पाकिस्तान के फैसलाबाद में अहमदी समुदाय के तीन लोगों को ईद उल अजहा पर जानवर की बलि देने पर गिरफ्तार कर लिया गया। उनपर मुसलमानों की भावना आहत करने का आरोप है। एफआईआर के मुताबिक शिकायतकर्ता जुमे की नमाज के बाद मस्जिद में ही थे कि उन्हें पता चला कि अहमदी समुदाय के कुछ लोगों ने अपने घर के अंदर ही बलि दी है।
लोगों ने छत पर चढ़कर देखा तो पता चला कि अहमदी समुदाय के कुछ लोगों ने एक बकरे की बलि दी है। वहीं कुछ लोग अलग दूसरे जानवर की गर्दन काट रहे थे। शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि उन्होंने जघन्य अपराध किया है क्योंकि ईद उल अजहा के मौके पर केवल मुसलमानों को बलि देने का अधिकार है और उन्होंने ऐसा करके मुसलमानों की भावनाओं को चोट पहुंचाई है। अहमदी समुदाय के प्रवक्ता सलीमुद्दीन ने एक पाकिस्तानी वेबसाइट से कहा कि बलि किसी सार्वजनिक स्थान पर नहीं बल्कि घर के अंदर दी गई है जिसपर आपत्ति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अहमदियों के साथ अत्याचार हो रहा है। बता दें कि इसी महीने पाकिस्तान के धार्मिक मामलों के मंत्री ने गृह मंत्रालय से पाकिस्तानी संविधान के अनुच्छेद 260 (3) को लागू करने को कहा था जिससे की मुसलमानों और गैरमुसलमानों को अलग किया जा सके। उन्होंने कहा था कि सेक्शन 198-सी अहमदियों को खुद को मुसलमान कहने और इस्लामिक प्रैक्टिस करने से प्रतिबंधित करताहै। बता दें कि 1974 से ही अहमदियों पर खुद को मुसलमान कहलाने पर रोक लगा दी गई थी। यूएनएचआरसी ने भी कहा था कि पाकिस्तान में यह समुदाय प्रताड़ित है और इसे बचाने की जरूरत है। अहमदिया मुस्लिम धार्मिक पंथ को मानने वाले इस्लामिक ग्रंथ को मानते हैं। लेकिन वे इस आंदोलन के जनक मिर्जा गुलाम अहमद को भी मसीहा मानते हैं। इसीलिए आम मुसलमान उन्हें भटका हुआ मानते हैं और मुस्लिम समुदाय से अलग बताते हैं।