की चहलकदमी के चलते लगातार ग्रामीण परेशान है।
बाघ के डर से नहीं काट रहे फसल
बाघों के खतरे को देखते हुए ग्रामीण अपनी फसल को भी काटने में असमर्थ है। शुक्रवार को दोपहर मुख्यमंत्री द्वारा वन्य जीव सप्ताह का मुस्तफाबाद में आयोजन किया जा रहा था। लेकिन जंगल के किनारे रहने वाले ग्रामीण बाघों के डर से घर से बाहर भी नहीं निकल रहे थे। क्षेत्र में लगातार बाघों का खौफ बना हुआ है। वन विभाग द्वारा लगातार बाघों की निगरानी भी की जा रही है।