पीलीभीत के कलीनगर तहसील क्षेत्र के मथना जपती क्षेत्र में बाघ की दहशत है। ग्रामीणों का कहना है कि पिछले 50 दिनों में बाघ ने क्षेत्र के दो किसानों को मार दिया। व्यवस्थाएं सुधारने के बजाय विभाग सिर्फ आश्वासन देने तक सीमित है। जाल फेंसिंग न होने से आए दिन घटनाएं हो रही हैं। बता दें कि मंगलवार को गांव रानीगंज निवासी किसान राममूर्ति लाल को मार डाला था। बुधवार को उनका अधखाया शव खेत में मिला। इस घटना के बाद से ग्रामीणों में दहशत है।
पीलीभीत टाइगर रिजर्व की महोफ रेंज से सटे मथना जप्ती, पुरैनी दीपनगर और रानीगंज गांव हैं। 28 जून को आबादी के निकट स्थित खेत पर रोपाई करते समय किसान लालता प्रसाद पर बाघ ने हमला कर दिया व पास के खेत में खींचकर ले गया। शव को बुरी तरह से खाया था। किसान का टुकड़ों में शव बरामद हुआ था, जिसका अधिकांश हिस्सा बाघ खा चुका था। घटना के बाद से ग्रामीणों में काफी आक्रोश देखा गया।
विभाग ने तब निगरानी बढ़ाने के साथ जंगल सीमा पर जाल फेंसिंग कराने का ग्रामीणों को आश्वासन दिया था। ग्रामीणों का कहना है कि घटना के बाद से जंगल और उसके बाहर क्षेत्र में लगातार बाघ की चहलकदमी देखी जा रही थी। मंगलवार को खेत से लापता हुए किसान राममूर्ति का बुधवार को जंगल के अंदर अधखाया शव मिला। ग्रामीणों का आरोप है कि जंगल सीमा पर जाल फेंसिंग न होने से हिंसक वन्यजीव की दहशत बढ़ रही है।
विभाग सिर्फ आश्वासन देने तक सीमित है। क्षेत्र के रहने वाले भाकियू नेता गुरदीप सिंह गोगी का कहना है कि मथना क्षेत्र में बाघ के हमले की घटनाएं बढ़ रही है। अधिकारियों से मिलकर जाल फेंसिंग करने की मांग की गई लेकिन अभी तक कोई अमल नहीं हो सका है। इससे स्थिति बिगड़ रही है।
ग्रामीणों के हाथों में दिखे भाला और बल्लम
घटना की जानकारी के बाद सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण एकत्र हो गए। आक्रोश के बीच ग्रामीण हाथों में भाला और बल्लम लेकर पहुंचे। खोजबीन करने के लिए जंगल में भी गए इसके बाद शव को बाहर लाया गया। शव के पोस्टमार्टम के लिए भेजने के बाद टाइगर रिजर्व के एसडीओ दिलीप श्रीवास्तव समेत स्टाफ ने पुलिस की मौजूदगी में ग्रामीणों को वहां से हटवाया।
पीलीभीत टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर नवीन खंडेलवाल ने बताया कि प्रथम दृष्टया जांच में घटना जंगल के अंदर होने की जानकारी मिली है। खेत में बाघ के पगचिह्न या खून के धब्बे नहीं मिले हैं। जांच की जा रही है।