पीलीभीत के कलीनगर क्षेत्र में एक बार फिर बाघ ने जंगल से बाहर आकर इंसान का शिकार किया। इस बार उसने खेत में घास काट रहे मजदूर पर हमला किया और जंगल में खींच ले गया। सूचना देने पर भी वन विभाग की टीम के नहीं पहुंचने पर ग्रामीण खुद मजदूर की तलाश में जंगल में घुसे। दो सौ मीटर दूर उसका शव मिला, जिसे गांव के बाहर रखकर ग्रामीणों ने विरोध प्रदर्शन किया। घंटे भर के हंगामे के बाद मुआवजे और तारकशी करने के आश्वासन पर वे शांत हुए।
पांच दिन पहले बाघ ने खन्नौत नदी में मछली पकड़ने गए युवक को मारा था, जिसका अधखाया शव पांच सौ मीटर दूर गन्ने के खेत में मिला था। मंगलवार को महोफ रेंज से सटे खेत में घास काट रहे माधोटांडा क्षेत्र के जमुनिया गांव निवासी तोताराम (50) पर बाघ ने हमला किया।
वह गांव के ही श्रीकृष्ण और रामबहादुर के साथ जंगल से सटे खेत में घास काटने गया था। साथी मजदूरों ने गांव पहुंचकर घटना की जानकारी दी। इस पर ग्रामीण एकत्र होकर मौके पर पहुंचे। सूचना देने के बाद भी वन विभाग का कोई कर्मचारी मौके पर नहीं पहुंचा।
जंगल में पड़ा मिला शव
इसके बाद ग्रामीण लाठी-डंडे लेकर खुद ही जंगल में घुस गए। जंगल में करीब दो सौ मीटर अंदर तोताराम का शव मिला। वन विभाग के रवैये से गुस्साए ग्रामीण गांव के बाहर शव रख कर प्रदर्शन करने लगे। । एसओ अचल कुमार ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजने की कार्रवाई शुरू की तो ग्रामीणों ने उन्हें रोक दिया। कहा, जब तक वन अफसर नहीं आएंगे, शव को नहीं उठाने दिया जाएगा।
इसके बाद डीएफओ संजीव कुमार, एसडीओ पीटीआर दिलीप श्रीवास्तव, तहसीलदार वीरेंद्र कुमार मौके पर पहुंचे। ग्रामीणों की अफसरों से जमकर नोकझोंक हुई। अफसरों ने तारकशी कराने के साथ ही तोताराम के परिजनों को मुआवजा दिलाने का आश्वासन दिया। इसके बाद शव पोस्टमार्टम के लिए भेजा जा सका।
आठ साल में बाघ ले चुके हैं 39 लोगों की जान
टाइगर रिजर्व बनाने के बाद से अब तक आठ साल में बाघ 39 लोगों की जान ले चुके हैं। इनमें इस साल बाघ का निवाला बने पांचलोग भी शामिल हैं। इसमें वर्ष 2017 में सर्वाधिक 16 लोग बाघ का निवाला बने। उसके बाद वर्ष 2020 में सात लोगों को बाघ ने मारा।